छिंदवाड़ा। जिला अस्पताल की 6 मंजिला चमचमाती बिल्डिंग तैयार बुलंद है. इसे देखकर कोई नहीं कह सकता कि यहां किसी बड़े अस्पताल की कमी है. लोगों को समय पर इलाज मिलता होगा. मगर आप ऐसा सोचते हैं तो थोड़ा रुक जाइए. आगजनी की घटना से निपटने के लिए अस्पताल में कई उपकरण लगाए गए हैं, लेकिन इन उपकरणों को ऑपरेट करने वाला कोई अभी तक कोई नहीं है, जिसके चलते कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है. ये सिर्फ यहीं सजावट का पीस बनकर रह गया है. अगर मामूली से फायर इक्विपमेंट्स को चलाने वाला कोई नहीं तो बाकि का हाल बताने की जरुरत नहीं.
आगजनी से निपटने के लिए उपकरण, लेकिन चलाएगा कौन ?
जिला अस्पताल की बिल्डिंग बनाते समय आगजनी की घटना से निपटने के लिए जरूरी उपकरणों में फायर हाईड्रेंट लाइन, फायर डिटेक्टर, स्मोक डिटेक्टर, ऑटोमैटिक फायर स्प्रिंकलर तो लगाए गए हैं, लेकिन इन्हें ऑपरेट करने वाले की नियुक्ति ही नहीं हुई. आलम ये है कि इनके अगल बगल में लोग अब पान का पीक दान करने से भी गुरेज नहीं करते.
फायर उपकरणों को चलाने के लिए फायरमैन का होना जरूरी
जिला अस्पताल में लगे फायर उपकरणों को लेकर फायर सेफ्टी इंजीनियर नासिर खान ने कहा कि बिल्डिंग में उपकरण लगाने से आगजनी की घटनाएं नहीं रोकी जा सकतीं. इन्हें ऑपरेट करने के लिए बकायदा एक प्रशिक्षित फायरमैन नियुक्त होना चाहिए, लेकिन जिला अस्पताल में ऐसा कोई नहीं है. ना तो कोई फायरमैन है और ना ही कोई प्रशिक्षित व्यक्ति, जो दुर्घटना होने पर इन उपकरणों का उपयोग कर सके.
एक्सपायरी फायर सिलेंडरों के भरोसे हैं जिला अस्पताल
फायर सेफ्टी इंजीनियर नासिर खान ने बताया कि फायर एक्सटिंग्विशर सिलेंडर को हर साल रिफिल किया जाना जरूरी है. वर्ना ये किसी काम के नहीं होते हैं, लेकिन यहां पर दो साल पहले रिफिल किए गए फायर एक्सटिंग्विशर दीवार पर लटके हुए मिले, जो सिर्फ दिखावे के लिए थे.
अधिकारियों का दावा, आगजनी से निपटने के लिए पूरी सुविधा
इस मामले में सीएमएचओ डॉक्टर जीसी चौरसिया ने कहा कि सभी फायर उपकरण लगे हुए हैं और इन्हें चलाने की भी व्यवस्था है. इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि वक्त-वक्त पर कर्मचारियों को ट्रेनिंग भी दी जाती है. लेकिन जिस अस्पताल में एक्सपायरी डेट के अग्निशमन यंत्र लगे हों, वहां भला क्या उम्मीद की जा सकती है. अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं!