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दमोह: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का निधन

दमोह के अंतिम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी खेमचंद बजाज का आज निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ शनिवार को किया जाएगा.

Khemchand Bajaj, freedom fighter
खेमचंद बजाज, स्वतंत्रता सेनानी
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Published : Mar 5, 2021, 6:34 PM IST

दमोह। देश की आजादी में अपना योगदान देने वाले जिले के अंतिम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी खेमचंद बजाज का आज निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ शनिवार को किया जाएगा. घटना की सूचना मिलते ही उनके निवास पर लोगों की भीड़ जमा हो गई. वहीं तहसीलदार ने पहुंचकर अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित किए.

1942 के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी अग्रणी भूमिका निभाने वाले खेमचंद बजाज का आज निधन हो गया. वह 96 वर्ष के थे. सागर जिले की रहली तहसील के छोटे से ग्राम बलेह में 10 फरवरी 1927 को जन्में बजाज कम उम्र में ही गांधीजी के विचारों से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए. 1942 में जब गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन का नारा दिया. तब खेमचंद बजाज मात्र अपनी 15 वर्ष की वय में ही अपने 32 साथियों के साथ रहली पहुंच गए. वहां उन्होंने तहसील कार्यालय पर भारतीय झंडा फहरा दिया. उन्होंने अंग्रेजों भारत छोड़ो के नारे भी लगाए. जिसके फलस्वरुप ब्रिटिश हुकूमत ने बजाज सहित उन सभी 32 सेनानियों और अन्य साथियों को भी बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया. अंग्रेज उन्हें ज्यादा समय तक बंदी नहीं रख सके. लगातार बढ़ते आंदोलन के कारण सभी को रिहा करना पड़ा. रिहा होते ही उन्होंने फिर से अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर दी.

Freedom fighter Khemchand Bajaj died in Damoh
प्रहलालद पटेल के साथ स्वतंत्रता सेनानी

हाल ही में मनाया था जन्मदिन

खेमचंद बजाज के पिता कमलचंद्र और मां का नाम खिलौनाबाई था. उनकी एकमात्र बहन थी, जो अब इस दुनिया में नहीं है. खेमचंद बजाज के 5 बेटे और 5 बेटियां हैं. जिसमें से सबसे बड़े बेटे और बेटी की मौत हो चुकी है. जबकि तीन बेटे दमोह में रहकर ही गल्ले का कारोबार करते हैं. एक बेटा इंदौर में है. उनके दूसरे बेटे वीरेंद्र बजाज बताते हैं कि वह पूरी तरह स्वस्थ थे, हाल ही में उनका 94 वां जन्मदिन मनाया था.

अंतिम सेनानी ने ली आखरी सांस

दमोह जिले में करीब 156 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हुए हैं. जिनमें आखरी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में खेमचंद बजाज ही बचे थे. बाकी के सभी सेनानी और उनके साथी समय के साथ संसार को अलविदा कह गए. आज बजाज के निधन के साथ ही दमोह जिले की धरती स्वतंत्रता सेनानियों से रिक्त हो गई.

Freedom fighter Khemchand Bajaj died in Damoh
खेमचंद

तहसीलदार ने दी श्रद्धांजलि

स्वतंत्रता सेनानी बजाज के निधन की जैसे ही सूचना मिली प्रशासन की ओर से तहसीलदार बबीता राठौर को मिली, वे उनके निवास पर पहुंची और श्रद्धा सुमन अर्पित किए. राठौर ने बताया कि अंतिम संस्कार के लिए प्रोटोकॉल के अनुसार 4000 की राशि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिजनों को दी जाती है, लेकिन बजाज के परिजनों ने उस राशि को लेने से इंकार कर दिया. उनका कहना है राशि से किसी जरूरतमंद की मदद कर दी जाए.

Freedom fighter Khemchand Bajaj died in Damoh
परिजनों के साथ खेमंचद

शनिवार को होगा अंतिम संस्कार

अंतिम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी खेमचंद बजाज का अंतिम संस्कार शनिवार को स्थानीय हटा नाका मुक्तिधाम में किया जाएगा. प्रोटोकॉल के अनुसार शव को तिरंगा उढ़ाया जाएगा. कोतवाली पुलिस द्वारा उन्हें राजकीय सम्मान के साथ गार्ड ऑफ ऑनर साथ विदाई दी जाएगी.

Freedom fighter Khemchand Bajaj died in Damoh
जन्मदिन मनाते खेमचंद बजाज

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

खेमचंद बजाज 1939 में पहली बार कांग्रेस के त्रिपुरी अधिवेशन में शामिल हुए. वहां पर वह इतने प्रभावित हुए की गांव वापस आकर उन्होंने अंग्रेजी वस्तुओं की होली जलाई. साथ ही निकट के ग्राम अनंतपुरा में गांधी जी के विचारों से प्रभावित होकर चरखा आश्रम खुलवाया. 1941 में सक्रिय रुप से स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए. 1942 में अपने 32 साथियों के साथ वह रहली गए तथा तहसील कार्यालय में स्वदेशी झंडा फहराया. अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा बुलंद किया. जिसके फल स्वरुप ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें सभी साथियों के साथ जेल में डाल दिया. करीब 27 दिन तक अदालत में केस चला. जिसमें बजाज को 9 माह और 1 दिन की सजा सुनाई गई. इस दौरान उन्हें सागर और जबलपुर की जेलों में रखा गया. 1943 में उन्हें रिहा किया गया. जिसके बाद वह फिर से स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय हो गए.

