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2500 से अधिक सांप पकड़ चुके सतीश विश्वकर्मा ने मांगी मानदेय राशि, काम बंद करने की दी चेतावनी

2500 से अधिक सांप पकड़ने वाले सतीश विश्वकर्मा ने सांप पकड़ने के लिए मानदेय राशि मांगी है. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं होती तो वह ये काम बंद कर देंगे. अब तक सतीश शर्मा निशुल्क सांप पकड़ रहे हैं.

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Published : Sep 19, 2019, 10:45 AM IST

Updated : Sep 19, 2019, 8:37 PM IST

सतीश शर्मा निशुल्क सांप पकड़े

छिंदवाड़ा। वन विभाग में कमप्यूर ऑपरेटर के पद पर पदस्थ्य सतीश विश्वकर्मा को सर्पमित्र नाम से बुलाया जाता है. उन्होंने अब तक 2500 से अधिक सांपों को पकड़ा है. खास बात ये है कि जान हथेली पर रख वे निशुल्क सांप पकड़ते हैं. अजगर, कोबरा जैसे खतरनाक सांपों को पकड़ना उनके लिए आसान काम है.

2500 से अधिक सांप पकड़ चुके सतीश विश्वकर्मा ने मांगी मानदेय राशि

24 जून 2009 को उन्हें वन विभाग में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद नियुक्ति मिली थी. जिसके 3 साल बाद अमरवाड़ा रेंजर इंदर सिंह से प्रेरित होकर उन्होनें सांप पकड़ने का सिलसिला शुरू किया जो अब तक जारी है. पहली बार अमरवाड़ा की शिक्षक कॉलोनी में उन्होंने सांप पकड़ा था. सतीश विश्वकर्मा ने सांप पकड़ने के लिए मानदेय राशि मांग की है. मांग पूरी नहीं होने पर उन्होंने सर्प पकड़ने का काम बंद करने की बात भी कही.

'अनदेखी के चलते छोडूंगा सर्पमित्र का काम'
सतीश विश्वकर्मा को 2012 से 2019 तक एक ही बार डीएफओ ने उन्हें सर्टिफिकेट दिया है, जबकि अमरवाड़ा में छोटे-छोटे कार्यों को करने वाले को भी प्रशस्ति पत्र, प्रमाण पत्र और सर्टिफिकेट दिए जाते हैं. इसी को देखते हुए उन्होंने 2020 में सर्पमित्र का कार्य छोड़ने की बात भी कही है.

औजार की मांग नहीं हुई पूरी


कई बार उन्हें अपने ही पैसे खर्च करके संबंधित व्यक्ति के घर तक पहुंचना पड़ता है. इसके बाद भी वह पैसे नहीं लेते और विभाग की तरफ से सांप पकड़ने के लिए उन्हें कोई औजार भी नहीं दिया गया. इसके लिए उन्होंने नगपालिका के आला अधिकारियों से अनुरोध भी किया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

कई प्रकार के सांपो की कर चुके हैं खोज

अमरवाड़ा में कई प्रकार के सांपों की प्रजाति पाई जाती है, जिसे सतीश विश्वकर्मा ने खोजा है. इन सांपों की प्रजाति में रसल वाइपर, इंडियन क्रेट, कोबरा जैसे खतरनाक सांप भी पाए जाते हैं, जो काफी जहरीले होते हैं. सतीश विश्वकर्मा ने बताया कि पिछले महीने ही उन्होंने दो मुंह वाले सांप को पकड़ा था, जिसे सेंड गुहा कहा जाता है.

छिंदवाड़ा। वन विभाग में कमप्यूर ऑपरेटर के पद पर पदस्थ्य सतीश विश्वकर्मा को सर्पमित्र नाम से बुलाया जाता है. उन्होंने अब तक 2500 से अधिक सांपों को पकड़ा है. खास बात ये है कि जान हथेली पर रख वे निशुल्क सांप पकड़ते हैं. अजगर, कोबरा जैसे खतरनाक सांपों को पकड़ना उनके लिए आसान काम है.

2500 से अधिक सांप पकड़ चुके सतीश विश्वकर्मा ने मांगी मानदेय राशि

24 जून 2009 को उन्हें वन विभाग में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद नियुक्ति मिली थी. जिसके 3 साल बाद अमरवाड़ा रेंजर इंदर सिंह से प्रेरित होकर उन्होनें सांप पकड़ने का सिलसिला शुरू किया जो अब तक जारी है. पहली बार अमरवाड़ा की शिक्षक कॉलोनी में उन्होंने सांप पकड़ा था. सतीश विश्वकर्मा ने सांप पकड़ने के लिए मानदेय राशि मांग की है. मांग पूरी नहीं होने पर उन्होंने सर्प पकड़ने का काम बंद करने की बात भी कही.

