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AC वाले ऑफिस और लाखों के पैकेज में भी नहीं मिला सुकून तो इंजीनियर ने खोली चाय की दुकान - Software engineer selling tea in chhindwara

आधुनिक युग में अपनी जिंदगी के सुकून और सपनों को दरकिनार करने वालों के लिए छिंदवाड़ा के इंजीनियर चायवाला ने मिसाल पेश की है. सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने मल्टीनेशनल कंपनी में सुकून नहीं मिलने पर खुद चाय बेचने का काम शुरू किया है. पढ़ें पूरी खबर...

Engineer chaiwala
इंजीनियर चायवाला
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Published : Sep 2, 2020, 6:12 PM IST

छिंदवाड़ा। इस दौड़ भाग भरी जिंदगी में हर एक शख्स अपनी जिंदगी में सिर्फ यही चाहत रखता है कि वो जो भी काम करे उसमें उसे सुकून मिले. इस सुकून के ही लिए छिंदवाड़ा के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने अपनी नौकरी छोड़ छोटी सी चाय की दुकान खोल ली और आत्मनिर्भर बन गए.

इंजीनियर चायवाला

मल्टीनेशनल कंपनी में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी करने वाले अंकित नागवंशी लाखों कमाते थे, लेकिन वहां उन्हें वो सुकून नहीं मिला जिसे वे चाहते थे, इसलिए उन्होंने शहर के ELC चौक में खुद का चाय का ठेला लगाकर व्यापार शुरु किया है, जिसका नाम है 'इंजीनियर चायवाला'.

पैसा तो था लेकिन सुकून नहीं

इंजीनियर चायवाला अंकित नागवंशी ने बताया कि मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने के बाद उन्होंने पैसा तो बहुत कमाया लेकिन उन्हें सुकून नहीं मिला. खुद के काम करने में अपना एक अलग रुतबा रहता है, फिर चाहे काम बड़ा हो या छोटा. इसलिए उन्होंने चाय की दुकान से शुरुआत की है.

चाय बेचने वालों से मिली प्रेरणा

अंकित नागवंशी बताते हैं कि जब वह ऑफिस काम करने जाते थे तो वहां पर उनके टेबल में रोजाना दो टाइम चाय आती थी. जब वह चाय बेचने वालों से उनकी कमाई के बारे में पूछते तो उनकी कमाई लाखों में होती थी. ऐसे में अंकित नागवंशी ने सोचा कि जब दूसरों की नौकरी करके भी उनसे कम ही कमाना है तो क्यों ना खुद का अपना व्यापार शुरू किया जाए.

लोगों का काम है कहना

अंकित नागवंशी का कहना है कि जब उन्होंने इस ठेले में चाय की दुकान खोलने की सोची तो उन्हें भी लगा था कि लोग क्या कहेंगे. लेकिन लोग सिर्फ दूसरों के बारे में बात कर सकते हैं, जब परेशानियां सामने आती हैं तो उससे खुद को ही जूझना पड़ता है. इसलिए कभी भी कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता. मैंने अपनी शुरुआत ठेले से की है जिसे मैं एक रेस्टोरेंट का रूप दूंगा.

टाइमिंग से बनती है चाय

अंकित अपने हुनर का चाय की दुकान में भी बखूबी इस्तेमाल करते हैं. बकायदा मोबाइल की घड़ी में देखकर चाय की टाइमिंग फिक्स करते हैं और उस हिसाब से ही चाय को पकाते हैं. उन्होंने अपनी दुकान का नाम इंजीनियर चायवाला रखा है और अलग-अलग तरह की चाय के साथ ही उन्होंने अपनी कहानी भी लिखी है कि उन्होंने दुकान क्यों खोली और किन-किन संस्थानों में वे अबतक नौकरी कर चुके हैं.

गलत रास्ते में जाने की बजाय लोग खुद पर हों निर्भर

इंजीनियर चायवाला अंकित नागवंशी कहते हैं कि जरा-सी असफलता में कई लोग खासतौर पर युवा गलत रास्ते पर चले जाते हैं. यहां तक कि लोग अपनी जिंदगी भी खत्म कर लेते हैं. कभी भी लोगों को खुद पर से भरोसा नहीं खोना चाहिए.

