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अस्पताल-अस्पताल खून के दलाल - अस्पताल में खून की दलाली दमोह

दमोह जिला अस्पताल में खून का गोरखधंधा जोरों पर चल रहा है. अस्पताल प्रशासन को इस बारे में कई बार शिकायत की जा चुकी है. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती.

blood on sale
खून का गोरखधंधा
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Published : Feb 9, 2021, 4:35 PM IST

दमोह। जिला अस्पताल में खून खरीदने और बेचने की खबरें कई बार सामने आ चुकी हैं . लेकिन इसे रोकने के लिए अस्पताल प्रशासन ने अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है. इसे लेकर कुछ संस्थाओं ने अस्पताल प्रशासन को ज्ञापन दिया है.

खून के दलालों को खुली छूट!

जिला अस्पताल दमोह में काफी समय से खून के दलाल सक्रिय हैं. इसकी खबरें भी कई बार सुनने को मिलती हैं. कई बार इसकी शिकायतें भी हो चुकी हैं. लेकिन अस्पताल प्रशासन कोई ठोस कार्रवाई करने में नाकाम रहा है. रक्तदान जीवनदान समिति के सदस्यों ने अस्पताल में खून के व्यापार के बारे में कुछ समय पहले कलेक्टर को शिकायत भी की थी, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है.

यहां खून की कीमत लगती है!

कटनी जिले के मुहास गांव से अपनी पत्नी की डिलीवरी कराने आए अमर सिंह ने बताया, कि उनकी पत्नी को 4 यूनिट खून की जरूरत थी. दो यूनिट तो समिति वालों ने नि:शुल्क उपलब्ध करवा दिया. लेकिन जब तीसरी यूनिट की जरूरत पड़ी, तो एक दलाल ने उनसे खून के बदले दो हज़ार रुपए ले लिए. इसी तरह चार महीने पहले पथरिया के रहने वाले जितेंद्र अहिरवार की पत्नी को खून की जरूरत थी. उन्हें छह हज़ार में दलालों के जरिए खून खरीदना पड़ा. मामला उछला भी था, लेकिन सब मैनेज कर लिया गया.

कार्रवाई नहीं करने के लाख बहाने

सिविल सर्जन डॉ ममता तिमोरी का कहना है कि खून का इंतजाम करने वाली ज्यादातर संस्थाएं रजिस्टर्ड नहीं हैं . कई लोगों के पास आई कार्ड भी नहीं हैं . ऐसे में कौन समिति का सदस्य है और कौन दलाल, ये पहचानना मुश्किल हो जाता है. और कार्रवाई करना तो और भी मुश्किल.

दमोह। जिला अस्पताल में खून खरीदने और बेचने की खबरें कई बार सामने आ चुकी हैं . लेकिन इसे रोकने के लिए अस्पताल प्रशासन ने अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है. इसे लेकर कुछ संस्थाओं ने अस्पताल प्रशासन को ज्ञापन दिया है.

खून के दलालों को खुली छूट!

जिला अस्पताल दमोह में काफी समय से खून के दलाल सक्रिय हैं. इसकी खबरें भी कई बार सुनने को मिलती हैं. कई बार इसकी शिकायतें भी हो चुकी हैं. लेकिन अस्पताल प्रशासन कोई ठोस कार्रवाई करने में नाकाम रहा है. रक्तदान जीवनदान समिति के सदस्यों ने अस्पताल में खून के व्यापार के बारे में कुछ समय पहले कलेक्टर को शिकायत भी की थी, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है.

यहां खून की कीमत लगती है!

कटनी जिले के मुहास गांव से अपनी पत्नी की डिलीवरी कराने आए अमर सिंह ने बताया, कि उनकी पत्नी को 4 यूनिट खून की जरूरत थी. दो यूनिट तो समिति वालों ने नि:शुल्क उपलब्ध करवा दिया. लेकिन जब तीसरी यूनिट की जरूरत पड़ी, तो एक दलाल ने उनसे खून के बदले दो हज़ार रुपए ले लिए. इसी तरह चार महीने पहले पथरिया के रहने वाले जितेंद्र अहिरवार की पत्नी को खून की जरूरत थी. उन्हें छह हज़ार में दलालों के जरिए खून खरीदना पड़ा. मामला उछला भी था, लेकिन सब मैनेज कर लिया गया.

कार्रवाई नहीं करने के लाख बहाने

सिविल सर्जन डॉ ममता तिमोरी का कहना है कि खून का इंतजाम करने वाली ज्यादातर संस्थाएं रजिस्टर्ड नहीं हैं . कई लोगों के पास आई कार्ड भी नहीं हैं . ऐसे में कौन समिति का सदस्य है और कौन दलाल, ये पहचानना मुश्किल हो जाता है. और कार्रवाई करना तो और भी मुश्किल.

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