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कलाकारों ने बनाया इको फ्रेंडली रावण, दिया पर्यावरण बचाने का संदेश - दमोह

बिना प्लास्टिक का प्रयोग किए बेहतरीन कलाकारी का प्रदर्शन करने वाले कलाकार भारतीय कला के पुरातन स्वरूप को आज भी जिंदा रखे हुए हैं. ऐसे ही उत्तर प्रदेश के जालौन से आए मुस्लिम परिवार के लोग हर साल इको फ्रेंडली रावण बनाते हैं. जिसमें प्लास्टिक का उपयोग नहीं किया जाता.

इको फ्रेंडली रावन
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Published : Oct 6, 2019, 11:33 PM IST

दमोह। सरकार प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगा रही है, जिसके चलते जिले में इको फ्रेंडली रावण का निर्माण किया जा रहा है और बिना प्लास्टिक का उपयोग किए 45 फीट लंबे रावण का निर्माण कलाकारों की कला का अद्भुत नमूना है.

इको फ्रेंडली रावन
दशहरे पर रावण दहन के लिए जो रावण तैयार किया जा रहा है, वो प्लास्टिक का उपयोग किए बिना ही बनाया जा रहा है. उत्तर प्रदेश के जालौन से आए मुस्लिम परिवार के लोग अलग-अलग स्थानों पर जाकर हर साल रावण बनाते हैं. ऐसे में इस बार दमोह में इको फ्रेंडली रावण का निर्माण करना पुरानी परंपरा का पालन करने जैसा है.
इरशाद खान के परिवार का कहना है कि उनकी कई पीढ़ियां रावण के पुतलों का निर्माण करती आ रही है और वे लोग भी इसी तरह से रावण के पुतलों का निर्माण कर रहे हैं. रावण के पुतले का निर्माण करने में बांस, कागज, गोंद, रंग, मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें किसी प्रकार के प्लास्टिक का प्रयोग नहीं होता.

दमोह। सरकार प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगा रही है, जिसके चलते जिले में इको फ्रेंडली रावण का निर्माण किया जा रहा है और बिना प्लास्टिक का उपयोग किए 45 फीट लंबे रावण का निर्माण कलाकारों की कला का अद्भुत नमूना है.

इको फ्रेंडली रावन
दशहरे पर रावण दहन के लिए जो रावण तैयार किया जा रहा है, वो प्लास्टिक का उपयोग किए बिना ही बनाया जा रहा है. उत्तर प्रदेश के जालौन से आए मुस्लिम परिवार के लोग अलग-अलग स्थानों पर जाकर हर साल रावण बनाते हैं. ऐसे में इस बार दमोह में इको फ्रेंडली रावण का निर्माण करना पुरानी परंपरा का पालन करने जैसा है.
इरशाद खान के परिवार का कहना है कि उनकी कई पीढ़ियां रावण के पुतलों का निर्माण करती आ रही है और वे लोग भी इसी तरह से रावण के पुतलों का निर्माण कर रहे हैं. रावण के पुतले का निर्माण करने में बांस, कागज, गोंद, रंग, मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें किसी प्रकार के प्लास्टिक का प्रयोग नहीं होता.
Intro:प्लास्टिक का यूज किए बिना इको फ्रेंडली रावण का होता है दमोह में निर्माण

45 फीट लंबे रावण का निर्माण करते हैं मुस्लिम समाज के लोग

उत्तर प्रदेश के जालौन से आकर दमोह में बना रहे हैं विशाल रावण


दमोह. जिला मुख्यालय पर लगातार कई वर्षों से इको फ्रेंडली रावण का निर्माण किया जा रहा है. अब जबकि केंद्र सरकार प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का काम कर रही है. साथ ही वन यूज़ प्लास्टिक हो बैन कर रही है. ऐसे हालात में दमोह में बनने वाले इको फ्रेंडली रावण की बात करना लाजमी हो जाता है. क्योंकि बिना प्लास्टिक का उपयोग किए 45 फीट लंबे रावण का निर्माण भारतीय कलाकारों की कला का अद्भुत नमूना कहा जाएगा.


Body:दमोह के तहसील मैदान में नवरात्र की नवमी के अवसर पर रावण का दहन राम लक्ष्मण के द्वारा किया जाता है. शहर में पहले रामदल निकाला जाता है. इसके बाद रावण का दहन परंपरा के अनुसार होता है. इसके पहले इस मैदान पर कई दिनों तक जो कलाकार रावण का निर्माण करते हैं, वे प्लास्टिक का उपयोग किए बिना 45 फीट लंबे रावण का निर्माण करने में दिन रात लगे हुए हैं. उत्तर प्रदेश के जालौन से आए मुस्लिम परिवार के लोग अलग-अलग स्थानों पर जाकर हर साल रावण बनाते हैं. ऐसे में इस बार दमोह में इको फ्रेंडली रावण का निर्माण करना पुरानी परंपरा का पालन करने जैसा है. यह लोग बताते हैं कि इनकी कई पीढ़ियां रावण के पुतलों का निर्माण करती आ रही है, और वे लोग भी इसी तरह से रावण के पुतलों का निर्माण कर रहे हैं. रावण के पुतले का निर्माण करने में बांस, कागज, गोंद, रंग, मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें किसी प्रकार के प्लास्टिक का प्रयोग नहीं होता.

बाइट - इरशाद खान रावण बनाने वाला कलाकार

बाइट - सैफुद्दीन खान रावण बनाने वाला कलाकार


Conclusion:बिना प्लास्टिक का प्रयोग किए बेहतरीन कलाकारी का प्रदर्शन करने वाले कलाकार भारतीय कला के पुरातन स्वरूप को आज भी जिंदा रखे हुए हैं.क्योंकि प्रकृति के अनुरूप वस्तुओं का इस्तेमाल कर परंपरा का निर्वहन करना हमारी पुरानी कलाकारी रही है. वक्त के बदलते दौर ने प्लास्टिक के उपयोग पर हमें निर्भर कर दिया. लेकिन कुछ परंपराओं में आज भी बिना इसका प्रयोग किए ही निर्माण किए जाते हैं. जो हमें हमारी प्राचीन संस्कृति एवं धरोहर को जिंदा रखने में मदद करती है.

आशीष कुमार जैन
ईटीवी भारत दमोह
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