छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट को बीजेपी ने इस बार नाक का सवाल बना लिया है. छिंदवाड़ा हमेशा से बीजेपी के लिए बड़ी दुखती रग रहा है. यहां की लोकसभा सीट पर कांग्रेस को बीजेपी 2019 में मोदी की आंधी के बाद भी नहीं हरा सकी. इस लोकसभा की सातों सीटों पर भी कांग्रेस का कब्जा है. जिला परिषद के साथ ही नगर निगम पर भी कांग्रेस का ही राज है. ये बात बीजेपी को बहुत कचोट रही है. इसलिए छिंदवाड़ा को भेदने के लिए प्रदेश के दिग्गज नेताओं के अलावा केंद्र के नेताओं को भी यहां लगातार भेजा जा रहा है. पहली रणनीति ये है कि छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में आने वाली सातों विधानसभा सीटों पर कब्जा कैसे किया जाए. दूसरी रणनीति ये है कि अगर इन सातों सीटों पर कब्जा अगर न भी कर पाते हैं तो विधानसभा चुनाव में कमलनाथ को यहां एक प्रकार से कैद कर दिया जाए. जिससे वह प्रदेश में दौरे कम से कम कर सकें.
छिंदवाड़ा जिले का सियासी पारा चढ़ा : आजकल छिंदवाड़ा जिले में राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है. कमलनाथ को अपने घर में ही कैद करने के लिए बीजेपी लगातार बाड़ेबंदी कर रही है. 25 मार्च को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह छिंदवाड़ा आए थे और उसके दूसरे हफ्ते में है अब केंद्रीय राज्य मंत्री एल मुरुगन मंगलवार को छिंदवाड़ा में कार्यकर्ताओं की बैठक लेने पहुंच रहे हैं. वह पन्ना प्रभारियों सहित शक्ति केंद्र के प्रभारियों की बैठक लेंगे. इस दौरान वे 51 फीसदी वोट हासिल करने के लिए सरकार की योजनाओं को जन-जन तक किस तरीके से पहुंचाया जाए और पार्टी की क्या गाइडलाइन है. इस बारे में कार्यकर्ताओं को गाइड करेंगे.
छिंदवाड़ा तक सीमित करने की रणनीति : 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ को छिंदवाड़ा तक सीमित करने के लिए बीजेपी अपनी ठोस रणनीति पर काम कर रही है. रणनीति यह है कि कमलनाथ छिंदवाड़ा में इतना जकड़ दिया जाए कि वह मध्यप्रदेश के दौरे कम से कम कर सकें. बीजेपी ने छिंदवाड़ा जिले में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और एल मुरूगन को चुनाव के लिए प्रभारी भी नियुक्त किया है. इसके साथ ही राज्यसभा सांसद कविता पाटीदार यहां पर लगातार दौरे कर रही हैं. बीजेपी की रणनीति यहां बीजेपी के केंद्रीय स्तर के आदिवासी नेताओं को डेरा डालने की भी है.
बीजेपी की नजर आदिवासी वोट बैंक पर : 25 मार्च को छिंदवाड़ा में सभा करने पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि कमलनाथ को छिंदवाड़ा की जनता ने बहुत मौका दिया. लेकिन उन्होंने यहां पर सिर्फ लूट-खसोट की है. आने वाले विधानसभा चुनाव में सातों सीटों पर बीजेपी जीत दर्ज करेगी और 2024 के लोकसभा में भी कमलनाथ को हराया जाएगा. बीजेपी ने यहां आदिवासी वोट बैंक पर फोकस किया है. क्योंकि छिंदवाड़ा जिले में करीब 8 लाख आदिवासी मतदाता हैं. भाजपा इन्हीं वोट बैंक के सहारे कांग्रेस और कमलनाथ को मात देने की तैयारी कर रही है. अमित शाह भी आदिवासियों के धार्मिक स्थल आंचलकुंड में माथा टेकने गए थे और अब केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन भी आदिवासी विकासखंड तामिया पहुंचकर कार्यकर्ताओं की बैठक लेंगे.
कमलनाथ को जनता पर भरोसा : छिंदवाड़ा जिले में भाजपा की रणनीति पर जब पत्रकारों ने पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से सवाल किया था तो उनका कहना था कि छिंदवाड़ा से कमलनाथ चुनाव नहीं लड़ते हैं, बल्कि छिंदवाड़ा से जनता चुनाव लड़ती है. छिंदवाड़ा का चुनाव जनता और बीजेपी के बीच होता है. लगातार उन्हें छिंदवाड़ा जिला की जनता का प्यार मिला है. इसलिए कोई कितनी भी मेहनत कर ले, छिंदवाड़ा उनसे कोई नहीं छीन सकता. वहीं, छिंदवाड़ा नगर निगम में जब कांग्रेस के महापौर ने जीत दर्ज की थी तो प्रियंका गांधी ने ट्वीट में कमलनाथ की तारीफ करते हुए लिखा था कि छिंदवाड़ा जिला अब पूरी तरह से भाजपा मुक्त हो गया है. बता दें कि छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की सातों विधानसभा सीटों के साथ ही जिला पंचायत और नगर निगम में भी कांग्रेस का कब्जा है.
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कमलनाथ करेंगे जिलों का दौरा : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए कांग्रेस ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. पीसीसी चीफ कमलनाथ जल्द जिलों के दौरे शुरू करने वाले हैं और हर जिले में कार्यवाहक अध्यक्ष बनाये जाने की तैयारी है. विधानसभा चुनाव के पहले अपने सक्रिय कार्यकर्ताओं की नाराजगी खत्म करने के लिए कांग्रेस हर जिले में दो से तीन कार्यकारी अध्यक्ष बना सकती है. सोमवार को कांग्रेस प्रदेश कार्यालय में बुलाई गई जिला प्रभारियों की बैठक में पीसीसी चीफ कमलनाथ ने इसके निर्देश दिए हैं. बैठक में कमलनाथ ने कहा "मंडलम सेक्टर हमारे संगठन का आधार है, इसलिए इस पर ज्यादा से ज्यादा फोकस करें." कमलनाथ ने सभी जिलों में पिछले 3 माह में हुई मंडलम सेक्टर की बैठकों की रिपोर्ट तलब की है और बैठक में कई जिला अध्यक्षों ने अपनी नाराजगी भी दर्ज कराई. बैठक में कमलनाथ ने कहा कि जल्द ही उनके द्वारा जिलों के दौरे शुरू किए जाएंगे. कौन किसका नजदीकी इसको लेकर शिकायत न करें. पूरा फोकस चुनाव जीतने पर लगाएं.