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MP Seat Scan Chaurai: चौरई सीट पर बीजेपी ने एक ही चेहरे पर तो कांग्रेस ने 1 ही समाज पर जताया विश्वास, क्या होगा 2023 बदलाव - Political equation of Chaurai seat

चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्यप्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे चौरई विधानसभा सीट के बारे में. इस सीट पर अन्य पिछड़ा वर्ग का दबदबा देखने मिलता है. इस सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो यहां कांग्रेस अगर एक जाति विशेष पर विश्वास जताती आई है तो वहीं बीजेपी एक चेहरे पर दांव लगा रही है. रिपोर्ट में पढ़ते हैं चौरई विधानसभा सीट के बारे में.

MP Seat Scan
एमपी सीट स्कैन चौरई
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Published : May 16, 2023, 6:15 AM IST

Updated : Nov 15, 2023, 6:21 PM IST

छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा जिले की अहम विधानसभाओं से चौरई विधानसभा अनारक्षित है, लेकिन इस विधानसभा में अन्य पिछड़ा वर्ग का दबदबा है. मुख्य तौर से भाजपा और कांग्रेस के बीच यहां पर मुकाबला होता है, लेकिन गोंडवाना गणतंत्र पार्टी निर्णायक भूमिका अदा करती है. कांग्रेस पार्टी ने इस विधानसभा में एक जाति विशेष पर ही हमेशा अपना विश्वास जताया है, तो वहीं बीजेपी ने पिछले 3 दशक से सिर्फ एक चेहरे पर ही दांव लगाते नजर आ रही है.

1990 से बीजेपी ने ब्राह्मण तो कांग्रेस ने रघुवंशी पर जताया भरोसा: अनारक्षित चौरई विधानसभा क्षेत्र में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होता है. साल 1990 के विधानसभा चुनाव से अगर बात करें तो यहां पर कांग्रेस ने सिर्फ रघुवंशी जाति के ही प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. तो वहीं भाजपा ने ब्राह्मण समाज से एकमात्र प्रत्याशी पंडित रमेश दुबे को ही मौका दिया है.

ओबीसी बाहुल्य विधानसभा आदिवासी होते हैं निर्णायक: चौरई विधानसभा में जातिगत समीकरणों की बात करें तो अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता करीब 45 फीसदी हैं, जिसमें 35 फीसदी लोधी जाति के हैं. वहीं परिसीमन के दौरान बिछुआ विकासखंड चौरई विधानसभा में जुड़ जाने की वजह से आदिवासी मतदाता निर्णायक की भूमिका निभाते हैं. करीब 30 फीसदी आदिवासी मतदाता इस विधानसभा में हैं और 20 फीसदी मतदाता सामान्य वर्ग से आते हैं. जिसमें रघुवंशी, जैन, पंडित और दूसरे समाज के लोग हैं.

कांग्रेस का पड़ला रहा भारी: 1990 के विधानसभा चुनाव से ही बीजेपी ने ब्राह्मण समाज से एकमात्र प्रत्याशी पंडित रमेश दुबे को ही मैदान में उतारा है. जिसमें पंडित रमेश दुबे ने 1990, 2003 और 2013 में जीत दर्ज की है. इसके अलावा कांग्रेस ने रघुवंशी जाति के उम्मीदवार को मैदान में उतारा कांग्रेस ने 4 बार जीत दर्ज की है.

ये रहे परिणाम: साल 2018 में कांग्रेस से शिक्षक की नौकरी छोड़ कर चुनाव लड़े चौधरी सुजीत सिंह ने बीजेपी के पंडित रमेश दुबे को 13004 वोटों से चुनाव हराया. इस चुनाव में चौधरी सुजीत सिंह को 78415 वोट तो वहीं पंडित रमेश दुबे को 65411 वोट मिले थे.

साल 2013 का परिणाम: साल 2013 में बीजेपी के पंडित रमेश दुबे ने कांग्रेस के चौधरी गंभीर सिंह को 13631 वोटों से हराया था. इस चुनाव में पंडित रमेश दुबे को 70810 वोट तो वहीं चौधरी गंभीर सिंह को 57169 वोट मिले थे.

