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80 की उम्र में पापड़ बना कर बेचती हैं पम्मी बाई, कलेक्टर से लेकर कर्मचारी तक स्वाद के दीवाने

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Published : Aug 4, 2021, 3:46 PM IST

छिंदवाड़ा में 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला आज भी पापड़ बेचकर अपना गुजारा कर रही है. बुजुर्ग महिला जिले के सभी सरकारी दफ्तरों में पापड़ बेचती है. कलेक्टर भी पम्मी बाई के पापड़ के दीवाने हैं.

pummy bai
बुजुर्ग पम्मी बाई

छिन्दवाड़ा। जीवन में जरा सी परेशानियों के चलते जिंदगी से हार मान लेना या गलत रास्ता अख्तियार करने वालों के लिए मिसाल है छिंदवाड़ा की 80 साल की पम्मी बाई पापड़ वाली. पिछले 30 सालों से लगातार अचार पापड़ बनाकर कलेक्ट्रेट समेत सरकारी दफ्तरों में बेचती हैं और खुद का गुजारा कर रही हैं.

छिंदवाड़ा में फेमस हैं पम्मी बाई के पापड़.

शरीर नहीं देता साथ लेकिन हौसले को सलाम।
80 साल की उम्र में पम्मी बाई को कोई भी देखकर कहेगा कि महिला का शरीर साथ नहीं देता होगा और अब आराम करने की जरूरत है, लेकिन उनके हौसले ऐसे हैं कि कई युवाओं को भी पस्त कर दें. इस उम्र में भी पम्मी बाई खुद का गुजारा करने के लिए हर दिन सरकारी दफ्तरों में पापड़ बेचते नजर आती हैं. पम्मी बाई खुद ही घर में पापड़ बनाती है और फिर सरकारी दफ्तरों में बेचती हैं.

30 सालों से कर रहीं काम, कलेक्टर भी स्वाद के दीवाने
पम्मी बाई बताती हैं कि करीब 30 साल पहले से वे काम कर रही हैं. उनके पति के गुजर जाने के बाद उनके सामने दिक्कत आ गई थी. इसके बाद वे लगातार पापड़ और अचार बनाकर सरकारी दफ्तरों में बेचती रहीं. छिंदवाड़ा में कलेक्टर रहे डॉक्टर श्रीनिवास शर्मा भी इनके पापड़ के दीवाने हैं. वे हमेशा पापड़ खरीदते थे. पम्मी बाई बताती हैं कि डॉक्टर श्रीनिवास शर्मा उनके बेटे जैसे हैं.

खुद ही बनाती हैं अचार और पापड़
वैसे तो पम्मी बाई का परिवार है. पम्मी बाई बताती हैं कि उनके बेटे भी हैं, लेकिन वह अलग रहती हैं. खुद ही अपने हाथों से पापड़ बनाती हैं. कलेक्टर कार्यालय के हर दफ्तर में उनके पापड़ बिकते हैं. वे 2 से 3 दिन में एक बार पापड़ लेकर आती हैं. तुरंत ही उनके पापड़ बिक जाते हैं.

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आत्मसम्मान से नहीं किया समझौता शरीर
पम्मी बाई का कहना है कि किसी के भी सामने हाथ फैलाने या गिड़गिड़ाने से अच्छा है कि खुद मेहनत करें. जब तक शरीर साथ दे तो समझौता करना वाजिब नहीं है. वे कमजोर जरूर हो गई हैं. उन्होंने कहा कि हाथ काम नहीं करते औरप कानों में सुनाई नहीं देता, लेकिन फिर भी खुद का गुजारा करने के लिए व्यवसाय कर रही हैं.

छिन्दवाड़ा। जीवन में जरा सी परेशानियों के चलते जिंदगी से हार मान लेना या गलत रास्ता अख्तियार करने वालों के लिए मिसाल है छिंदवाड़ा की 80 साल की पम्मी बाई पापड़ वाली. पिछले 30 सालों से लगातार अचार पापड़ बनाकर कलेक्ट्रेट समेत सरकारी दफ्तरों में बेचती हैं और खुद का गुजारा कर रही हैं.

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शरीर नहीं देता साथ लेकिन हौसले को सलाम।
80 साल की उम्र में पम्मी बाई को कोई भी देखकर कहेगा कि महिला का शरीर साथ नहीं देता होगा और अब आराम करने की जरूरत है, लेकिन उनके हौसले ऐसे हैं कि कई युवाओं को भी पस्त कर दें. इस उम्र में भी पम्मी बाई खुद का गुजारा करने के लिए हर दिन सरकारी दफ्तरों में पापड़ बेचते नजर आती हैं. पम्मी बाई खुद ही घर में पापड़ बनाती है और फिर सरकारी दफ्तरों में बेचती हैं.

30 सालों से कर रहीं काम, कलेक्टर भी स्वाद के दीवाने
पम्मी बाई बताती हैं कि करीब 30 साल पहले से वे काम कर रही हैं. उनके पति के गुजर जाने के बाद उनके सामने दिक्कत आ गई थी. इसके बाद वे लगातार पापड़ और अचार बनाकर सरकारी दफ्तरों में बेचती रहीं. छिंदवाड़ा में कलेक्टर रहे डॉक्टर श्रीनिवास शर्मा भी इनके पापड़ के दीवाने हैं. वे हमेशा पापड़ खरीदते थे. पम्मी बाई बताती हैं कि डॉक्टर श्रीनिवास शर्मा उनके बेटे जैसे हैं.

खुद ही बनाती हैं अचार और पापड़
वैसे तो पम्मी बाई का परिवार है. पम्मी बाई बताती हैं कि उनके बेटे भी हैं, लेकिन वह अलग रहती हैं. खुद ही अपने हाथों से पापड़ बनाती हैं. कलेक्टर कार्यालय के हर दफ्तर में उनके पापड़ बिकते हैं. वे 2 से 3 दिन में एक बार पापड़ लेकर आती हैं. तुरंत ही उनके पापड़ बिक जाते हैं.

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आत्मसम्मान से नहीं किया समझौता शरीर
पम्मी बाई का कहना है कि किसी के भी सामने हाथ फैलाने या गिड़गिड़ाने से अच्छा है कि खुद मेहनत करें. जब तक शरीर साथ दे तो समझौता करना वाजिब नहीं है. वे कमजोर जरूर हो गई हैं. उन्होंने कहा कि हाथ काम नहीं करते औरप कानों में सुनाई नहीं देता, लेकिन फिर भी खुद का गुजारा करने के लिए व्यवसाय कर रही हैं.

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