छिंदवाड़ा। वैसे तो जल संकट एक वैश्विक संकट बन गया है. पीने के पानी को लेकर दुनिया के कई देशों में हालात बहुत खराब हो गए हैं. आलम यह है कि लोगों को चंद पानी में अपना गुजारा करना पड़ रहा है. इसके साथ ही स्रोतों का सीमित होना और गिरते जलस्तर के कारण प्रशासन ने छिंदवाड़ा जिला को जल अभावग्रस्त घोषित कर दिया है. पेयजल संकट की स्थिति को देखते हुए सार्वजनिक जल स्रोतों के पास ही निजी जल स्रोतों के उत्खनन पर तत्काल रोक लगा दी गई है
ज्यादा बारिश लेकिन पानी का संकट
छिंदवाड़ा जिले में 1059 एमएम औसत बारिश होती है. इस बार और सबसे 40 फीसदी से ज्यादा बारिश रिकॉर्ड हुई है. इसके बाद भी गर्मी की शुरुआत में ही जल स्रोतों का जलस्तर तेजी से गिर रहा है. जिले में पेयजल संकट को देखते हुए कलेक्टर ने मध्य प्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम के तहत छिंदवाड़ा जिले को जल अभाव ग्रस्त क्षेत्र घोषित किया है.
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ब्लॉक लेवल पर भी बनाए जाएंगे कंट्रोल रूम
पीएचई विभाग ने जिले की ग्रामीण बसाहटों में पेयजल संकट को देखते हुए अनुश्रवण एवं निराकरण प्रकोष्ठ का गठन किया है. जिसमें प्रकोष्ठ के प्रभारी के साथ तीन प्रकोष्ठ सदस्य नियुक्त किए गए हैं. जिला स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित करने के साथ ब्लॉक स्तर पर भी कंट्रोल रूम बनाए जाएंगे. कलेक्टर ने सार्वजनिक जल स्रोतों के पास निजी जल स्रोतों के खनन पर 15 जून या बारिश शुरू होने तक प्रतिबंध लगाया है. आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के निर्देश जारी किए हैं. आदेश में कहा गया है कि निजी भूमि पर बोरिंग के लिए आवेदन के साथ शुल्क जमा करना होगा और सरकारी बोरिंग से 150 मीटर के दायरे में नया बोर प्रतिबंधित किया गया है. निजी बोर की गहराई शासकीय बोर की गहराई से कम रहेगी. इसके लिए एसडीएम से अनुमति के बिना कोई भी प्राइवेट ठेकेदार बोरिंग नहीं कर सकेगा.