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मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले में नौनिहाल खुले में शौच को मजबूर - students forced to defecate in open

मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले के विधानसभा परासिया के गांव लोना पठार में छात्रों को स्वच्छ पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. लिहाजा नौनिहाल खुले में शौच जाने को मजबूर हैं.

खुले में शौच जाने को मजबूर बच्चे
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Published : Nov 14, 2019, 2:15 PM IST

Updated : Nov 14, 2019, 2:31 PM IST

छिंदवाड़ा। केंद्र सरकार देवालय से पहले शौचालय की बात कर रही है. मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार भी सर्व शिक्षा अभियान के तहत स्कूलों में शौचालय की सुविधा मुहैया कराने के नाम पर करोड़ों रूपए खर्च कर चुके हैं. लेकिन धरातल पर इसकी हकीकत बिल्कुल अलग है. हैरानी की बात ये है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले के विधानसभा परासिया के गांव लोना पठार में ही छात्रों को स्वच्छ पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. लिहाजा, छात्र-छात्राओं को शौच के लिए बाहर खुले में जाना पड़ता है.

खुले में शौच को मजबूर बच्चे

कैसे पढ़ेंगे और बढ़ेंगे नौनिहाल ?

हैरानी की बात ये है कि स्कूल का निर्माण 2008 में हुआ था लेकिन अभी तक शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है. शिक्षिका का कहना है कि कई बार आवेदन दिया गया लेकिन अभी तक शौचालय नहीं बन सका है. इतना ही नहीं गांव लोना पठार के प्राथमिक विद्यालय में 96 छात्र हैं और इनकी जिम्मेदारी महज एक शिक्षिका पर है. वहीं जब प्राचार्य अंतर सिंह धुर्वे से उनसे स्कूल में शौचालय नहीं होने को लेकर बात की गई तो वो जवाब देने से बचते नजर आए.

अब सवाल ये है कि जब मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिला में नौनिहालों को स्वच्छ पानी और शौचालय नहीं मिल रही तो बाकी जिलों की स्थिति क्या होगी.

छिंदवाड़ा। केंद्र सरकार देवालय से पहले शौचालय की बात कर रही है. मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार भी सर्व शिक्षा अभियान के तहत स्कूलों में शौचालय की सुविधा मुहैया कराने के नाम पर करोड़ों रूपए खर्च कर चुके हैं. लेकिन धरातल पर इसकी हकीकत बिल्कुल अलग है. हैरानी की बात ये है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले के विधानसभा परासिया के गांव लोना पठार में ही छात्रों को स्वच्छ पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. लिहाजा, छात्र-छात्राओं को शौच के लिए बाहर खुले में जाना पड़ता है.

खुले में शौच को मजबूर बच्चे

कैसे पढ़ेंगे और बढ़ेंगे नौनिहाल ?

हैरानी की बात ये है कि स्कूल का निर्माण 2008 में हुआ था लेकिन अभी तक शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है. शिक्षिका का कहना है कि कई बार आवेदन दिया गया लेकिन अभी तक शौचालय नहीं बन सका है. इतना ही नहीं गांव लोना पठार के प्राथमिक विद्यालय में 96 छात्र हैं और इनकी जिम्मेदारी महज एक शिक्षिका पर है. वहीं जब प्राचार्य अंतर सिंह धुर्वे से उनसे स्कूल में शौचालय नहीं होने को लेकर बात की गई तो वो जवाब देने से बचते नजर आए.

अब सवाल ये है कि जब मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिला में नौनिहालों को स्वच्छ पानी और शौचालय नहीं मिल रही तो बाकी जिलों की स्थिति क्या होगी.

Intro: छिंदवाड़ा! स्कूलों में बच्चे शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते हैं उनके लिए मूलभूत सुविधा पानी और शौचालय प्रमुखता के साथ व्यवस्था होनी चाहिए पर एक ऐसा स्कूल जिसका निर्माण 2008 में हुआ है शिक्षिका ने बताया, वहां अभी तक शौचालय का निर्माण हुआ ही नहीं मजबूरन बालक बालिकाओं को शौच करने के लिए जाना पड़ता है बाहर, दूसरे स्कूल का शौचालय बना हुआ है पर उसमें भी लटके रहते हैं ताले,
पूरा मामला छिंदवाड़ा जिले के विधानसभा परासिया का है जो ग्राम नोना पठार का स्कूल पहली से लेकर आठवीं तक कल लगता है


Body:छिंदवाड़ा!
छिंदवाड़ा जिले के परासिया विधानसभा के अंतर्गत आने वाले ग्राम लोना पठार का एक ऐसा स्कूल है जिसका निर्माण 2008 में हुआ है यहां पर पड़ने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या 96 है इन बच्चों को पढ़ाने के लिए एक शिक्षिका है और एक अतिथि शिक्षक है स्कूल में आज भी बच्चों को शौच करने के लिए बाहर जाना पड़ता है शिक्षिका ने बताया कि स्कूल में स्कूल 2008 में मिला है कई बार आवेदन दिया ग्राम पंचायत में पर अभी तक शौचालय निर्माण नहीं किया गया और ना ही इसका कोई उचित कारण बताता है मजबूरन बच्चों को बाहर शौच करने के लिए जाना पड़ता है वही प्राथमिक शाला की शौचालय बनी है पर वहां भी ताला लटका रहता है ताले जंग खा गए हैं जो सालों से खुले ही नहीं वही बच्चे मैडम सर के डर के कारण कहते नजर आए कि वह शौच के लिए प्राथमिक शाला की स्कूल में जाते हैं पड़ताल ऊपर लगा जंग इस बात का सबूत है कि वह कई समय से खुला ही नहीं और अधिकांश बच्चे उस बिल्डिंग के सामने से जाते हुए नजर आए शौच के लिए

संकुल प्राचार्य कैमरे के सामने से बोलने से मना किया
संकुल प्राचार्य अंतर सिंह धुर्वे उसी स्कूल में बैठे थे जब हमने उनसे बात की सन 2008 से स्कूल बना है और उसके बाद भी हां बच्चों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो हुई है तो संकुल प्राचार्य ने कहा कि आपको बात करना है तो आप मेरे ऑफिस आइए साथ ही वहां इस मुद्दे पर बचते नजर आए और कहा कि इस बारे में जानकारी आपको स्कूल शिक्षिका ही देगी उन्होंने कैमरे के सामने आने से साफ मना कर दिया और ना ही कोई उचित कारण बता पाए भले ही उन्होंने कहा कि मैं जांच कर लूंगा पर कैमरे के सामने आने से कतराते रहे

मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ का गृह जिला छिंदवाड़ा के विधानसभा परासिया के गांव के हाल बेहाल है तो अन्य जिलों की क्या स्थिति होगी आप सो सकते हैं

अजब एमपी की गजब कहानी




बाईट 01 - श्रीमती लक्ष्मी भलावी, स्कूल शिक्षिका
बाईट 02- अंतर सिंह धुर्वे ,संकुल प्राचार्य,संकुल डूंगरिया ,विकासखंड परासिया
बाईट 03- जानकी ,छात्रा
बाईट04- आशीष उइके, छात्र
बाईट 05 -रामू, छात्र


Conclusion:
Last Updated : Nov 14, 2019, 2:31 PM IST
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