दमोह। बुंदेलखंड में पान के शौकीन की कोई कमी नहीं है. यही कारण है कि बुंदेलखंड के दमोह जिले में हजारों पान की दुकानें हैं. जहां पर पान की जमकर बिक्री होती है. यहां पर बाहर से आने वाले पान के साथ स्थानीय स्तर पर पैदा होने वाला पान भी काफी मात्रा में बिकता है, जिसकी डिमांड सीजन में और बढ़ जाती है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से इस बार पान की सुर्ख लाली भी गायब हो गई है. दुकानें बंद होने से पान की खेती करने वाले किसान और दुकानदार दोनों को काफी नुकसान हो रहा है.
दमोह जिले में पान की खेती करने वाले दर्जनों किसान हैं. जो पान के बरेजे लगाकर पान की पैदावार करते हैं. प्रमुख रूप से इसमें चौरसिया समाज के लोग हैं. जो पीढ़ियों से पान की खेती करके अपना जीवन यापन कर रहे हैं. लेकिन लॉकडाउन के दिनों में पान की पैदावार करने वाले किसानों के हालात खराब हो चुकी हैं. यहां पर पान की पैदावार होने के बाद भी अब पान को खरीदने वाला कोई नहीं है. क्योंकि लॉकडाउन के चलते दुकानें बंद हैं
लाखों रुपए का हो रहा नुकसान
जब दुकानें बंद हैं तो वे पान के किसानों से पान खरीदने नहीं आ रहे. पान की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि, लॉकडाउन में उनकों लाखों रुपए का नुकसान हो चुका है. गर्मी तेज हो रही है, जिससे पान सूखने भी लगा है. अगर लॉकडाउन इसी तरह चलता रहा, तो हालात और खराब होंगे.
ईटीवी भारत ने जब पान के बरेजो में जाकर इन किसानों का दर्द जाना, तो पता चला कि, अन्य किसानों के लिए सरकार के द्वारा जहां सहयोग की बात कही जा रही है. तो वहीं पान की खेती करने वाले किसान सरकारी मदद से महरूम हैं, क्योंकि इनकी ओर किसी का ध्यान नहीं. ऐसे हालात में कई किसान हैं जो इस लॉकडाउन में लाखों का नुकसान उठाने मजबूर हैं. जिनकी सुध लेने वाला फिलहाल कोई नजर नहीं आता.