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लॉकडाउन में माइक्रो फाइनेंस कंपनियां जबरन कर रहीं वसूली - Women submitted memorandum

दमोह की माइक्रो फाइनेंस कंपनियां जबरन कर्ज वसूली कर रही हैं, जिससे परेशान ग्रामीण अंचल की महिलाओं ने कांग्रेस नेता दीपेश पटेरया के साथ अनुविभागीय अधिकारी राकेश मरकाम को ज्ञापन सौंपा है.

womens submitted memorandum
ज्ञापन देने पहुंचे पीड़ित
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Published : Jun 3, 2020, 10:48 PM IST

दमोह। ग्रामीण अंचल में महिला समूहों को लोन देने वाली माइक्रो फाइनेंस कंपनियां लॉकडाउन में जबरन पैसों की वसूली कर रही हैं, जिस पर रोक लगाने की मांग करते हुए महिलाओं ने कांग्रेस नेता दीपेश पटेरिया के साथ अनुविभागीय अधिकारी राकेश मरकाम को ज्ञापन सौंपा है.

मदद की गुहार

महिलाओं ने बताया कि हटा में प्राइवेट माइक्रो फांइनेस कंपनी हिसाब बैंक, स्पंदना, सोनाटा, बंधन, माइक्रो बैंक गांव में अशिक्षित और गरीब मजदूर महिलाओं के समूह बनाकर लोन बांटती है. ये कंपनियां 30 से 35 हजार रुपए 2 वर्ष की अवधि पर सालाना ब्याज पर कर्ज देती हैं, जिसकी वापसी मूलधन ब्याज सहित 15 दिनों में मोटी-मोटी किश्तों में करनी होती है. इसमें बीमा के नाम पर 1100 से 2200 रुपए लेते हैं, बीमा और जमा किश्त की कोई रसीद तक नहीं देते हैं.

महिलाओं का आरोप है कि बैंकों से गरीब महिलाएं स्वरोजगार लोन ले रखी हैं. महिलाएं किश्तों की अदायगी समय से कर रही थी, लेकिन बीते दो महीने से महिलाओं का स्वरोजगार बंद है. आर्थिक समस्याओं के कारण किश्तों की अदायगी नहीं कर पा रही हैं. लेकिन बैंक के कर्मचारी महिलाओं को डरा-धमका कर जबरन वसूली कर रहे हैं. महिलाओं ने मांग की है कि किश्त अदायगी के लिए समय दिया जाए और ब्याज में छूट दिया जाए.

दमोह। ग्रामीण अंचल में महिला समूहों को लोन देने वाली माइक्रो फाइनेंस कंपनियां लॉकडाउन में जबरन पैसों की वसूली कर रही हैं, जिस पर रोक लगाने की मांग करते हुए महिलाओं ने कांग्रेस नेता दीपेश पटेरिया के साथ अनुविभागीय अधिकारी राकेश मरकाम को ज्ञापन सौंपा है.

मदद की गुहार

महिलाओं ने बताया कि हटा में प्राइवेट माइक्रो फांइनेस कंपनी हिसाब बैंक, स्पंदना, सोनाटा, बंधन, माइक्रो बैंक गांव में अशिक्षित और गरीब मजदूर महिलाओं के समूह बनाकर लोन बांटती है. ये कंपनियां 30 से 35 हजार रुपए 2 वर्ष की अवधि पर सालाना ब्याज पर कर्ज देती हैं, जिसकी वापसी मूलधन ब्याज सहित 15 दिनों में मोटी-मोटी किश्तों में करनी होती है. इसमें बीमा के नाम पर 1100 से 2200 रुपए लेते हैं, बीमा और जमा किश्त की कोई रसीद तक नहीं देते हैं.

महिलाओं का आरोप है कि बैंकों से गरीब महिलाएं स्वरोजगार लोन ले रखी हैं. महिलाएं किश्तों की अदायगी समय से कर रही थी, लेकिन बीते दो महीने से महिलाओं का स्वरोजगार बंद है. आर्थिक समस्याओं के कारण किश्तों की अदायगी नहीं कर पा रही हैं. लेकिन बैंक के कर्मचारी महिलाओं को डरा-धमका कर जबरन वसूली कर रहे हैं. महिलाओं ने मांग की है कि किश्त अदायगी के लिए समय दिया जाए और ब्याज में छूट दिया जाए.

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