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'हमारा घर हमारा विद्यालय' अभियान के तहत घर-घर पहुंचे शिक्षक, कहीं पालक नदारद तो कहीं शिष्य गायब

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Published : Jul 7, 2020, 2:03 PM IST

विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य शिक्षा विभाग ने पहली से 8वीं तक के छात्रों के लिए 'हमारा घर हमारा विद्यालय अभियान' की शुरुआत छह जुलाई से की है. लेकिन छिंदवाड़ा में शिक्षकों को पहले ही दिन निराशा हाथ लगी.

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कहीं पालक तो कहीं शिष्य रहे नदारद

छिंदवाड़ा। लॉकडाउन के दौरान बंद स्कूलों और दिन-रात घरों में रहने के कारण बच्चे निराश हो रहे थे. इसे ध्यान में रखते हुए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य शिक्षा विभाग ने पहली से 8वीं तक के छात्रों के लिए 'हमारा घर हमारा विद्यालय अभियान' की शुरुआत छह जुलाई से की है. जिसके तहत अब स्कूल की बजाय पालक और शिक्षक घरों में घंटी बजाकर स्कूल चालू करेंगे. अभियान के पहले ही दिन जिले में शिक्षकों को निराशा हाथ लगी.

कहीं पालक तो कहीं शिष्य रहे नदारद

'हमारा घर हमारा विद्यालय अभियान' के तहत अब शिक्षकों को स्कूल की बजाय बच्चों के घरों में ही पढ़ाना है. इसी कड़ी में सोमवार को शिक्षक अपने घर से बाहर निकले, लेकिन जैसे ही शिक्षक बच्चों के घर पहुंचे तो कहीं बच्चे घर में नहीं मिले तो कहीं पालक, यहां तक की किसी-किसी घर में ताले लगे भी मिले. सोमवार से शुरू हुए इस अभियान में पहले दिन ही शिक्षकों को परेशान होना पड़ा क्योंकि शिक्षकों को पालक घर पर नहीं मिले. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में अध्यापन कार्य कराने वाले शिक्षकों को बच्चों के घर में ताले लगे मिले.

ये भी पढ़ें- भोपाल में मिले कोरोना के 86 नए मरीज, राजधानी में संक्रमितों की संख्या हुई 3,241

सुबह 10 बजे से घंटी बजाकर पालकों को स्कूल का शुभारंभ करना था, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र नदेवानी, मालेगांव, डुक्करझेला, साइखेड़ा में शिक्षकों को बच्चों के घरों में पहुंचने के बाद परेशानियों का सामना करना पड़ा. कई बच्चों के घरों में ताले और पालक मजदूरी करने बाहर गए थे, जबकि शहरी क्षेत्र पिपलानावार, सौसर में विधिवत इसका शुभारंभ किया गया है. शिक्षकों ने बताया कि घर-घर शिक्षा अभियान के दौरान शासन ने सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के साथ 30 प्रतिशत बच्चों की उपस्थिति में स्कूल शुरू करना चाहिए क्योंकि दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों के घर-घर जाकर शिक्षा देने में सबसे ज्यादा परेशानी महिला शिक्षिकाओं को होने वाली है. साथ ही संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ने वाला है.

छिंदवाड़ा। लॉकडाउन के दौरान बंद स्कूलों और दिन-रात घरों में रहने के कारण बच्चे निराश हो रहे थे. इसे ध्यान में रखते हुए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य शिक्षा विभाग ने पहली से 8वीं तक के छात्रों के लिए 'हमारा घर हमारा विद्यालय अभियान' की शुरुआत छह जुलाई से की है. जिसके तहत अब स्कूल की बजाय पालक और शिक्षक घरों में घंटी बजाकर स्कूल चालू करेंगे. अभियान के पहले ही दिन जिले में शिक्षकों को निराशा हाथ लगी.

कहीं पालक तो कहीं शिष्य रहे नदारद

'हमारा घर हमारा विद्यालय अभियान' के तहत अब शिक्षकों को स्कूल की बजाय बच्चों के घरों में ही पढ़ाना है. इसी कड़ी में सोमवार को शिक्षक अपने घर से बाहर निकले, लेकिन जैसे ही शिक्षक बच्चों के घर पहुंचे तो कहीं बच्चे घर में नहीं मिले तो कहीं पालक, यहां तक की किसी-किसी घर में ताले लगे भी मिले. सोमवार से शुरू हुए इस अभियान में पहले दिन ही शिक्षकों को परेशान होना पड़ा क्योंकि शिक्षकों को पालक घर पर नहीं मिले. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में अध्यापन कार्य कराने वाले शिक्षकों को बच्चों के घर में ताले लगे मिले.

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सुबह 10 बजे से घंटी बजाकर पालकों को स्कूल का शुभारंभ करना था, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र नदेवानी, मालेगांव, डुक्करझेला, साइखेड़ा में शिक्षकों को बच्चों के घरों में पहुंचने के बाद परेशानियों का सामना करना पड़ा. कई बच्चों के घरों में ताले और पालक मजदूरी करने बाहर गए थे, जबकि शहरी क्षेत्र पिपलानावार, सौसर में विधिवत इसका शुभारंभ किया गया है. शिक्षकों ने बताया कि घर-घर शिक्षा अभियान के दौरान शासन ने सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के साथ 30 प्रतिशत बच्चों की उपस्थिति में स्कूल शुरू करना चाहिए क्योंकि दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों के घर-घर जाकर शिक्षा देने में सबसे ज्यादा परेशानी महिला शिक्षिकाओं को होने वाली है. साथ ही संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ने वाला है.

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