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युवाओं ने छिंदवाड़ा की जनजातियों को कैनवास पर उकेरा

छिंदवाड़ा में समाजसेवी संस्था ने युवाओं की प्रतिभा को निखारने के लिए आर्ट गैलरी का आयोजन किया. इस आर्ट गैलरी का विषय जनजाति संस्कृति था. इस विषय पर युवाओं ने छिंदवाड़ा की सभी प्राचिन संस्कृति को हूबहू प्रदर्शित करने का प्रयास किया है. युवाओं ने जनजाति जीवन के हर पहलुओं को कैनवास पर उतारने का प्रयास किया है.

The youth engraved the tribes on the canvas
युवाओं ने जनजातियों को कैनवास पर उकेरा
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Published : Jan 24, 2021, 12:09 PM IST

Updated : Jan 24, 2021, 1:32 PM IST

छिंदवाड़ा। किसी भी क्षेत्र की पहचान उस क्षेत्र के इतिहास और संस्कृति से होती है. वर्तमान समय में संस्कृति को बचाए रखना ही सबसे बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. हम विकसीत बनने के लालच में हमारी स्वर्णिम संसकृति और इतिहास को भूलते जा रहे है. संसकृति से दूर जाना ही हमारे विकसित ना हो पाने का सबसे बड़ा कारण भी है. ऐसा नहीं है कि हर कोई संस्कृति से दूर जा रहा है. आज कई संस्थाएं संस्कृति को नए क्लेवर में पेश करने के लिए प्रयासरत है. छिंदवाड़ा की आदिवासी संस्कृति को कैनवास पर उतारकर लोगों से रूबरू कराने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था केकेएफ गोंडवाना ने आर्ट गैलरी का आयोजन किया.

यह आर्ट गैलरी 21 जनवरी से 26 जनवरी तक छिंदवाड़ा में आयोजित की गई है. इस कार्यक्रम का शुभारंभ छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अनसुईया उइके ने किया. इसमें छिंदवाड़ा के युवा कलाकारों ने लोक संस्कृति पर आधारित अद्भुत प्रतिभा को प्रदर्शनी में रखा है. युवाओं ने छिंदवाड़ा से जुड़ी सभी संसकृति को हूबहू कैनवास पर उतारा है. आर्ट गौलरी में पेंटिंग, रंगोली, पोट्रेट मेहंदी और मिट्टी की कलाकृति से इतिहास को फिर से जिंदा करने का प्रयास किया गया है.

युवाओं की प्रतिभा को निखारने के लिए आर्ट गैलरी का आयोजन

कलाकृति के माध्यम से संस्कृति को दिखाने का प्रयास

आर्ट गैलरी में छिंदवाड़ा के युवाओं ने अद्भुत कलाकृतियां बनाई हैं. जिसमें छिंदवाड़ा की आदिम जातियों का खान-पान, रहन-सहन और पहनावे पर फोकस किया गया है. प्रतिभागी युवाओं ने जनजातियों के एक-एक पहलुओं को जीवित करने का प्रयास किया. इस आर्ट गैलरी में छिंदवाड़ा के रजत गढ़ेवाल, श्रेष्ठ अल्दक, खुशी गुप्ता, प्रियंका भावरकर, वीणा विश्वकर्मा, आयुष आसोलकर और सुमित जोशी ने हिस्सा लिया.

The youth engraved the tribes on the canvas
युवाओं ने जनजातियों को कैनवास पर उकेरा

कई जनजातियों का किया प्रदर्शन

प्रतिभागियों ने छिंदवाड़ा की सभी जनजातियों को दिखाने का प्रयास किया है. प्रतिभागियों ने विलुप्त हो चुकि संस्कृति को भी कलाकारी के माध्यम से फिर से दिखाने का प्रयास किया गया है. आर्ट गैलरी में प्रतिभागियों ने जनजाति विशेष रंगोली, रियलिस्टिक जनजाति पोट्रेट मेहंदी, मिट्टी से बने जनजाति आधारित आभूषण और आदिवासी गोंड पेंटिंग आदि प्रदर्शित की है. इसके अलावा युवाओंं ने अपने प्रदर्शित की गई संस्कृति का विवरण भी विस्तार से किया.