साल 2008 का परिणाम: साल 2008 में कांग्रेस के चौधरी मेरसिंह सिंह ने बीजेपी के पंडित रमेश दुबे को 4373 वोटों से हराया था. इस चुनाव में चौधरी मेरसिंह को 42188 वोट तो वहीं पंडित रमेश दुबे को 37815 वोट मिले थे.

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प्रत्याशी बदलने की मांग दोनों दलों से: तीन दशकों से एक ही चेहरा और एक ही समाज के लोगों से अब जनता भी कतराने लगी है. इसलिए अब नए चेहरे भी चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं. बीजेपी से जहां इलाके के कद्दावर नेता पंडित रमेश दुबे मैदान में हैं तो वहीं रघुवंशी जाति के युवा नेता और जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष शैलेंद्र सिंह रघुवंशी, लोधी बाहुल्य इलाका होने के चलते लोधी समाज के अजब सिंह लोधी, अतरलाल वर्मा और लखन वर्मा भी टिकट दावेदारों में है.
वहीं कांग्रेस पार्टी में वर्तमान विधायक चौधरी सुजीत सिंह के अलावा लोधी समाज के नेता बैजू वर्मा और जिला पंचायत के पूर्व सदस्य हरीश चंद्र पटेल, पूर्व विधायक चौधरी गंभीर सिंह, पूर्व जिला पंचायत सदस्य तीरथ सिंह ठाकुर और रघुवंशी समाज के युवा नेता बंटी पटेल भी दावेदार हैं.

कृषि आधारित विधानसभा मक्के की फसल होती है सर्वाधिक: चौरई विधानसभा की जीवन रेखा कृषि पर आधारित है. इलाके में सबसे ज्यादा मक्के की फसल की उपज होती है. इसी फसल की उपज के चलते छिंदवाड़ा को कॉर्न सिटी का तमगा भी मिला है. वहीं चौरई विधानसभा क्षेत्र में जिले की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना पेंच व्यपवर्तन माचागोरा बांध प्रसिद्ध है. जिससे छिंदवाड़ा जिले के अलावा पड़ोसी जिला सिवनी और बालाघाट में भी सिंचाई के लिए पानी दिया जाता है. इसी परियोजना को शुरू कराने के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों अपनी-अपनी उपलब्धि बताते हैं. हालांकि दिग्विजय सिंह की सरकार में इस योजना का शिलान्यास हुआ था और शिवराज सिंह की सरकार ने इस योजना हो धरातल पर लाकर जिलेभर में पानी की व्यवस्था कराई है.

छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा जिले की अहम विधानसभाओं से चौरई विधानसभा अनारक्षित है, लेकिन इस विधानसभा में अन्य पिछड़ा वर्ग का दबदबा है. मुख्य तौर से भाजपा और कांग्रेस के बीच यहां पर मुकाबला होता है, लेकिन गोंडवाना गणतंत्र पार्टी निर्णायक भूमिका अदा करती है. कांग्रेस पार्टी ने इस विधानसभा में एक जाति विशेष पर ही हमेशा अपना विश्वास जताया है, तो वहीं बीजेपी ने पिछले 3 दशक से सिर्फ एक चेहरे पर ही दांव लगाते नजर आ रही है.

1990 से बीजेपी ने ब्राह्मण तो कांग्रेस ने रघुवंशी पर जताया भरोसा: अनारक्षित चौरई विधानसभा क्षेत्र में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होता है. साल 1990 के विधानसभा चुनाव से अगर बात करें तो यहां पर कांग्रेस ने सिर्फ रघुवंशी जाति के ही प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. तो वहीं भाजपा ने ब्राह्मण समाज से एकमात्र प्रत्याशी पंडित रमेश दुबे को ही मौका दिया है.

ओबीसी बाहुल्य विधानसभा आदिवासी होते हैं निर्णायक: चौरई विधानसभा में जातिगत समीकरणों की बात करें तो अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता करीब 45 फीसदी हैं, जिसमें 35 फीसदी लोधी जाति के हैं. वहीं परिसीमन के दौरान बिछुआ विकासखंड चौरई विधानसभा में जुड़ जाने की वजह से आदिवासी मतदाता निर्णायक की भूमिका निभाते हैं. करीब 30 फीसदी आदिवासी मतदाता इस विधानसभा में हैं और 20 फीसदी मतदाता सामान्य वर्ग से आते हैं. जिसमें रघुवंशी, जैन, पंडित और दूसरे समाज के लोग हैं.