दमोह। देश की आजादी में अपना योगदान देने वाले जिले के अंतिम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी खेमचंद बजाज का आज निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ शनिवार को किया जाएगा. घटना की सूचना मिलते ही उनके निवास पर लोगों की भीड़ जमा हो गई. वहीं तहसीलदार ने पहुंचकर अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित किए.

1942 के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी अग्रणी भूमिका निभाने वाले खेमचंद बजाज का आज निधन हो गया. वह 96 वर्ष के थे. सागर जिले की रहली तहसील के छोटे से ग्राम बलेह में 10 फरवरी 1927 को जन्में बजाज कम उम्र में ही गांधीजी के विचारों से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए. 1942 में जब गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन का नारा दिया. तब खेमचंद बजाज मात्र अपनी 15 वर्ष की वय में ही अपने 32 साथियों के साथ रहली पहुंच गए. वहां उन्होंने तहसील कार्यालय पर भारतीय झंडा फहरा दिया. उन्होंने अंग्रेजों भारत छोड़ो के नारे भी लगाए. जिसके फलस्वरुप ब्रिटिश हुकूमत ने बजाज सहित उन सभी 32 सेनानियों और अन्य साथियों को भी बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया. अंग्रेज उन्हें ज्यादा समय तक बंदी नहीं रख सके. लगातार बढ़ते आंदोलन के कारण सभी को रिहा करना पड़ा. रिहा होते ही उन्होंने फिर से अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर दी.

Freedom fighter Khemchand Bajaj died in Damoh
प्रहलालद पटेल के साथ स्वतंत्रता सेनानी

हाल ही में मनाया था जन्मदिन

खेमचंद बजाज के पिता कमलचंद्र और मां का नाम खिलौनाबाई था. उनकी एकमात्र बहन थी, जो अब इस दुनिया में नहीं है. खेमचंद बजाज के 5 बेटे और 5 बेटियां हैं. जिसमें से सबसे बड़े बेटे और बेटी की मौत हो चुकी है. जबकि तीन बेटे दमोह में रहकर ही गल्ले का कारोबार करते हैं. एक बेटा इंदौर में है. उनके दूसरे बेटे वीरेंद्र बजाज बताते हैं कि वह पूरी तरह स्वस्थ थे, हाल ही में उनका 94 वां जन्मदिन मनाया था.

अंतिम सेनानी ने ली आखरी सांस

दमोह जिले में करीब 156 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हुए हैं. जिनमें आखरी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में खेमचंद बजाज ही बचे थे. बाकी के सभी सेनानी और उनके साथी समय के साथ संसार को अलविदा कह गए. आज बजाज के निधन के साथ ही दमोह जिले की धरती स्वतंत्रता सेनानियों से रिक्त हो गई.

Freedom fighter Khemchand Bajaj died in Damoh
खेमचंद

तहसीलदार ने दी श्रद्धांजलि

स्वतंत्रता सेनानी बजाज के निधन की जैसे ही सूचना मिली प्रशासन की ओर से तहसीलदार बबीता राठौर को मिली, वे उनके निवास पर पहुंची और श्रद्धा सुमन अर्पित किए. राठौर ने बताया कि अंतिम संस्कार के लिए प्रोटोकॉल के अनुसार 4000 की राशि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिजनों को दी जाती है, लेकिन बजाज के परिजनों ने उस राशि को लेने से इंकार कर दिया. उनका कहना है राशि से किसी जरूरतमंद की मदद कर दी जाए.

Freedom fighter Khemchand Bajaj died in Damoh
परिजनों के साथ खेमंचद

शनिवार को होगा अंतिम संस्कार

अंतिम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी खेमचंद बजाज का अंतिम संस्कार शनिवार को स्थानीय हटा नाका मुक्तिधाम में किया जाएगा. प्रोटोकॉल के अनुसार शव को तिरंगा उढ़ाया जाएगा. कोतवाली पुलिस द्वारा उन्हें राजकीय सम्मान के साथ गार्ड ऑफ ऑनर साथ विदाई दी जाएगी.

Freedom fighter Khemchand Bajaj died in Damoh
जन्मदिन मनाते खेमचंद बजाज

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

खेमचंद बजाज 1939 में पहली बार कांग्रेस के त्रिपुरी अधिवेशन में शामिल हुए. वहां पर वह इतने प्रभावित हुए की गांव वापस आकर उन्होंने अंग्रेजी वस्तुओं की होली जलाई. साथ ही निकट के ग्राम अनंतपुरा में गांधी जी के विचारों से प्रभावित होकर चरखा आश्रम खुलवाया. 1941 में सक्रिय रुप से स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए. 1942 में अपने 32 साथियों के साथ वह रहली गए तथा तहसील कार्यालय में स्वदेशी झंडा फहराया. अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा बुलंद किया. जिसके फल स्वरुप ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें सभी साथियों के साथ जेल में डाल दिया. करीब 27 दिन तक अदालत में केस चला. जिसमें बजाज को 9 माह और 1 दिन की सजा सुनाई गई. इस दौरान उन्हें सागर और जबलपुर की जेलों में रखा गया. 1943 में उन्हें रिहा किया गया. जिसके बाद वह फिर से स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय हो गए.

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