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सिविल जज भर्ती परीक्षा- 2022 पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने लगाई रोक - JABALPUR HIGH COURT

जबलपुर हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश सिविल जज भर्ती परीक्षा 2022 पर अंतरिम रोक लगा दी है. कोर्ट ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है.

JABALPUR HIGH COURT
जबलपुर हाईकोर्ट (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 25, 2025, 6:52 AM IST

जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सिविल जज भर्ती परीक्षा-2022 की पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की डबल बेंच ने शुक्रवार को मामले में अनावेदकों को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की है.

याचिका में आरक्षित वर्ग को अंक रियायत न देने को दी गई है चुनौती

यह जनहित याचिका एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस के सचिव राम गिरीश वर्मा की ओर से दायर की गई है. याचिका में आरक्षित वर्ग को अंक रियायत न देने और अनारक्षित बैकलॉग पदों को संविधान विरोधी बताते हुए चुनौती दी गई है. सरकार ने विसंगतियों में कोई सुधार नहीं किया. वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह और अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह ने उनका पक्ष रखा.

याचिका में सिविल जज भर्ती परीक्षा 2022 को लेकर 17 नवंबर 2023 को जारी विज्ञापन और 17 फरवरी 2024 को जारी शुद्धि पत्र की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया है कि 195 पदों पर होने वाली इस भर्ती में 61 नए पद और 134 बैकलॉग पदों को शामिल किया गया. इनमें से 17 पद अनारक्षित वर्ग के बैकलॉग के रूप में दर्शाए गए हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 का खुला उल्लंघन है. जिस कारण यह असंवैधानिक है.

कोर्ट ने अनावेदकों को नोटिस जारी करते हुए दो हफ्ते में मांगा जवाब

सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी करते हुए ये अंतरिम आदेश पारित किए. सुनवाई के दौरान बेंच ने पाया कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाई गई विसंगतियों को दूर करने के लिए कोर्ट ने पहले ही संशोधन का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा था. इसके बावजूद उचित कार्रवाई नहीं हुई.

जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सिविल जज भर्ती परीक्षा-2022 की पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की डबल बेंच ने शुक्रवार को मामले में अनावेदकों को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की है.

याचिका में आरक्षित वर्ग को अंक रियायत न देने को दी गई है चुनौती

यह जनहित याचिका एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस के सचिव राम गिरीश वर्मा की ओर से दायर की गई है. याचिका में आरक्षित वर्ग को अंक रियायत न देने और अनारक्षित बैकलॉग पदों को संविधान विरोधी बताते हुए चुनौती दी गई है. सरकार ने विसंगतियों में कोई सुधार नहीं किया. वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह और अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह ने उनका पक्ष रखा.

याचिका में सिविल जज भर्ती परीक्षा 2022 को लेकर 17 नवंबर 2023 को जारी विज्ञापन और 17 फरवरी 2024 को जारी शुद्धि पत्र की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया है कि 195 पदों पर होने वाली इस भर्ती में 61 नए पद और 134 बैकलॉग पदों को शामिल किया गया. इनमें से 17 पद अनारक्षित वर्ग के बैकलॉग के रूप में दर्शाए गए हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 का खुला उल्लंघन है. जिस कारण यह असंवैधानिक है.

कोर्ट ने अनावेदकों को नोटिस जारी करते हुए दो हफ्ते में मांगा जवाब

सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी करते हुए ये अंतरिम आदेश पारित किए. सुनवाई के दौरान बेंच ने पाया कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाई गई विसंगतियों को दूर करने के लिए कोर्ट ने पहले ही संशोधन का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा था. इसके बावजूद उचित कार्रवाई नहीं हुई.

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