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MP Chunav 2023: कांग्रेस को झटका देने तैयार महिला मोर्चा की अध्यक्ष, निर्दलीय चुनाव लड़ सकती हैं रजनी ठाकुर

MP Chunav 2023: दमोह में महिला कांग्रेस अध्यक्ष ने भी बगावती तेवर अपनाए हुए हैं. रजनी ठाकुर निर्वाचन फार्म लेने कलेक्ट्रेट पहुंची. जहां उन्होंने अपना अगले कदम के बारे में कुछ कहा नहीं है. बस निर्वाचन फार्म जरुर ले लिया है.

MP Chunav 2023
रजनी ठाकुर कांग्रेस महिला मोर्चा की अध्यक्ष
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 25, 2023, 11:00 PM IST

कांग्रेस को झटका देने तैयार महिला मोर्चा की अध्यक्ष

दमोह। भाजपा के साथ-साथ अब कांग्रेस में भी लोग बगावती तेवर अपना रहे हैं. टिकट न मिलने से नाराज अज्जाक्स संघ के अध्यक्ष प्रताप रोहित और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भगवानदास चौधरी पहले ही बसपा का दामन थाम चुके हैं. अब उनके बाद आदिवासी नेत्री महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष रजनी ठाकुर भी कांग्रेस को झटका देने के लिए तैयार हैं. उन्होंने पार्टी से बगावत करने के संकेत दिए हैं. निर्वाचन फॉर्म लेने कलेक्ट्रेट पहुंची रजनी ठाकुर ने कहा कि "वह निर्दलीय चुनाव भी लड़ सकती हैं, या हो सकता है की पार्टी प्रत्याशी भी बदल दे. इसीलिए मैंने फॉर्म लिया है.

रजनी ठाकुर कांग्रेस से नाराज: रजनी ठाकुर जबेरा विधानसभा के हर्रई जिला पंचायत क्षेत्र से सदस्य हैं. वह लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं और जबेरा विधानसभा से कांग्रेस से टिकट मांग रही थी, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें टिकट देने की बजाय पूर्व प्रत्याशी प्रताप लोधी पर दांव लगाया है. इससे नाराज होकर अब वह निर्दलीय चुनाव लड़ने की मंशा रखती हैं. मीडिया से चर्चा में रजनी ठाकुर ने कहा कि वह आदिवासी क्षेत्र हर्रई से प्रतिनिधित्व करती हैं. जबेरा विधानसभा में करीब 65000 आदिवासी मतदाता हैं, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. संभाग में चार महिलाओं को टिकट दिए गए हैं. ऐसे ही एक महिला को दमोह से भी टिकट दिया जाता तो महिलाओं का यह सम्मान होता. साथ ही आदिवासियों का भी सम्मान होता, लेकिन पार्टी ने ऐसा नहीं किया.

अब उन्होंने फॉर्म लिया है. आगे जो स्थिति बनेगी, वह वैसा ही करेंगी. हो सकता है कि वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े या फिर यह भी हो सकता है कि पार्टी अंत समय में कोई निर्णय लेकर टिकट बदल दे. इसीलिए उन्होंने फॉर्म लिया है.

यहां पढ़ें...

कहीं कांग्रेस को भारी न पड़ जाए बगावत: यदि रजनी ठाकुर निर्दलीय चुनाव लड़ती हैं तो कांग्रेस के लिए यह बहुत ही घातक साबित हो सकता है. 2003 और 2008 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी नेता हीरासिंह ठाकुर गौंडवाना गणतंत्र पार्टी से चुनाव लड़ चुके हैं. उन्हें दो बार करीब 25 से 27 हजार वोट मिले थे. जिसके कारण कांग्रेस के पूर्व मंत्री रत्नेश सालोमन को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था. यदि इस बार फिर से कोई आदिवासी चुनाव में खड़ा होता है, तो यह कांग्रेस के लिए घातक साबित होगा.

कांग्रेस को झटका देने तैयार महिला मोर्चा की अध्यक्ष

दमोह। भाजपा के साथ-साथ अब कांग्रेस में भी लोग बगावती तेवर अपना रहे हैं. टिकट न मिलने से नाराज अज्जाक्स संघ के अध्यक्ष प्रताप रोहित और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भगवानदास चौधरी पहले ही बसपा का दामन थाम चुके हैं. अब उनके बाद आदिवासी नेत्री महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष रजनी ठाकुर भी कांग्रेस को झटका देने के लिए तैयार हैं. उन्होंने पार्टी से बगावत करने के संकेत दिए हैं. निर्वाचन फॉर्म लेने कलेक्ट्रेट पहुंची रजनी ठाकुर ने कहा कि "वह निर्दलीय चुनाव भी लड़ सकती हैं, या हो सकता है की पार्टी प्रत्याशी भी बदल दे. इसीलिए मैंने फॉर्म लिया है.

रजनी ठाकुर कांग्रेस से नाराज: रजनी ठाकुर जबेरा विधानसभा के हर्रई जिला पंचायत क्षेत्र से सदस्य हैं. वह लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं और जबेरा विधानसभा से कांग्रेस से टिकट मांग रही थी, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें टिकट देने की बजाय पूर्व प्रत्याशी प्रताप लोधी पर दांव लगाया है. इससे नाराज होकर अब वह निर्दलीय चुनाव लड़ने की मंशा रखती हैं. मीडिया से चर्चा में रजनी ठाकुर ने कहा कि वह आदिवासी क्षेत्र हर्रई से प्रतिनिधित्व करती हैं. जबेरा विधानसभा में करीब 65000 आदिवासी मतदाता हैं, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. संभाग में चार महिलाओं को टिकट दिए गए हैं. ऐसे ही एक महिला को दमोह से भी टिकट दिया जाता तो महिलाओं का यह सम्मान होता. साथ ही आदिवासियों का भी सम्मान होता, लेकिन पार्टी ने ऐसा नहीं किया.

अब उन्होंने फॉर्म लिया है. आगे जो स्थिति बनेगी, वह वैसा ही करेंगी. हो सकता है कि वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े या फिर यह भी हो सकता है कि पार्टी अंत समय में कोई निर्णय लेकर टिकट बदल दे. इसीलिए उन्होंने फॉर्म लिया है.

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कहीं कांग्रेस को भारी न पड़ जाए बगावत: यदि रजनी ठाकुर निर्दलीय चुनाव लड़ती हैं तो कांग्रेस के लिए यह बहुत ही घातक साबित हो सकता है. 2003 और 2008 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी नेता हीरासिंह ठाकुर गौंडवाना गणतंत्र पार्टी से चुनाव लड़ चुके हैं. उन्हें दो बार करीब 25 से 27 हजार वोट मिले थे. जिसके कारण कांग्रेस के पूर्व मंत्री रत्नेश सालोमन को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था. यदि इस बार फिर से कोई आदिवासी चुनाव में खड़ा होता है, तो यह कांग्रेस के लिए घातक साबित होगा.

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