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राहुल बताएं कैसे उठ गया अंगद का पैर : अजय टंडन

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Published : Mar 22, 2021, 7:43 PM IST

दमोह उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने अजय टंडन को प्रत्याशी चुना है. वहीं अजय टंडन ने बीजेपी के राहुल लोधी पर निशाना साधा है.

Ajay Tandon, Congress candidate
अजय टंडन, कांग्रेस प्रत्याशी

दमोह। कई दिनों तक चले मंथन और जद्दोजहद के बाद आखिरकार कांग्रेस ने जिला अध्यक्ष अजय टंडन को अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया है. घोषणा के बाद टंडन के स्वर बदले नजर आए. उन्होंने मुखर होकर राहुल सिंह पर हमला बोला. अजय टंडन ने यह तक कह डाला कि दमोह की जनता ने कभी बेईमान और बिकाऊ लोगों को चुनाव नहीं जिताया है.

अजय टंडन, कांग्रेस प्रत्याशी

3 दिन पहले से ही जैसे कि कयास लगाए जा रहे थे कि कांग्रेस के प्रत्याशी अजय टंडन होंगे. आखिरकार कांग्रेस ने भी उनके नाम पर मुहर लगा दी है. टंडन को प्रत्याशी बनाए जाने का अधिकृत पत्र कांग्रेस ने जारी कर दिया है. कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों से प्रत्याशी की अधिकृत घोषणा हो जाने के बाद अब लगभग चुनावी तस्वीर साफ हो गई है.

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वैसे तो मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में ही होगा, लेकिन अभी कुछ पत्ते खुलना और बाकी हैं. नामांकन की आखिरी तारीख और फॉर्म निकाले जाने के साथ ही यह तय हो जाएगा कि दमोह में मुकाबला किसके बीच रहेगा. इसे कांग्रेस प्रत्याशी अजय टंडन का प्रबल भाग्य कहें है या हाईकमान की मंशा जो कि तीसरी बार टंडन विधानसभा का टिकट लेने में कामयाब रहे हैं. टिकट की दौड़ में शामिल चल रहे कई दावेदारों को पीछे छोड़ते हुए टंडन ने अपने पक्ष में अंततः माहौल बनाकर टिकट ले ली है.

कौन हैं अजय टंडन

यह पहला मौका नहीं है कि जब अजय टंडन ने कांग्रेस का टिकट हासिल किया. इसके पहले भी टंडन दो बार कांग्रेस की टिकट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं. बता दें कि कांग्रेस ने 1998 में अजय टंडन को अपना प्रत्याशी बनाया था, उनका मुकाबला भाजपा के कद्दावर नेता जयंत मलैया से था. उस चुनाव में जयंत मलैया को 45891 तथा टंडन को 40485 मत प्राप्त हुए थे. इस तरह अजय टंडन 5406 मतों से पराजित हुए थे. इसके बाद 2003 में एक बार फिर अजय टंडन टिकट तो ले आए लेकिन उमा लहर के चलते अपने प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी जयंत मलैया से 12321 मतों से परास्त हो गए. इस चुनाव में जयंत मलैया को 57707 और टंडन को 45386 मत प्राप्त हुए थे.

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राहुल से पूछो अंगद का पैर कैसे उठ गया

टिकट मिलने के बाद अजय टंडन के स्वर मुखर हो गए. उन्होंने कहा कि अजय टंडन तो एक परछाई हैं. हमारा चुनाव चिन्ह पंजा है और यह चुनाव अजय टंडन नहीं जनता लड़ रही है.टंडन ने कहा कि हमारे एक कार्यकर्ता को भी यदि टिकट मिलती तो वह भी राहुल सिंह को चुनाव हरा देता. उन्होंने कहा कि दमोह की तासीर यहां की भौगोलिक स्थिति अलग है. यहां का इतिहास उठाकर देख लीजिए बेईमान आदमी कभी नेता नहीं बन पाया. यहां की जनता यह सुनना देखना नहीं चाहती कि उनका नेता बेईमान है. यह सीधी लड़ाई बेईमान और इमानदार के बीच की लड़ाई है. उन्होंने कहा कि इस चुनाव में मुख्य मुद्दा रहेगा अंगद का पैर. अंगद का पैर कैसे उठ गया, यह जाकर राहुल सिंह से पूछो. हमारे प्रभु राम को बदनाम करने वाला कौन है? राहुल सिंह नर्मदा परिक्रमा करते हैं, नर्मदा उनकी बपौती नहीं है.

