दमोह। दमोह में कोरोना योद्धाओं के सम्मान समारोह में सम्मिलित होने पहुंचे भाजपा के युवा नेता अभिषेक भार्गव ने कई मुद्दों पर बेवाकी से सवालों के जवाब दिए. लेकिन जाते-जाते कुछ ऐसा कह गए जिससे मलैया समर्थक कार्यकर्ता असहज हो गए. स्थानीय सर्किट हाउस में युवा नेता अभिषेक भार्गव ने विभिन्न मसलों पर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि जो लोग कोरोना वैक्सीन पर सवाल उठा रहे हैं. दरअसल वह वैक्सीन पर नहीं बल्कि अपने ही देश के वैज्ञानिकों की क्षमताओं पर सवाल उठा रहे हैं. ऐसा करना उनके मनोबल को तोड़ने जैसा है. युवा नेता ने कहा कि कोरोना का खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है.
दमोह में मेडिकल कॉलेज की सौगात
सरकार ने अब नई गाइडलाइन जारी कर दी है. जिसमें सेकंड फेज में 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को भी वैक्सीन लगेगी. अब लोगों का यह दायित्व है कि वह वैक्सीन लगवाने आगे आएं तथा उसके संबंध में फैली भ्रांतियों को दूर करें. क्योंकि केवल वैक्सीन से ही बचाव संभव है. उन्होंने दमोह विधानसभा में होने वाले उपचुनाव पर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि पुरानी बातों को भूल कर हमें नए विषय पर बात करना चाहिए. दमोह में मुख्यमंत्री ने मेडिकल कॉलेज की सौगात दी है, यह बड़ी बात है. पार्टी जो भी निर्देश देगी उसका सभी को पालन भी करना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी पार्टी को जातिगत आधार पर टिकट नहीं बांटना चाहिए.
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सिद्धार्थ को और तपने की जरूरत
उन्होंने एक सवाल के जवाब में यह भी कहा की सिद्धार्थ मलैया को अभी और तपने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि हम नेता पुत्र हैं, हम चांदी की चम्मच लेकर पैदा हुए हैं. लोगों को लगता है हम दूसरे कार्यकर्ताओं का हक मारते हैं. इसलिए मेरा मानना कि हमे अपनी मेहनत से आगे बढ़ना चाहिए, अपने पिता की छाया लेकर नहीं. बस यही वह जवाब था जिससे मलैया समर्थक कार्यकर्ता असहज हो गए.
दरअसल भार्गव का आशय यही था कि युवा नेता सिद्धार्थ मलैया अभी राजनीतिक छल छंद पूरी तरह नहीं सीख पाए हैं. जिस बेबाकी से वह बोलते हैं वह राजनीति का चलन नहीं है. भार्गव के बयान के अब यही मायने निकाले जा रहे हैं कि सिद्धार्थ मलैया को अब अपना रास्ता खुद बनाना चाहिए, न कि अपने पिता जयंत मलैया के नाम को लेकर आगे बढ़े.