दमोह। विवाह के करीब 4 दशक बाद पत्नी से तलाक लेने का मन बना रहे पति ने आखिरकार कुटुंब न्यायालय में एक बार फिर अपनी पत्नी की अपना लिया है. कारण कुछ और नहीं वरन एक नौकरानी बन रही थी तलाक की वजह. मामला तेंदूखेड़ा का है.
रिश्तों में खटास लायी 'वो'
तेंदूखेड़ा की रहने वाले एक वृद्ध दंपति के बीच में जब 'वो' आई तो रिश्तों में तल्खी आ गई, और मामला तलाक तक पहुंचा गया. यह मामला एक संभ्रांत परिवार का है, जो 'पति पत्नी और वो' फिल्म से मेल खाता है. दरअसल, 67 वर्षीय बीएल बरेड़िया ने दो साल पहले न्यायालय में अपनी 63 वर्षीय पत्नी ज्योति से तलाक के लिए अर्जी दाखिल की. जैसे ही अर्जी न्यायालय ने देखी तो सभी चौंक गए. कारण स्पष्ट था कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि सात जन्मों तक जीने मरने की कसम खाने वाले वृद्ध दंपति ही आखिर उम्र के इस मोड़ पर तलाक ले रहे हैं.
38 साल पहले हुई थी शादी
तलाक के लिए अर्जी देने वाले स्वयं राजपत्रित अधिकारी हैं, जो वीआरएस ले चुके थे. पति-पत्नी के बीच करीब चार वर्ष पूर्व नौकरानी की एंट्री हो जाने के बाद विवाद उत्पन्न हुआ. पत्नी का आरोप था की पति, उसकी अनुपस्थिति में नौकरानी के संपर्क में रहता है. वहीं पति का मानना था की नौकरानी महज घर में बने मंदिर की सेवा करने आती है. बस इतनी सी बात को लेकर दोनों के बीच के 38 साल पहले लिए सात फेरों और सात वचनों को कब लील गए पता ही नहीं लगा. मामला तलाक तक पहुंच गया.
न्यायालय ने कराई सुलह
मामले में रोचक पहलू यह है की वृद्ध दंपति की बाकायदा शादीशुदा संताने हैं और उनसे पोते-पोतियां भी हैं. मामला जब मीडिएशन में पहुंचा तो अधिवक्ता मनीष नगाइच व हमीद खान ने प्रधान न्यायाधीश भगवत प्रसाद पांडेय के साथ मिलकर दोनों पक्षों की काउंसलिंग की और मीडिएशन में दोनों पक्षों को विस्तार से सुनने के बाद दोनों पक्षों में सुलह हो गई,
संगीत की वजह से टूटा था सात जन्मों का रिश्ता, तलाक के 14 साल बाद फिर एक हुए पति पत्नी
लगभग दो साल तक चले तलाक के मुकदमे को एक बार फिर समाप्त करने में मिडिएशन कारगर रहा. वहीं न्यायालय के सुलह केंद्र में दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी गलतियां मानीं और आपस में फिर एक-दूसरे को वरमाला डालकर अपने 38 सालों के दांपत्य संबंधों को बचाया.