इंजीनियर चायवाला अंकित नागवंशी सैकड़ों लोगों के लिए मिसाल हैं, जो दिनभर की भागदौड़ भरी जिंदगी न सिर्फ अपना सुकून खो रहे हैं बल्कि अपने सपनों को भी भूलते जा रहे हैं. ETV भारत उनकी पहल और आत्मविश्वास को सलाम करता है.

छिंदवाड़ा। इस दौड़ भाग भरी जिंदगी में हर एक शख्स अपनी जिंदगी में सिर्फ यही चाहत रखता है कि वो जो भी काम करे उसमें उसे सुकून मिले. इस सुकून के ही लिए छिंदवाड़ा के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने अपनी नौकरी छोड़ छोटी सी चाय की दुकान खोल ली और आत्मनिर्भर बन गए.

इंजीनियर चायवाला

मल्टीनेशनल कंपनी में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी करने वाले अंकित नागवंशी लाखों कमाते थे, लेकिन वहां उन्हें वो सुकून नहीं मिला जिसे वे चाहते थे, इसलिए उन्होंने शहर के ELC चौक में खुद का चाय का ठेला लगाकर व्यापार शुरु किया है, जिसका नाम है 'इंजीनियर चायवाला'.

पैसा तो था लेकिन सुकून नहीं

इंजीनियर चायवाला अंकित नागवंशी ने बताया कि मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने के बाद उन्होंने पैसा तो बहुत कमाया लेकिन उन्हें सुकून नहीं मिला. खुद के काम करने में अपना एक अलग रुतबा रहता है, फिर चाहे काम बड़ा हो या छोटा. इसलिए उन्होंने चाय की दुकान से शुरुआत की है.

चाय बेचने वालों से मिली प्रेरणा

अंकित नागवंशी बताते हैं कि जब वह ऑफिस काम करने जाते थे तो वहां पर उनके टेबल में रोजाना दो टाइम चाय आती थी. जब वह चाय बेचने वालों से उनकी कमाई के बारे में पूछते तो उनकी कमाई लाखों में होती थी. ऐसे में अंकित नागवंशी ने सोचा कि जब दूसरों की नौकरी करके भी उनसे कम ही कमाना है तो क्यों ना खुद का अपना व्यापार शुरू किया जाए.

लोगों का काम है कहना

अंकित नागवंशी का कहना है कि जब उन्होंने इस ठेले में चाय की दुकान खोलने की सोची तो उन्हें भी लगा था कि लोग क्या कहेंगे. लेकिन लोग सिर्फ दूसरों के बारे में बात कर सकते हैं, जब परेशानियां सामने आती हैं तो उससे खुद को ही जूझना पड़ता है. इसलिए कभी भी कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता. मैंने अपनी शुरुआत ठेले से की है जिसे मैं एक रेस्टोरेंट का रूप दूंगा.

टाइमिंग से बनती है चाय

अंकित अपने हुनर का चाय की दुकान में भी बखूबी इस्तेमाल करते हैं. बकायदा मोबाइल की घड़ी में देखकर चाय की टाइमिंग फिक्स करते हैं और उस हिसाब से ही चाय को पकाते हैं. उन्होंने अपनी दुकान का नाम इंजीनियर चायवाला रखा है और अलग-अलग तरह की चाय के साथ ही उन्होंने अपनी कहानी भी लिखी है कि उन्होंने दुकान क्यों खोली और किन-किन संस्थानों में वे अबतक नौकरी कर चुके हैं.

गलत रास्ते में जाने की बजाय लोग खुद पर हों निर्भर

इंजीनियर चायवाला अंकित नागवंशी कहते हैं कि जरा-सी असफलता में कई लोग खासतौर पर युवा गलत रास्ते पर चले जाते हैं. यहां तक कि लोग अपनी जिंदगी भी खत्म कर लेते हैं. कभी भी लोगों को खुद पर से भरोसा नहीं खोना चाहिए.

इंजीनियर चायवाला अंकित नागवंशी सैकड़ों लोगों के लिए मिसाल हैं, जो दिनभर की भागदौड़ भरी जिंदगी न सिर्फ अपना सुकून खो रहे हैं बल्कि अपने सपनों को भी भूलते जा रहे हैं. ETV भारत उनकी पहल और आत्मविश्वास को सलाम करता है.

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