दमोह। कई दिनों तक चले मंथन और जद्दोजहद के बाद आखिरकार कांग्रेस ने जिला अध्यक्ष अजय टंडन को अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया है. घोषणा के बाद टंडन के स्वर बदले नजर आए. उन्होंने मुखर होकर राहुल सिंह पर हमला बोला. अजय टंडन ने यह तक कह डाला कि दमोह की जनता ने कभी बेईमान और बिकाऊ लोगों को चुनाव नहीं जिताया है.

अजय टंडन, कांग्रेस प्रत्याशी

3 दिन पहले से ही जैसे कि कयास लगाए जा रहे थे कि कांग्रेस के प्रत्याशी अजय टंडन होंगे. आखिरकार कांग्रेस ने भी उनके नाम पर मुहर लगा दी है. टंडन को प्रत्याशी बनाए जाने का अधिकृत पत्र कांग्रेस ने जारी कर दिया है. कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों से प्रत्याशी की अधिकृत घोषणा हो जाने के बाद अब लगभग चुनावी तस्वीर साफ हो गई है.

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वैसे तो मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में ही होगा, लेकिन अभी कुछ पत्ते खुलना और बाकी हैं. नामांकन की आखिरी तारीख और फॉर्म निकाले जाने के साथ ही यह तय हो जाएगा कि दमोह में मुकाबला किसके बीच रहेगा. इसे कांग्रेस प्रत्याशी अजय टंडन का प्रबल भाग्य कहें है या हाईकमान की मंशा जो कि तीसरी बार टंडन विधानसभा का टिकट लेने में कामयाब रहे हैं. टिकट की दौड़ में शामिल चल रहे कई दावेदारों को पीछे छोड़ते हुए टंडन ने अपने पक्ष में अंततः माहौल बनाकर टिकट ले ली है.

कौन हैं अजय टंडन

यह पहला मौका नहीं है कि जब अजय टंडन ने कांग्रेस का टिकट हासिल किया. इसके पहले भी टंडन दो बार कांग्रेस की टिकट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं. बता दें कि कांग्रेस ने 1998 में अजय टंडन को अपना प्रत्याशी बनाया था, उनका मुकाबला भाजपा के कद्दावर नेता जयंत मलैया से था. उस चुनाव में जयंत मलैया को 45891 तथा टंडन को 40485 मत प्राप्त हुए थे. इस तरह अजय टंडन 5406 मतों से पराजित हुए थे. इसके बाद 2003 में एक बार फिर अजय टंडन टिकट तो ले आए लेकिन उमा लहर के चलते अपने प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी जयंत मलैया से 12321 मतों से परास्त हो गए. इस चुनाव में जयंत मलैया को 57707 और टंडन को 45386 मत प्राप्त हुए थे.

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टिकट मिलने के बाद अजय टंडन के स्वर मुखर हो गए. उन्होंने कहा कि अजय टंडन तो एक परछाई हैं. हमारा चुनाव चिन्ह पंजा है और यह चुनाव अजय टंडन नहीं जनता लड़ रही है.टंडन ने कहा कि हमारे एक कार्यकर्ता को भी यदि टिकट मिलती तो वह भी राहुल सिंह को चुनाव हरा देता. उन्होंने कहा कि दमोह की तासीर यहां की भौगोलिक स्थिति अलग है. यहां का इतिहास उठाकर देख लीजिए बेईमान आदमी कभी नेता नहीं बन पाया. यहां की जनता यह सुनना देखना नहीं चाहती कि उनका नेता बेईमान है. यह सीधी लड़ाई बेईमान और इमानदार के बीच की लड़ाई है. उन्होंने कहा कि इस चुनाव में मुख्य मुद्दा रहेगा अंगद का पैर. अंगद का पैर कैसे उठ गया, यह जाकर राहुल सिंह से पूछो. हमारे प्रभु राम को बदनाम करने वाला कौन है? राहुल सिंह नर्मदा परिक्रमा करते हैं, नर्मदा उनकी बपौती नहीं है.

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