छिंदवाड़ा। कोरोना महामारी से पूरा देश लड़ रहा है और इस महामारी से लड़ने के लिए शरीर की इम्यूनिटी अच्छी होनी चाहिए. दुनिया में अनोखी पहचान रखने वाले पातालकोट के आदिवासियों की इम्यूनिटी का राज महुआ है.
कोरोना बीमारी से लड़ने के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होनी चाहिए, जिसकी रोगप्रतिरोधक क्षमता अच्छी है, कोरोना उस तक नहीं पहुंच पा रहा है. सरकार भी लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कई तरह की आयुर्वेदिक और एलोपैथी दवाइयों का वितरण कर रही है.
महुआ खाकर बढ़ा रहे इम्यूनिटी
भले ही सरकार लोगों को इम्यूनिटी बढ़ाने की दवाइयां बांट रही हो, लेकिन पातालकोट में रहने वाले आदिवासियों के लिए ये दवा कोई मायने नहीं रखती. खुद पतालकोट के निवासियों का कहना है कि, वे जंगल में उपजने वाले महुआ के फूल को खाकर अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं, जिससे उनके शरीर में कोई बीमारी नहीं होती.
दरअसल, पातालकोट के निवासी वनोपज पर ही आश्रित रहते हैं. इसलिए इनकी दिनचर्या सुबह वनोपज खाने से ही शुरू होती है, फिर चाहे महुआ के बीज हों या देशी भाजियों के साथ जड़ी-बूटियों का समावेश, इनकी इम्यूनिटी के सामने कोरोना हो या फिर दुनिया की कोई भी बीमारी टिक नहीं पाती.