छिंदवाड़ा। पूरे देश में कोरोना महामारी लगातार बढ़ते जा रहा है. जिसके लिए शासन प्रशासन लगातार जनता से सावधानी बरतने की सलाह दे रही है. वहीं दूसरी तरफ जनप्रतिनिधि ही जनता को ढाल बनाकर महामारी की ओर धकेल रहे है. छिंदवाड़ा शहर में हर दिन संक्रमितों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ मौतों में भी इजाफा हो रहा है, लेकिन छिंदवाड़ा के राजनेता लगातार सार्वजनिक कार्यक्रम और रैली करते नजर आ रहे है.
दो विधायक और बीजेपी जिलाध्यक्ष हुए संक्रमित
छिंदवाड़ा जिले के दो विधायक और बीजेपी के जिला अध्यक्ष खुद कोरोना का दंश झेल चुके हैं. इसके बाद भी लगातार सार्वजनिक कार्यक्रमों और रैलियों का आयोजन कर रहे हैं, जहां पर हमेशा से कोरोना का खतरा रहता है.
आंदोलन में हजारों की जुटी भीड़
अति वृष्टि से पीड़ित लोगों को मुआवजा दिलाने की मांग को लेकर जिला मुख्यालय में कलेक्टर कार्यालय का घेराव करते हुए कांग्रेस ने 8 सितंबर को आंदोलन किया. जिसमें हजारों की संख्या में भीड़ इकट्ठी हुई, तो वहीं 15 सितंबर को फिर चौरई में एसडीएम कार्यालय में किसानों की मांग को लेकर कांग्रेस ने बड़ा आंदिलन किया. जिसमें हजारों की संख्या में जनता आई और अब 18 सितंबर को फिर किसानों के नाम पर कांग्रेस ने आंदोलन किया, जहां पर सोशल डिस्टेंसिंग की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई.
इस बीच बीजेपी भी इसमें पीछे नहीं है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन को सेवा सप्ताह के रूप में मनाने के दौरान 16 सितंबर को जिलेभर से गरीबों को खाद्यान्न पर्ची बांटने के लिए छिंदवाड़ा बुलाया गया, जहां पर केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते शामिल हुए. दूसरे दिन प्रधानमंत्री के जन्मदिन के मौके पर शहर में कई बड़े सार्वजनिक कार्यक्रम किए गए, जहां पर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई गई और इन्हीं कार्यक्रमों के दौरान बीजेपी जिला अध्यक्ष कोरोना संक्रमित हो गए. 15 सितंबर को कांग्रेस के किसान आंदोलन के दौरान विधायक भी शामिल हुए थे और उसके बाद वह भी अब कोरोना संक्रमित हो गए हैं.
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सरकार खुद बोल रही सुरक्षा ही एकमात्र उपाय
खुद भारत सरकार के मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते का कहना है कि कोरोना वायरस से बचने के लिए फिलहाल सुरक्षा ही एकमात्र उपाय है, लेकिन उसे धरातल पर उतारने के लिए ना तो उनकी पार्टी के नेता काम करते हो ना ही विपक्षी दल. वहीं अधिकारियों का कहना है कि सामंजस्य से काम होता है, लेकिन ऐसे समय में असामाजिक तत्वों पर कार्रवाई होना चाहिए.
आखिर जिम्मेदारी कौन लेगा
महामारी का भयंकर खतरा होने के बाद अस्पतालों और सरकार के इंतजाम भी कम पड़ रहे हैं, फिर भी राजनीतिक दल और जनप्रतिनिधि लगातार रैलियां, सार्वजनिक कार्यक्रम कर रहे हैं. आर्थिक रूप से संपन्न और जनप्रतिनिधि अपना बचाव करते हुए समुचित इलाज भी करा सकते हैं, लेकिन आम जनता और गरीबों में महामारी फैल गई तो संभालना मुश्किल हो सकता है, आखिर उनकी जिम्मेदारी कौन लेगा ?