छिंदवाड़ा। कोरोना काल में स्कूलों में ऑनलाइन क्लासेस के जरिए बच्चों को शिक्षा दी जा रही है. जिसके चलते अभिभावक और प्राइवेट स्कूल के लोगों के बीच फीस को लेकर खींचातानी मची हुई है. वहीं RTE के अंतर्गत बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा से वंचित किया जा रहा है.
कोरोना काल में हर वर्ग का व्यक्ति पर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. वहीं इस महामारी के चलते स्कूलों में शिक्षा ऑनलाइन माध्यम से कराई जा रही है. जिसको लेकर प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की फीस को लेकर अभिभावक और प्राइवेट स्कूलों में तनाव चल रहा है. अभिभावकों का आरोप है कि RTE के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों द्वारा नहीं पढ़ाया जा रहा और ना ही उनका एग्जाम लिया जा रहा है. जिससे उनके भविष्य के साथ प्राइवेट स्कूल खिलवाड़ कर रहे हैं. इसकी शिकायत उन्होंने कई बार की भी पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.
जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि आरटीई के तहत गैर सरकारी स्कूलों को अनिवार्य रूप से पढ़ाना होगा. यदि कोई स्कूल ऐसा करता है तो वहां उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. RTE के तहत मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार RTE के नियम तहत भारत सरकार ने एक नियम बनाया गया है कि प्रत्येक गैर सरकारी विनियमित स्कूल को आर्थिक कमजोर (ईडब्ल्यूएस) के 25 प्रतिशत सीट आरक्षित करनी होगी.