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छिंदवाड़ा: जलवायु परिवर्तन विषय पर किया गया कार्यशाला का आयोजन, वैज्ञानिकों ने बताया कैसे बनाएं संतुलन - मौसम परिवर्तन

छिंदवाड़ा में बदलते मौसम के चलते शहर के कृषि अनुसंधान केंद्र में एक दिवसीय जलवायु परिवर्तन पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. लगातार पृथ्वी पर हो रही पानी की कमी, तापमान में वृद्धि, इन सब बातों को लेकर वैज्ञानिकों ने कार्यशाला का आयोजन किया था.

जलवायु परिवर्तन विषय पर कार्यशाला का आयोजन
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Published : Apr 10, 2019, 7:10 PM IST

छिंदवाड़ा| बदलते मौसम के चलते शहर के कृषि अनुसंधान केंद्र में एक दिवसीय जलवायु परिवर्तन पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में दिल्ली से आए वैज्ञानिकों ने बताया कि जलवायु परिवर्तन से क्या-क्या नुकसान होते हैं और इसे कैसे संतुलित किया जा सकता है.

यश नरेश कुमार ने बताया जलवायु परिवर्तन का पूरी दुनिया पर प्रभाव हो रहा है. इसका हमारे जन जीवन, पशु, पानी, मृदा आदि में बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है. इस समय किस प्रकार से जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कम किया जाए और किस प्रकार फसलों की उत्पादन क्षमता बढ़ाई जाए, इस बारे में गहन चिंतन किया जा रहा है.

जलवायु परिवर्तन विषय पर कार्यशाला का आयोजन

जलवायु परिवर्तन भारत में ही नहीं पूरे विश्व की बहुत बड़ी समस्या है. इससे निपटने के लिए किस प्रकार अपने आप को अनुकूलित किया जा सकता है, फसलों को किस प्रकार बचाया जा सकता है, मिट्टी की उर्वरक क्षमता कैसे बढ़ाई जा सकती है, लगातार पृथ्वी पर हो रही पानी की कमी, तापमान में वृद्धि, इन सब बातों को लेकर वैज्ञानिकों ने कार्यशाला का आयोजन किया था.

छिंदवाड़ा| बदलते मौसम के चलते शहर के कृषि अनुसंधान केंद्र में एक दिवसीय जलवायु परिवर्तन पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में दिल्ली से आए वैज्ञानिकों ने बताया कि जलवायु परिवर्तन से क्या-क्या नुकसान होते हैं और इसे कैसे संतुलित किया जा सकता है.

यश नरेश कुमार ने बताया जलवायु परिवर्तन का पूरी दुनिया पर प्रभाव हो रहा है. इसका हमारे जन जीवन, पशु, पानी, मृदा आदि में बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है. इस समय किस प्रकार से जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कम किया जाए और किस प्रकार फसलों की उत्पादन क्षमता बढ़ाई जाए, इस बारे में गहन चिंतन किया जा रहा है.

जलवायु परिवर्तन विषय पर कार्यशाला का आयोजन

जलवायु परिवर्तन भारत में ही नहीं पूरे विश्व की बहुत बड़ी समस्या है. इससे निपटने के लिए किस प्रकार अपने आप को अनुकूलित किया जा सकता है, फसलों को किस प्रकार बचाया जा सकता है, मिट्टी की उर्वरक क्षमता कैसे बढ़ाई जा सकती है, लगातार पृथ्वी पर हो रही पानी की कमी, तापमान में वृद्धि, इन सब बातों को लेकर वैज्ञानिकों ने कार्यशाला का आयोजन किया था.

Intro:छिंदवाड़ा एक दिवसीय जलवायु परिवर्तन पर रखी गई कार्यशाला, दिल्ली से आए ,वैज्ञानिकों ने बताया कैसी जलवायु परिवर्तन से क्या - क्या नुकसान है और से कैसे संतुलित किया जा सकता है


Body:पूरी दुनिया में बदल रहे मौसम में परिवर्तन को लेकर पूरा विश्व चिंतित है ,लगातार मौसम में आ रहे परिवर्तन को लेकर चिंतन किया जा रहा है कि किस प्रकार से जलवायु और मौसम परिवर्तन को कंट्रोल किया जा सके व संतुलित किया जा सके
इसी के चलते आज छिंदवाड़ा में कृषि अनुसंधान केंद्र में एक दिवसीय जलवायु परिवर्तन पर कार्यशाला का आयोजन किया गया इस कार्यक्रम में दिल्ली से आए वैज्ञानिकों ने भाग लिया
यश नरेश कुमार भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली ने बताया जलवायु परिवर्तन दुनिया भर का प्रभाव हो रहा है इसका असर हमारी जन जीवन , पशु, पानी ,मृदा आदि में बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है किसानों को नुकसान जलवायु परिवर्तन के कारण बहुत हो रहा है इस समय उसे किस प्रकार से जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कम किया जा सकता है और जलवायु परिवर्तन के बाद फसलों को किस प्रकार उत्पादन के साथ साथ किस प्रकार उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा सकती है इस बारे में भी गहन चिंतन किया जाए , इसके बारे में भारत में जलवायु परिवर्तन पर चर्चा की जा रही है

डॉक्टर ओम प्रकाश, प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली ,ने कहा जलवायु परिवर्तन से क्या क्या परिवर्तन हो रहे हैं जल वायु मिटटी, जंगल आदि ने किस प्रकार से जीवन के उपयोगी बनाया जा सके हम लोग शोध कर रहे हैं कृषि के क्षेत्र में फसलों को किस प्रकार पैदा बार बढ़ाई जा सकती है और विचार किया जा रहा है और कि जलवायु परिवर्तन पर चल रहा कार्यक्रम महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में कई जगह किया जा चुका है कि आज छिंदवाड़ा का आयोजन किया गया है
बाईट 01 - यश नरेश कुमार भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली
बाईट 02- डॉ ओमप्रकाश प्रधान वैज्ञानिक भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली
बाईट 03- विजय पाटकर कृषि अनुसंधान केंद्र छिंदवाड़ा


Conclusion:जलवायु परिवर्तन देसी नहीं पूरे विश्व की बहुत बड़ी समस्या है इससे निपटने के लिए किस प्रकार अपने आप को अनुकूलित किया जा सकता है फसलों को किस प्रकार बचाया जा सकता है मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाई जा सकती है लगातार पृथ्वी पर हो रही पानी की कमी ,तापमान में वृद्धि ,इसी सब बातों को लेकर वैज्ञानिकों द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया इस प्रकार से जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम किया जा सके
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