कांग्रेस का पड़ला रहा भारी: 1990 के विधानसभा चुनाव से ही बीजेपी ने ब्राह्मण समाज से एकमात्र प्रत्याशी पंडित रमेश दुबे को ही मैदान में उतारा है. जिसमें पंडित रमेश दुबे ने 1990, 2003 और 2013 में जीत दर्ज की है. इसके अलावा कांग्रेस ने रघुवंशी जाति के उम्मीदवार को मैदान में उतारा कांग्रेस ने 4 बार जीत दर्ज की है.

ये रहे परिणाम: साल 2018 में कांग्रेस से शिक्षक की नौकरी छोड़ कर चुनाव लड़े चौधरी सुजीत सिंह ने बीजेपी के पंडित रमेश दुबे को 13004 वोटों से चुनाव हराया. इस चुनाव में चौधरी सुजीत सिंह को 78415 वोट तो वहीं पंडित रमेश दुबे को 65411 वोट मिले थे.

साल 2013 का परिणाम: साल 2013 में बीजेपी के पंडित रमेश दुबे ने कांग्रेस के चौधरी गंभीर सिंह को 13631 वोटों से हराया था. इस चुनाव में पंडित रमेश दुबे को 70810 वोट तो वहीं चौधरी गंभीर सिंह को 57169 वोट मिले थे.

साल 2008 का परिणाम: साल 2008 में कांग्रेस के चौधरी मेरसिंह सिंह ने बीजेपी के पंडित रमेश दुबे को 4373 वोटों से हराया था. इस चुनाव में चौधरी मेरसिंह को 42188 वोट तो वहीं पंडित रमेश दुबे को 37815 वोट मिले थे.

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प्रत्याशी बदलने की मांग दोनों दलों से: तीन दशकों से एक ही चेहरा और एक ही समाज के लोगों से अब जनता भी कतराने लगी है. इसलिए अब नए चेहरे भी चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं. बीजेपी से जहां इलाके के कद्दावर नेता पंडित रमेश दुबे मैदान में हैं तो वहीं रघुवंशी जाति के युवा नेता और जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष शैलेंद्र सिंह रघुवंशी, लोधी बाहुल्य इलाका होने के चलते लोधी समाज के अजब सिंह लोधी, अतरलाल वर्मा और लखन वर्मा भी टिकट दावेदारों में है.
वहीं कांग्रेस पार्टी में वर्तमान विधायक चौधरी सुजीत सिंह के अलावा लोधी समाज के नेता बैजू वर्मा और जिला पंचायत के पूर्व सदस्य हरीश चंद्र पटेल, पूर्व विधायक चौधरी गंभीर सिंह, पूर्व जिला पंचायत सदस्य तीरथ सिंह ठाकुर और रघुवंशी समाज के युवा नेता बंटी पटेल भी दावेदार हैं.

कृषि आधारित विधानसभा मक्के की फसल होती है सर्वाधिक: चौरई विधानसभा की जीवन रेखा कृषि पर आधारित है. इलाके में सबसे ज्यादा मक्के की फसल की उपज होती है. इसी फसल की उपज के चलते छिंदवाड़ा को कॉर्न सिटी का तमगा भी मिला है. वहीं चौरई विधानसभा क्षेत्र में जिले की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना पेंच व्यपवर्तन माचागोरा बांध प्रसिद्ध है. जिससे छिंदवाड़ा जिले के अलावा पड़ोसी जिला सिवनी और बालाघाट में भी सिंचाई के लिए पानी दिया जाता है. इसी परियोजना को शुरू कराने के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों अपनी-अपनी उपलब्धि बताते हैं. हालांकि दिग्विजय सिंह की सरकार में इस योजना का शिलान्यास हुआ था और शिवराज सिंह की सरकार ने इस योजना हो धरातल पर लाकर जिलेभर में पानी की व्यवस्था कराई है.

Last Updated : Nov 15, 2023, 6:21 PM IST
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