छिंदवाड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा के पांढुर्णा सरकारी अस्पताल के मरीजों को भोजन देने वाले तीन रसोइयां वेतन नहीं मिलने से बदहाली में जीवन जीने को मजबूर हैं. आलम ये है कि, अब इनके लिए परिवार चलाना भी मुश्किल हो रहा है. वे खुद दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. एक रसोइए ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि, उसे तीन महीने से वेतन नहीं मिला है.
वेतन नहीं मिलने के बाद भी वे अस्पताल के मरीजों को भोजन उपलब्ध करवा रहे हैं. वे पांढुर्णा सरकारी अस्पताल में भर्ती मरीजों की भूख मिटाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन वे खुद अपने ही परिवार का भरण पोषण नहीं कर पा रहे हैं.
फरवरी से मिला कलेक्ट्रेट रेट
पांढुर्णा सरकारी अस्पताल के हर दिन मरीजों के लिए सुबह- शाम भोजन बनाया जाता हैं. यह काम 2008 से चला रहा है. खाना बनाने वाली महिला रंजना खुरसंगे, कविता गायधने और उमेश कालबांडे को महज 1500 रुपये प्रतिमाह वेतन अस्पताल प्रबंधन देता था, लेकिन जैसे ही मप्र में कमलनाथ सरकार आई, उन्होंने इन रसोइयों का मानदेय कलेक्ट्रेट रेट से देना शुरू कर दिया और सरकारी बदली तो इनके वेतन को ब्रेक लग गया. जिससे इन सभी रसोइया को 3 महीने से वेतन के लिए परेशान होना पड़ रहा हैं.
सामाजिक संस्था ने शुरू की थी भोजन योजना
सामाजिक संस्था चेतना मंच ने 2008 से सरकारी अस्पताल के मरीजों को निःशुल्क भोजन वितरण की शुरुआत की थी. उसके बाद 2012 में भोजन वितरण योजना को सरकारी अस्पताल प्रबंधन ने अपने हाथों में ले लिया. उसके बाद खाना बनाने वाले रसोइयों को 2500 हर महीने वेतन मिलने लगा है.