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'कबाड़ बना प्याऊ', पक्षियों की भूख-प्यास मिटाने के लिए बना देसी जुगाड़ - chhindwara me corona positive

इस मंदिर के कर्मचारी प्लास्टिक का कबाड़ और मंदिर में रोजाना खाली होने वाले तेल के केन का इस्तेमाल पक्षियों की भूख-प्यास बुझाने के लिए कर रहे हैं. इन लोगों ने खाली तेल के केंन और अन्य बेकार पड़े बर्तनों को काटकर उसमें चावल के दानें-पानी भरकर जगह-जगह लटका दिया है, जिससे गर्मियों के दिनों में पक्षियों की भूख-प्यास मिट रही है

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देसी जुगाड़
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Published : May 7, 2021, 4:33 PM IST

छिंदवाड़ा। कहते हैं कि मन में कुछ करने का जज्बा हो तो कबाड़ से भी सोना बनाया बनाया जा सकता है और अगर कबाड़ का इस्तेमाल किसी की जिंदगी बचाने के लिए किया जाए तो इसकी अहमियत बेशकीमती सोने के भी बढ़कर हो जाती है. वहीं, इधर-उधर फैले रहने वाले वाले इस कबाड़ का सही इस्तेमाल छिंदवाड़ा के पांढुर्णा साईं मंदिर में देखने को मिला है.

देसी जुगाड़
  • ऐसे हो रहा इस्तेमाल

इस मंदिर के कर्मचारी प्लास्टिक का कबाड़ और मंदिर में रोजाना खाली होने वाले तेल के केन का इस्तेमाल पक्षियों की भूख-प्यास बुझाने के लिए कर रहे हैं. इन लोगों ने खाली तेल के केंन और अन्य बेकार पड़े बर्तनों को काटकर उसमें चावल के दानें-पानी भरकर जगह-जगह लटका दिया है, जिससे गर्मियों के दिनों में पक्षियों की भूख-प्यास मिट रही है

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  • काम की प्रशंसा

इस काम को लेकर मंदिर के पुजारी अजित पुसे का कहना हैं कि मंदिर परिसर में हर दिन पक्षियो का झुंड बना रहता हैं, लेकिन पहले यह पक्षी पानी की तलाश में भटकते नजर आते थे, इसलिए मंदिर के लोगों ने देसी जुगाड़ से तेल के केन को काटकर उसे जलपात्र बनाकर पक्षियों के लिए रख दिया है. वहीं, मंदिर कर्मचारियों की इस अनोखी पहल से सभी लोग उनकी प्रशंसा कर रहे हैं.

छिंदवाड़ा। कहते हैं कि मन में कुछ करने का जज्बा हो तो कबाड़ से भी सोना बनाया बनाया जा सकता है और अगर कबाड़ का इस्तेमाल किसी की जिंदगी बचाने के लिए किया जाए तो इसकी अहमियत बेशकीमती सोने के भी बढ़कर हो जाती है. वहीं, इधर-उधर फैले रहने वाले वाले इस कबाड़ का सही इस्तेमाल छिंदवाड़ा के पांढुर्णा साईं मंदिर में देखने को मिला है.

देसी जुगाड़
  • ऐसे हो रहा इस्तेमाल

इस मंदिर के कर्मचारी प्लास्टिक का कबाड़ और मंदिर में रोजाना खाली होने वाले तेल के केन का इस्तेमाल पक्षियों की भूख-प्यास बुझाने के लिए कर रहे हैं. इन लोगों ने खाली तेल के केंन और अन्य बेकार पड़े बर्तनों को काटकर उसमें चावल के दानें-पानी भरकर जगह-जगह लटका दिया है, जिससे गर्मियों के दिनों में पक्षियों की भूख-प्यास मिट रही है

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  • काम की प्रशंसा

इस काम को लेकर मंदिर के पुजारी अजित पुसे का कहना हैं कि मंदिर परिसर में हर दिन पक्षियो का झुंड बना रहता हैं, लेकिन पहले यह पक्षी पानी की तलाश में भटकते नजर आते थे, इसलिए मंदिर के लोगों ने देसी जुगाड़ से तेल के केन को काटकर उसे जलपात्र बनाकर पक्षियों के लिए रख दिया है. वहीं, मंदिर कर्मचारियों की इस अनोखी पहल से सभी लोग उनकी प्रशंसा कर रहे हैं.

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