'अनदेखी के चलते छोडूंगा सर्पमित्र का काम'
सतीश विश्वकर्मा को 2012 से 2019 तक एक ही बार डीएफओ ने उन्हें सर्टिफिकेट दिया है, जबकि अमरवाड़ा में छोटे-छोटे कार्यों को करने वाले को भी प्रशस्ति पत्र, प्रमाण पत्र और सर्टिफिकेट दिए जाते हैं. इसी को देखते हुए उन्होंने 2020 में सर्पमित्र का कार्य छोड़ने की बात भी कही है.

औजार की मांग नहीं हुई पूरी


कई बार उन्हें अपने ही पैसे खर्च करके संबंधित व्यक्ति के घर तक पहुंचना पड़ता है. इसके बाद भी वह पैसे नहीं लेते और विभाग की तरफ से सांप पकड़ने के लिए उन्हें कोई औजार भी नहीं दिया गया. इसके लिए उन्होंने नगपालिका के आला अधिकारियों से अनुरोध भी किया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

कई प्रकार के सांपो की कर चुके हैं खोज

अमरवाड़ा में कई प्रकार के सांपों की प्रजाति पाई जाती है, जिसे सतीश विश्वकर्मा ने खोजा है. इन सांपों की प्रजाति में रसल वाइपर, इंडियन क्रेट, कोबरा जैसे खतरनाक सांप भी पाए जाते हैं, जो काफी जहरीले होते हैं. सतीश विश्वकर्मा ने बताया कि पिछले महीने ही उन्होंने दो मुंह वाले सांप को पकड़ा था, जिसे सेंड गुहा कहा जाता है.

Intro:Body:अभी तक पकड़ चुके हैं 2500 से अधिक सर्प
अजगर कोबरा जैसे कई खतरनाक सांपों को कुए से जान में हथेली में रखकर पकड़ा
कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर पदस्थ कर रहे हैं सर्पमित्र का कार्य
शासन से सर्पमित्र के कार्य के मानदेय की मांग नहीं तो बंद कर देंगे यह कार्य

