भोपाल/छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश में सरकार (Government in Madhya Pradesh) ने स्कूल तो खोल दिए हैं लेकिन छात्रावास (Hostel) खोलने का फैसला नहीं लिया है. जिसका असर सीधे गरीब बच्चों पर पड़ रहा है. छात्रावास (Hostel) नहीं खुलने से गांवों से शहर आकर पढ़ने वाले छात्र पढ़ाई से वंचित है. क्योंकि वे हर दिन गांव से शहर आना-जाना नहीं कर सकते, न ही उनके पास शहर में रुकने के लिए कोई जगह है.
पूरे प्रदेश में सरकार ने कक्षा 6 से 12 तक के स्कूल खोल दिए हैं, लेकिन अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग (Scheduled Castes and Scheduled Tribes) के बच्चे अभी भी स्कूलों से दूर है. छिंदवाड़ा की बात करें तो यहां आदिवासी छात्रावासों में 12 हजार बच्चे रहते हैं, लेकिन छात्रावास बंद रहने की वजह से ये बच्चे पढ़ाई से वंचित है.
अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के छात्रों की पढ़ाई प्रभावित
छिंदवाड़ा में जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त एनएस बरकड़े (Assistant Commissioner NS Barkade) ने बताया कि "जिले भर में SC-ST वर्ग के बच्चों के लिए 179 छात्रावास संचालित किए जाते हैं, जिनमें करीब 12000 बच्चे रह कर पढ़ाई करते हैं. हालांकि छठवीं से बारहवीं तक स्कूल खुलने के सरकार ने आदेश दिए हैं और आधी क्षमता के साथ स्कूल लगाए जा रहे हैं लेकिन छात्रावास में रहकर पढ़ाई करने वाले बच्चों के सामने हॉस्टल नहीं खुलने से रहने की समस्या है, इस वजह से वे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं."
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गांव में मोबाइल नेटवर्क की समस्या
छात्रावासों में आदिवासी इलाकों के बच्चे रहकर पढ़ाई करते हैं. छात्रावास (Hostel) नहीं खुलने से ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बच्चों के सामने ऑनलाइन पढ़ाने में भी चुनौतियां है. ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क की समस्या होने की वजह से भी बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है.
छात्रावास खोलने पर गाइडलाइन पालन करना होगा मुश्किल
छात्रावास अधीक्षिका अलमास खान का कहना है कि "सरकार अगर छात्रावास खोलने के आदेश देती है, तो छात्रावासों में कोविड गाइड लाइन का पालन करना मुश्किल हो सकता है. छात्रावासों में संसाधनों की कमी इसका मुख्य कारण है. वहीं बच्चों की संख्या ज्यादा होने से भी परेशानी होगी."
छात्रावासों को बनाया गया था कोविड केयर सेंटर
एक समय मध्य प्रदेश में कोविड संक्रमण गांव तक फैला था, इसलिए सरकार ने छात्रावासों को कोविड-19 सेंटर में तब्दील किया था. जिसके बाद से ही छात्रावासों को नहीं खोला गया. आलम ये है कि अगर छात्रावास खोलने के आदेश जारी भी किए जाते हैं तो वहां पर बिस्तर से लेकर संक्रमण करने वाली सभी चीजों को बदलना जरूरी होगा.