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पांढूर्णा में लॉकडाउन : 49 दिनों से खून का इंतजार कर रहा 'ब्लड बैंक' - Blood storage machine

पांढूर्णा अस्पताल बीते कई दिनों से खून की कमी से जूझ रहा है. जिसके चलते गर्भवती महिलाओं सहित अन्य मरीजों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं आपातकाल की स्थिति में लोगों को जिला अस्पताल रेफर किया जा रहा है.

Blood bank has been waiting for blood since 49 days in chhindwara
49 दिन से खून का इंतजार कर रहा 'ब्लड बैंक'
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Published : May 21, 2020, 4:26 PM IST

छिंदवाड़ा। जिले के पांढुर्णा सरकारी अस्पताल में खून की कमी से गर्भवती महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आलम यह है कि गर्भवती महिलाओं को यदि खून चढ़ाना है, तो उन्हें 104 किलोमीटर का सफर तय कर छिंदवाड़ा जिला अस्पताल भेजा रहा है. जहां इन्हें खून चढ़ाया जा रहा है. पांढुर्णा सरकारी अस्पताल से जब ईटीवी भारत की टीम ने खून की कमी के बारे में बात की, तो पता चला कि लॉकडाउन के कुछ दिन 3 अप्रैल से अस्पताल के ब्लड स्टोरेज मशीन में ब्लड नहीं है. जिसके चलते गर्भवती या प्रसूता महिलाओं को छिंदवाड़ा रेफर किया जा रहा है, जिससे उन्हें परेशानियों से जूझना पड़ रहा है.

पांढुर्णा सरकारी अस्पताल में ब्लड मौजूद नहीं होने से गर्भवतियों को आयरन की सलाइन लगाकर खून की कमी के संतुलन को बराबर करने की कोशिश की जा रही है. वहीं किसी महिला के शरीर मे 5 से 7 एमएम खून ही बचा है, तो ऐसी स्थिति में उसे 104 किलोमीटर दूर स्थित छिंदवाड़ा जिला अस्पताल रेफर किया जा रहा है.

वहीं आपातकालीन परिस्थितियों में जीवनदायनी बनी पांढुर्णा की 108 एम्बुलेंस की टीम इन गर्भवतियों को जिला अस्पताल ले जाने का काम कर रही हैं. बताया जा रहा है कि 108 एम्बुलेंस से गर्भवतियों को सबसे ज्यादा जिला अस्पताल रेफर किया जा रहा है. पांढुर्णा सरकारी अस्पताल में जरूरतमंद गम्भीर गर्भवती महिला या अन्य मरीज को खून की कमी के चलते जिला सरकारी अस्पताल से खून की बोतल लाई जाती हैं. तब जाकर मरीजों को खून चढ़ाया जाता है.

छिंदवाड़ा। जिले के पांढुर्णा सरकारी अस्पताल में खून की कमी से गर्भवती महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आलम यह है कि गर्भवती महिलाओं को यदि खून चढ़ाना है, तो उन्हें 104 किलोमीटर का सफर तय कर छिंदवाड़ा जिला अस्पताल भेजा रहा है. जहां इन्हें खून चढ़ाया जा रहा है. पांढुर्णा सरकारी अस्पताल से जब ईटीवी भारत की टीम ने खून की कमी के बारे में बात की, तो पता चला कि लॉकडाउन के कुछ दिन 3 अप्रैल से अस्पताल के ब्लड स्टोरेज मशीन में ब्लड नहीं है. जिसके चलते गर्भवती या प्रसूता महिलाओं को छिंदवाड़ा रेफर किया जा रहा है, जिससे उन्हें परेशानियों से जूझना पड़ रहा है.

पांढुर्णा सरकारी अस्पताल में ब्लड मौजूद नहीं होने से गर्भवतियों को आयरन की सलाइन लगाकर खून की कमी के संतुलन को बराबर करने की कोशिश की जा रही है. वहीं किसी महिला के शरीर मे 5 से 7 एमएम खून ही बचा है, तो ऐसी स्थिति में उसे 104 किलोमीटर दूर स्थित छिंदवाड़ा जिला अस्पताल रेफर किया जा रहा है.

वहीं आपातकालीन परिस्थितियों में जीवनदायनी बनी पांढुर्णा की 108 एम्बुलेंस की टीम इन गर्भवतियों को जिला अस्पताल ले जाने का काम कर रही हैं. बताया जा रहा है कि 108 एम्बुलेंस से गर्भवतियों को सबसे ज्यादा जिला अस्पताल रेफर किया जा रहा है. पांढुर्णा सरकारी अस्पताल में जरूरतमंद गम्भीर गर्भवती महिला या अन्य मरीज को खून की कमी के चलते जिला सरकारी अस्पताल से खून की बोतल लाई जाती हैं. तब जाकर मरीजों को खून चढ़ाया जाता है.

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