दमोह। लोधी समाज के कद्दावर नेता और जिला पंचायत सदस्य अवधेश प्रताप सिंह की दिग्विजय सिंह और कमलनाथ से मुलाकात के बाद दमोह के राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई. उनकी मुलाकात को भाजपा में एक तगड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है. अभाना से जिला पंचायत सदस्य सविता अवधेश प्रताप सिंह की कमलनाथ और दिग्विजय से भोपाल में हुई मुलाकात के बाद अब दमोह की राजनीति ने करवट लेना शुरू कर दिया है. कभी जयंत मलैया के नजदीकी रहे अवधेश प्रताप सिंह लोधी समाज के एक बड़े नेता हैं. उनकी अपने क्षेत्र में काफी गहरी पकड़ है. वर्तमान में वह केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के बहुत नजदीकी माने जाते हैं, लेकिन उनकी यह नज़दीकियां कल भोपाल में कांग्रेसियों से हुई मुलाकात के बाद दूर दिखने लगी हैं.
सोशल मीडिया पर जैसे ही दिग्विजय सिंह और कमलनाथ से उनकी मुलाकात की फोटो वायरल हुई तो दमोह में भाजपाइयों के चेहरे का रंग उड़ गया, तो दूसरी ओर कांग्रेस में भी उनके आने का पुरजोर विरोध होने लगा. हालांकि सच्चाई किसी ने भी जानने की कोशिश नहीं की कि आखिर इस फोटो के मायने हैं क्या? आपको बता दें कि अवधेश प्रताप सिंह की आस-पास के कम से कम 30 से 40 गांव में गहरी पैठ है. वह लोधी समाज के निर्विवाद और कद्दावर नेता भी माने जाते हैं.
क्या हुआ सोशल मीडिया पर
कल फोटो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर भारी विरोध होने लगा, कांग्रेस आईटी सेल के प्रमुख नील श्याम सोनी ने पोस्ट करते हुए लिखा, विनाश काले विपरीत बुद्धि, दूसरी पोस्ट में उन्होंने लिखा शीर्ष नेतृत्व के इस फैसले का पुरजोर विरोध होगा. समस्त कांग्रेसी इस निर्णय का विरोध करते हैं. वहीं दूसरी ओर युवक कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री रफीक खान ने भी गहरी प्रतिक्रिया जताई. रफीक ने लिखा है कि इस फसल को हमने खून पसीने से सींच कर खड़ा किया है. किसी ऐरे गैरे को फसल नहीं काटने देंगे. कुछ अन्य कांग्रेसियों ने भी इसी तरह की पोस्ट डाल कर अपना विरोध जताया है.
भाजपा में सन्नाटा
वहीं दूसरी ओर भाजपा खेमे में सन्नाटा पसर गया. कोई भी नेता किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देने को तैयार नहीं है. भाजपाइयों ने न तो सोशल मीडिया पर कुछ लिखा और न ही कैमरे के सामने किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया जताई. हां, दवी जुवान से लोग अवश्य कहते रहे कि गलत हुआ है.
खबरों को बताया निराधार
अवधेश प्रताप सिंह अभी भोपाल में ही है, लेकिन उन्होंने फोन पर ईटीवी भारत से लंबी चर्चा में सारी बातों को निराधार बताया. उन्होंने कहा कि पिछले 1 महीने से दिग्विजय सिंह और कमलनाथ जी के फोन आ रहे थे. जिसके बाद मैंने उनसे मुलाकात करने का निर्णय लिया. दो टूक यह बात भी रखी कि यदि वह मुझे कांग्रेस प्रत्याशी बनाती हैं तो ही कांग्रेस की सदस्यता लूंगा अन्यथा कांग्रेस में नहीं आऊंगा. उन्होंने यह भी कहा कि वह न तो भाजपा के किसी कार्यक्रम में जाते हैं, न ही पदाधिकारी हैं. अभी तक मैंने भाजपा की सदस्यता का न त्याग किया है और न कांग्रेस की सदस्यता ली है. मैं अभी किसी पार्टी में नहीं हूं. पूरी तरह स्वतंत्र हूं.
क्या होगा असर
अवधेश प्रताप से यदि कांग्रेस ज्वाइन करते हैं और पार्टी उन्हें टिकट देती है तो निश्चित रूप से भी यह भाजपा के लिए एक बड़ा झटका होगा. अभी राहुल सिंह, लोधी समाज की जिन वोटों का दम भर रहे हैं, उनका भी ध्रुवीकरण हो जाएगा. भाजपा के लिए जीत की राह बहुत ही मुश्किल हो जाएगी. उस पर जयंत मलैया की अनदेखी भाजपा पर भारी भी पड़ सकती है.
एक अलग नजरिया यह भी
वरिष्ठ समाजसेवी और आरटीआई एक्टिविस्ट समाजवादी चिंतक संतोष भारती इस नए मामले को अलग ही नजरिए से देखते हैं. उनका मानना है कि जो लोग भी कांग्रेस के संपर्क में आ रहे हैं या कांग्रेस से भाजपा में जा रहे हैं, उसके पीछे एक मास्टरमाइंड है. जो चाहता है कि दमोह में केवल उसी की राजनीति चले, चाहे दल कोई भी हो. उसी सोची-समझी रणनीति के तहत मोहरों का आदान प्रदान किया जा रहा है.