दमोह। जिले के किसानों का मोदी सरकार के बजट के बाद प्रतिक्रिया सामने आई है. किसानों का सीधा मानना है कि वे लोग जो खेतों में उगाते हैं, उसका मूल्य उनको सही और समय पर नहीं मिल पाता. जिससे किसान काफी परेशान होने हैं. किसानों का कहना है कि फसल बेंचने में भी उनको परेशानियों का सामना करना पड़ता है, सरकार अगर फसलों के सहा दाम के लिए योजना बनाए तो ही भला हो सकता है.
किसानों का मानना है कि मोदी सरकार द्वारा अंतरिम बजट में 6 हजार सालाना पेंशन देने की बात कही गई है. जो किसानों के लिए आवश्यक नहीं. किसानों के लिए तो उनकी फसल का उचित दाम बस मिल जाए तो सभी परेशानियां समाप्त हो जाती है.
बड़े -छोटे सभी किसानों का कहना है कि लागत मूल्य को शून्य करना सरकार के हाथ में है. सरकार चाहे तो कुछ भी कर सकती है. लेकिन किसानों की आवश्यकता उनकी फसल का उचित दाम मिलना होता है. किसान को मध्यप्रदेश में उनकी फसलों का उचित दाम नहीं मिलता. यही कारण है कि वह अपनी फसलों को उचित दाम पर बेचने के लिए परेशान होते हैं. लाइनों में लगते हैं. ऐसे में यदि उनकी फसलों के मूल्य को सही तरीके से आकलन करते हुए दिया जाए. तो उनका भला हो सकता है. वहीं मोदी सरकार के बजट पर बीजेपी के जिला अध्यक्ष का कहना है कि यह बजट सभी वर्ग समुदाय के साथ किसानों के हित में है जिसके आगामी अच्छे परिणाम सामने आएंगे.
मोदी सरकार के बजट के बाद किसानों के लिए जो भी योजनाएं एवं जो भी प्रावधान किए गए हैं, उसको लेकर अभी किसानों ने जो प्रतिक्रिया दी है. वह प्रारंभिक प्रतिक्रिया कही जा सकती है. हालांकि इस बजट के बारे में जब किसानों को सही तरीके से समझाया जाएगा तो हो सकता है कि उनका मत बदल जाए. लेकिन प्रारंभिक तौर पर किसानों का यही कहना है कि सरकार को सबसे ज्यादा इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि किसानों द्वारा खेतों में उगाई गई फसल का उचित और अच्छा मूल्य उनको मिल सके.