The youth engraved the tribes on the canvas
युवाओं ने जनजातियों को कैनवास पर उकेरा

कला प्रदर्शन करने का युवाओं को मिला मौका

पेंटिंग प्रदर्शनी और आर्ट गैलरी जैसे एग्जीबिशन आमतौर पर महानगर में आयोजित किए जाते हैं, लेकिन छिंदवाड़ा में समाजसेवी संस्था केकेएफ ने जिले के कलाकारों को पहली बार मंच दिया है. जिससे यहां युवाओं में बेहद खुशी है. उन्हें भी लग रहा है कि छिंदवाड़ा में कला की कद्र होने लगी है. प्रतिभागी युवाओं का मानना है कि ऐसी प्रदर्शनी ना ही संस्कृति को जिवित रखेगी बल्कि युवाओं को आगे बढ़ने में मदद करेगी. युवाओं को वैश्विक स्तर पर भी रोजगार मिलने की संभावनाओं को भी बढ़ाएगी है.

The youth engraved the tribes on the canvas
युवाओं ने जनजातियों को कैनवास पर उकेरा

व्यक्तित्व विकास पर भी कार्यशाला का आयोजन

छिंदवाड़ा के युवाओं की कला को निखारने के साथ ही यहां पर लोक बोली के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया है. इसके साथ ही युवाओं को व्यक्तित्व विकास के लिए अलग-अलग सेशन दिए जा रहे हैं. युवाओं को इस तरह के कार्यक्रमों में मौका देना भी रोजगार की ओर बढ़ाने का एक अच्छा प्रयास है. युवा उम्र क्रांंतिकारी उम्र होती है. यदि इस उम्र में किसी को सही मार्गदर्शन मिल जाता है तो, युवा के भविष्य की नींव मजबूत हो जाती है.

संस्कृति को पहचान के साथ मंच देने का प्रयास

केकेएफ के फाउंडर डायरेक्टर नितिन जैन का कहना है कि इस आर्ट गैलरी का उद्देश्य छिंदवाड़ा जिले आदिवासी संस्कृतियों को फिर से जिवित करना तो है ही. इसके साथ ही जिले की उभरती युवा प्रतिभाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहचान दिलाने का प्रयास करना है.

छिंदवाड़ा। किसी भी क्षेत्र की पहचान उस क्षेत्र के इतिहास और संस्कृति से होती है. वर्तमान समय में संस्कृति को बचाए रखना ही सबसे बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. हम विकसीत बनने के लालच में हमारी स्वर्णिम संसकृति और इतिहास को भूलते जा रहे है. संसकृति से दूर जाना ही हमारे विकसित ना हो पाने का सबसे बड़ा कारण भी है. ऐसा नहीं है कि हर कोई संस्कृति से दूर जा रहा है. आज कई संस्थाएं संस्कृति को नए क्लेवर में पेश करने के लिए प्रयासरत है. छिंदवाड़ा की आदिवासी संस्कृति को कैनवास पर उतारकर लोगों से रूबरू कराने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था केकेएफ गोंडवाना ने आर्ट गैलरी का आयोजन किया.

यह आर्ट गैलरी 21 जनवरी से 26 जनवरी तक छिंदवाड़ा में आयोजित की गई है. इस कार्यक्रम का शुभारंभ छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अनसुईया उइके ने किया. इसमें छिंदवाड़ा के युवा कलाकारों ने लोक संस्कृति पर आधारित अद्भुत प्रतिभा को प्रदर्शनी में रखा है. युवाओं ने छिंदवाड़ा से जुड़ी सभी संसकृति को हूबहू कैनवास पर उतारा है. आर्ट गौलरी में पेंटिंग, रंगोली, पोट्रेट मेहंदी और मिट्टी की कलाकृति से इतिहास को फिर से जिंदा करने का प्रयास किया गया है.

