छिंदवाड़ा। केंद्र सरकार देवालय से पहले शौचालय की बात कर रही है. मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार भी सर्व शिक्षा अभियान के तहत स्कूलों में शौचालय की सुविधा मुहैया कराने के नाम पर करोड़ों रूपए खर्च कर चुके हैं. लेकिन धरातल पर इसकी हकीकत बिल्कुल अलग है. हैरानी की बात ये है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले के विधानसभा परासिया के गांव लोना पठार में ही छात्रों को स्वच्छ पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. लिहाजा, छात्र-छात्राओं को शौच के लिए बाहर खुले में जाना पड़ता है.
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हैरानी की बात ये है कि स्कूल का निर्माण 2008 में हुआ था लेकिन अभी तक शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है. शिक्षिका का कहना है कि कई बार आवेदन दिया गया लेकिन अभी तक शौचालय नहीं बन सका है. इतना ही नहीं गांव लोना पठार के प्राथमिक विद्यालय में 96 छात्र हैं और इनकी जिम्मेदारी महज एक शिक्षिका पर है. वहीं जब प्राचार्य अंतर सिंह धुर्वे से उनसे स्कूल में शौचालय नहीं होने को लेकर बात की गई तो वो जवाब देने से बचते नजर आए.
अब सवाल ये है कि जब मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिला में नौनिहालों को स्वच्छ पानी और शौचालय नहीं मिल रही तो बाकी जिलों की स्थिति क्या होगी.