अमरवाड़ा - वन विभाग अमरवाड़ा पर पदस्थ कंप्यूटर ऑपरेटर सतीश विश्वकर्मा अब अपने मूल काम के साथ सर्पमित्र का काम भी कर रहे हैं जान हथेली पर रखकर सर्प पकड़ने का जज्बा को लेकर उन्होंने 24 जून 2009 को वन विभाग में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर जॉइन किया था वही उन्हें सिर्फ कंप्यूटर और ऑफिस के कामों में लगन शीलता थी पर सन 2012 में पदस्थ अमरवाड़ा रेंजर इंदर सिंह बारे के मार्गदर्शन में उन्होंने सर्पमित्र का कार्य चालू किया और उन्होंने पहली बार शिक्षक कॉलोनी अमरवाड़ा में निवासरत मथुरा प्रसाद पटवारी जी के यहां सन 2012 में ही पकड़ा,तब से वह निरंतर यह जन सेवा कार्य कर रहे हैं ।
*अनदेखी के कारण 2020 जनवरी में छोडूंगा सर्पमित्र का काम*
2012 से 2019 तक एक ही बार डीएफओ के द्वारा उन्हें सर्टिफिकेट मिला है जबकि अमरवाड़ा में छोटे-छोटे कार्यों को करने वाले को भी प्रशस्ति पत्र, प्रमाण पत्र और सर्टिफिकेट दिए जाते हैं तो यह अनदेखी सतीश विश्वकर्मा के साथ क्यों हो रही है
इसी बात को देखते हुए वह जनवरी 2020 में सर्पमित्र का कार्य छोड़ने की बात भी कह चुके हैं। उन्होंने बताया कि शासन की ओर से सर्पमित्र के कार्य करने के लिए कोई मानदेय नहीं मिलता है शासन उन्हें मानदेय दे तो वह यह कार निरंतर करते रहेंगे
*2012 से लगातार कर रहे हैं जनसेवा,*
सतीश विश्वकर्मा सन 2012 से लगातार सर्पमित्र का कार्य कर रहे हैं ,और वह इस कार्य का कोई पैसे भी नहीं लेते हैं वही कई बार उन्हें अपने ही पैसे खर्च करके संबंधित व्यक्ति तक पहुंचना पड़ता है और कई बार तो गाड़ी का पेट्रोल भी खत्म हो जाता है पर वह कैसे भी करके पीड़ित व्यक्ति तक पहुंच कर अपनी जनसेवा उन तक पहुंचाते है सांप पकड़ने के कई प्रकार के औजार उनके पास नहीं है हाथ के हथकरघा और स्ट्रिक्ट वगैरा भी नहीं है जो अपने खुद के पैसे से लेकर जन सेवा का कार्य कर रहे हैं ,क्या अमरवाड़ा का कोई विभाग नहीं चाहता कि जो व्यक्ति जन सेवा कर रहे हैं उनके लिए थोड़ी सी मदद की जाए उन्होंने कहा कि मैंने नगर पालिका से अनुरोध भी किया था कि मुझे कुछ औजार और सामग्री सांपों को पकड़ने के लिए दिया जाए पर उन्होंने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की वहीं उन्होंने बताया कि यह आश्चर्य की बात है कि अमरवाड़ा तहसील में छोटे-छोटे कार्यों पर प्रमाण पत्र दिए जाते हैं पर जन सेवा करने वाले व्यक्तियों को 2012 से 2019 तक मात्र एक सर्टिफिकेट 2016 में दिया गया है तब से अब तक ना कोई प्रशस्ति पत्र और ना ही कोई सर्टिफिकेट मिला है जो वास्तव में आश्चर्य की बात है
*वन विभाग का ही नहीं बल्कि पूरे तहसील का नाम किया है रोशन,*
छिंदवाड़ा जिले में कुछ मात्र ही सर्पमित्र हैं जो अपना सेवा कार्य जन सेवा को समर्पित करते हैं और अमरवाड़ा तहसील में भी इस शख्स ने अपनी एक अमिट जगह बना ली है और इन्होंने अपने परिवार का ही नहीं बल्कि पूरी तहसील का नाम रोशन किया है। जो समाज के प्रति अपनी सेवा भाव रखते हैं।
*2500 से ज्यादा पकड़ चुके हैं सांप,*
जानकारी के लिए बता दें कि अब तक लगभग 2500 से ज्यादा सांप सतीश विश्वकर्मा ने पकड़ चुके हैं और उन्हें सुरक्षित जंगलों में छोड़ा है जो काबिले तारीफ है यहां तक कि कोबरा ,रसल वाइपर और इंडियन क्रेट जैसे खतरनाक सांपों को भी पकड़कर जंगलों में छोड़ते हैं जो वाकई में खतरनाक भी है पर वह सेवा कार्य का जुनून ही अलग है कई बार कई खतरनाक स्थानों से कुए के अंदर से ही सांप को पकड़ा है अजगर कोबरा सहित कोई खतरनाक सांपों को पकड़कर सुरक्षित छोड़ा है
*अमरवाड़ा में रहकर कई प्रकार के सांपों की निकाली है खोज,*
जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि अमरवाड़ा में कई प्रकार के सांपों की प्रजाति पाई जाती है जिसमें रसल वाइपर ,इंडियन क्रेट, कोबरा जैसे खतरनाक सांप भी पाए जाते हैं जो जहरीले भी होते हैं वही उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि पिछले महीने ही दो मुंह का सांप भी अमरवाड़ा में पकड़े थे जिसे सेंड गुहा कहा जाता है और कई प्रकार की प्रजातियां भी यहां पाई जाती है
*अमरवाड़ा सहित आसपास के ही नहीं बल्कि सिंगोड़ी, हर्रई, बटका खापा और धनोरा जैसे क्षेत्रों में भी बुलाया जाता है इन्हें,*
अमरवाड़ा विधानसभा में प्रख्यात हो चुके सतीश विश्वकर्मा को अमरवाड़ा के आसपास ही नहीं बल्कि सिंगोड़ी, धनोरा, बटका खापा और हर्रई के कई क्षेत्रों में भी उन्हें फोन करके बुलाया जाता है और वह सेवा कार्य करने के लिए वहां तुरंत पहुंच जाते हैं।

बाइट-
1- उपाध्याय वन परिक्षेत्र अधिकारी अमरवाड़ा
2 - सतीश विश्वकर्मा कंप्यूटर ऑपरेटर सर्पमित्र
Conclusion:
Last Updated : Sep 19, 2019, 8:37 PM IST
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