युवाओं की प्रतिभा को निखारने के लिए आर्ट गैलरी का आयोजन

कलाकृति के माध्यम से संस्कृति को दिखाने का प्रयास

आर्ट गैलरी में छिंदवाड़ा के युवाओं ने अद्भुत कलाकृतियां बनाई हैं. जिसमें छिंदवाड़ा की आदिम जातियों का खान-पान, रहन-सहन और पहनावे पर फोकस किया गया है. प्रतिभागी युवाओं ने जनजातियों के एक-एक पहलुओं को जीवित करने का प्रयास किया. इस आर्ट गैलरी में छिंदवाड़ा के रजत गढ़ेवाल, श्रेष्ठ अल्दक, खुशी गुप्ता, प्रियंका भावरकर, वीणा विश्वकर्मा, आयुष आसोलकर और सुमित जोशी ने हिस्सा लिया.

The youth engraved the tribes on the canvas
युवाओं ने जनजातियों को कैनवास पर उकेरा

कई जनजातियों का किया प्रदर्शन

प्रतिभागियों ने छिंदवाड़ा की सभी जनजातियों को दिखाने का प्रयास किया है. प्रतिभागियों ने विलुप्त हो चुकि संस्कृति को भी कलाकारी के माध्यम से फिर से दिखाने का प्रयास किया गया है. आर्ट गैलरी में प्रतिभागियों ने जनजाति विशेष रंगोली, रियलिस्टिक जनजाति पोट्रेट मेहंदी, मिट्टी से बने जनजाति आधारित आभूषण और आदिवासी गोंड पेंटिंग आदि प्रदर्शित की है. इसके अलावा युवाओंं ने अपने प्रदर्शित की गई संस्कृति का विवरण भी विस्तार से किया.

The youth engraved the tribes on the canvas
युवाओं ने जनजातियों को कैनवास पर उकेरा

कला प्रदर्शन करने का युवाओं को मिला मौका

पेंटिंग प्रदर्शनी और आर्ट गैलरी जैसे एग्जीबिशन आमतौर पर महानगर में आयोजित किए जाते हैं, लेकिन छिंदवाड़ा में समाजसेवी संस्था केकेएफ ने जिले के कलाकारों को पहली बार मंच दिया है. जिससे यहां युवाओं में बेहद खुशी है. उन्हें भी लग रहा है कि छिंदवाड़ा में कला की कद्र होने लगी है. प्रतिभागी युवाओं का मानना है कि ऐसी प्रदर्शनी ना ही संस्कृति को जिवित रखेगी बल्कि युवाओं को आगे बढ़ने में मदद करेगी. युवाओं को वैश्विक स्तर पर भी रोजगार मिलने की संभावनाओं को भी बढ़ाएगी है.

The youth engraved the tribes on the canvas
युवाओं ने जनजातियों को कैनवास पर उकेरा

व्यक्तित्व विकास पर भी कार्यशाला का आयोजन

छिंदवाड़ा के युवाओं की कला को निखारने के साथ ही यहां पर लोक बोली के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया है. इसके साथ ही युवाओं को व्यक्तित्व विकास के लिए अलग-अलग सेशन दिए जा रहे हैं. युवाओं को इस तरह के कार्यक्रमों में मौका देना भी रोजगार की ओर बढ़ाने का एक अच्छा प्रयास है. युवा उम्र क्रांंतिकारी उम्र होती है. यदि इस उम्र में किसी को सही मार्गदर्शन मिल जाता है तो, युवा के भविष्य की नींव मजबूत हो जाती है.

संस्कृति को पहचान के साथ मंच देने का प्रयास

केकेएफ के फाउंडर डायरेक्टर नितिन जैन का कहना है कि इस आर्ट गैलरी का उद्देश्य छिंदवाड़ा जिले आदिवासी संस्कृतियों को फिर से जिवित करना तो है ही. इसके साथ ही जिले की उभरती युवा प्रतिभाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहचान दिलाने का प्रयास करना है.

Last Updated : Jan 24, 2021, 1:32 PM IST
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