दमोह। माता रुकमणी देवी की प्रतिमा वापस लाने के लिए लंबे समय से आंदोलन और मांग की जा रही है. मामला पेचीदा होने के कारण अब तक मूर्ति मठ में नहीं रखी जा सकी. इस मांग को देखते हुए केंद्रीय जल शक्ति एवं फूड प्रोसेसिंग राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल अपने प्रवास के दौरान कुंडलपुर पहुंचे. वहां उन्होंने बड़े बाबा के दर्शनों के उपरांत आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक के बाद उन्होंने मीडिया से चर्चा में कहा कि मुझे लगता है की रुकमणी जी की मूर्ति लाने में जो चीजें गंभीर दिखीं, उसमें उनका उल्लेख किया है. उनका एवं सभी प्राचीन प्रतिमाओं का एक ऑफिशियल चित्र होना चाहिए.
मू्र्ति हुई थी चोरी : पटेल ने कहा कि एक रुक्मणी का जो मठ राजा कला में है, दूसरा अंबाजी में है. क्योंकि यहां मूर्ति चोरी हुई थी. इसलिए उसकी स्थापना यहीं हो सकती है. उसकी सुरक्षा हो सकती है. वह एएसआई की धरोहर है. यहां पर बिजली नहीं है. पानी का प्रबंध नहीं है. अगले 3 दिन में बिजली का कनेक्शन होने की बात हुई है. यहां समुचित विकास हो, प्रकाश की व्यवस्था हो. भवन भी जीर्ण शीर्ण है. उसके भी जीर्णोद्धार की बात हुई है. चाहे श्मशान घाट हो, रोड हो या सौंदर्यीकरण की बात हो, उसे जनसहयोग या जनप्रतिनिधि राशि देकर कराएंगे. पटेल ने कहा कि एएसआई का काम पूरा होने के बाद तालाब और रोड का काम होते ही जब हम रुक्मणी जी की मूर्ति लाएंगे तो किसी भी चीज की कमी नहीं रहनी चाहिए. सुरक्षा की दृष्टि से चाहे हमारे लोक व्यवहार आने वाली दृष्टि से. हम यह काम कर सकें. यह पूछे जाने पर कि प्रतिमा कब तक मंदिर में रखी जाएगी? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 2023 का साल बहुत बेहतर है. हमारा प्रयास है कि इस साल प्रतिमा रखेंगे.
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क्या है मामला : गौरतलब है कि कुंडलपुर में बना रुक्मणी मठ अति प्राचीन है। 4 फरवरी 2002 को मठ से प्रतिमा चोरी गई थी. चूंकि मामला बेहद गंभीर था. इसलिए पुलिस प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मूर्ति को राजस्थान के पास से बरामद किया था. जिसे बाद में विदिशा जिले की ग्यारसपुर के संग्रहालय में रख दिया गया. प्रतिमा को वापस लाने के लिए बड़े स्तर पर हिंदू संगठनों ने आंदोलन किए. युवा जागृति संगठन के प्रमुख एडवोकेट नितिन मिश्रा ने मूर्ति वापस मठ में रखे जाने को लेकर एक लंबी मुहिम चलाई है. वर्ष 2018 में अपने साथियों के साथ दमोह से रुक्मणी मठ तक करीब 40 किलोमीटर की पद यात्रा एक ही दिन में तय की थी. इस आंदोलन के बाद 2019 में प्रतिमा ग्यारसपुर से लाकर दमोह के संग्रहालय रख दी गई. पिछले पखवाड़े ही एक बार फिर युवा जागृति संगठन ने बड़े स्तर पर प्रतिमा रखे जाने को लेकर आंदोलन किया था. उसके बाद पिछले सप्ताह जैन समाज एवं हिंदू संगठनों ने मिलकर जिला प्रशासन को ज्ञापन दिया था, जिसमें प्रतिमा को शीघ्र ही मठ में स्थापित करने की मांग की गई थी.