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दुनिया का 18वीं सदी का करिश्माई आदेगांव किला, रोशनदान में फिट कमाल की तकनीक से होती थी 84 गांव की निगहबानी

Chhindwara Adegaon Fort: पुराने दौर में जब कोई लेंस या आधुनिक यंत्र दूर तक देखने के लिए मौजूद नहीं थे, तब भी देसी तरीके से सैनिक मीलों दूर खड़े दुश्मन को आसानी से देख देख सकते थे. आदेगांव के किले में ऐसी तकनीक है, जो आपको हैरान कर देगी.

Chhindwara Adegaon Fort
आदेगांव किला
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 14, 2024, 12:41 PM IST

Updated : Jan 14, 2024, 1:27 PM IST

18वीं सदी का करिश्माई आदेगांव किला

छिंदवाड़ा। दूर की वस्तुओं को नजदीक से देखने के लिए भले ही अब कई आधुनिक उपकरणों की खोज कर ली गई हो लेकिन इन उपकरणों के पहले भी देशी तरीके से मीलों दूर की वस्तुएं नजदीक से देखी जा सकती थी. यह तकनीक आज भी पुराने राजमहल और किलों में मौजूद है. ऐसा ही एक किला आदेगांव (Adegaon fort) का है, जहां की दीवारों में इस तकनीक को बखूबी देखा जा सकता है।

ऐसे काम करती थी ये तकनीक

उसे दौर में जब कोई लेंस या आधुनिक यंत्र दूर तक देखने के लिए मौजूद नहीं थे, तब भी देसी तरीके से सैनिक मीलों दूर खड़े दुश्मन को आसानी से देख सकते थे. आदेगांव के किले की दीवारों से बाहर काफी दूर तक किसी पर भी नजर रखी जा सकती है. लेकिन बाहर से इसका कोई भी अंदाजा नहीं लगा सकता. दीवार पर बने स्क्वेयर शेप के छोटे-छोटे ये रोशनदान किसी दूरबीन की तरह कई किलोमीटर दूर तक साफ देखने में मदद करते थे. दीवारों पर ये काफी संख्या में बनाए जाते थे,जिससे किसी भी दिशा से आ रहे दुश्मन पर नजर रखी जा सके.

सैनिकों के ठहरने के लिए बना था ये किला

18वीं सदी में बनाए गए इस किले का निर्माण भोंसले राजा द्वारा किया गया था. वरिष्ठ पत्रकार मनीष तिवारी ने बताया कि उस दौर में जब राजा के सैनिकों की टुकड़ी इस इलाके में आती थी तो उनके ठहरने के लिए इसका निर्माण किया गया था ताकि सेना सुरक्षित रह सके और आसानी से दुश्मनों पर भी नजर रखी जा सके.

कभी 84 गांव की जागीर थी, अब खंडहर

इस आयताकार किले को गढ़ी भी कहा जाता है, इसके निर्माण की नींव नागपुर के मराठा शासक रघुजी भोंसले (Raghuji Bhonsle) के शासन काल में 18वीं शती ई० में उनके गुरु नर्मदा भारती (खड़कू भारती गोसाई) ने डाली थी। इन्हें भोंसले राज्य शासन ने 84 गांवों की जागीर दी थी। उन्हीं के द्वारा गढ़ी के भीतर काल भैरव के मंदिर का निर्माण हुआ। नर्मदा भारती (खड़कू भारती गोसाई) से यह किला शिष्य परम्परा के अंतर्गत भैरव भारती, धोकल भारती एवं दौलत भारती से ब्रिटिश शासन ने अपने आधिपत्य में ले लिया। वर्तमान में इस किले की ऊंची चार दीवारी और बुर्ज ही शेष है। आंतरिक महल ध्वस्त हो चुका है। किले के अंदर काल भैरव (Kal Bhairav Adegaon temple) का मंदिर है, जहां काल भैरव बटुक भैरव तथा नाग भैरव की सुंदर प्रतिमाएं हैं।

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18वीं सदी का करिश्माई आदेगांव किला

छिंदवाड़ा। दूर की वस्तुओं को नजदीक से देखने के लिए भले ही अब कई आधुनिक उपकरणों की खोज कर ली गई हो लेकिन इन उपकरणों के पहले भी देशी तरीके से मीलों दूर की वस्तुएं नजदीक से देखी जा सकती थी. यह तकनीक आज भी पुराने राजमहल और किलों में मौजूद है. ऐसा ही एक किला आदेगांव (Adegaon fort) का है, जहां की दीवारों में इस तकनीक को बखूबी देखा जा सकता है।

ऐसे काम करती थी ये तकनीक

उसे दौर में जब कोई लेंस या आधुनिक यंत्र दूर तक देखने के लिए मौजूद नहीं थे, तब भी देसी तरीके से सैनिक मीलों दूर खड़े दुश्मन को आसानी से देख सकते थे. आदेगांव के किले की दीवारों से बाहर काफी दूर तक किसी पर भी नजर रखी जा सकती है. लेकिन बाहर से इसका कोई भी अंदाजा नहीं लगा सकता. दीवार पर बने स्क्वेयर शेप के छोटे-छोटे ये रोशनदान किसी दूरबीन की तरह कई किलोमीटर दूर तक साफ देखने में मदद करते थे. दीवारों पर ये काफी संख्या में बनाए जाते थे,जिससे किसी भी दिशा से आ रहे दुश्मन पर नजर रखी जा सके.

सैनिकों के ठहरने के लिए बना था ये किला

18वीं सदी में बनाए गए इस किले का निर्माण भोंसले राजा द्वारा किया गया था. वरिष्ठ पत्रकार मनीष तिवारी ने बताया कि उस दौर में जब राजा के सैनिकों की टुकड़ी इस इलाके में आती थी तो उनके ठहरने के लिए इसका निर्माण किया गया था ताकि सेना सुरक्षित रह सके और आसानी से दुश्मनों पर भी नजर रखी जा सके.

कभी 84 गांव की जागीर थी, अब खंडहर

इस आयताकार किले को गढ़ी भी कहा जाता है, इसके निर्माण की नींव नागपुर के मराठा शासक रघुजी भोंसले (Raghuji Bhonsle) के शासन काल में 18वीं शती ई० में उनके गुरु नर्मदा भारती (खड़कू भारती गोसाई) ने डाली थी। इन्हें भोंसले राज्य शासन ने 84 गांवों की जागीर दी थी। उन्हीं के द्वारा गढ़ी के भीतर काल भैरव के मंदिर का निर्माण हुआ। नर्मदा भारती (खड़कू भारती गोसाई) से यह किला शिष्य परम्परा के अंतर्गत भैरव भारती, धोकल भारती एवं दौलत भारती से ब्रिटिश शासन ने अपने आधिपत्य में ले लिया। वर्तमान में इस किले की ऊंची चार दीवारी और बुर्ज ही शेष है। आंतरिक महल ध्वस्त हो चुका है। किले के अंदर काल भैरव (Kal Bhairav Adegaon temple) का मंदिर है, जहां काल भैरव बटुक भैरव तथा नाग भैरव की सुंदर प्रतिमाएं हैं।

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Last Updated : Jan 14, 2024, 1:27 PM IST
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