छिंदवाड़ा। केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह की नजर छिंदवाड़ा के मतदाता पर है, जिसके लिए 25 मार्च को छिंदवाड़ा आने का कार्यक्रम तय माना जा रहा है. यहां पर भी वोटर लिस्ट के पन्ना प्रभारियों की बैठक लेकर वे 51 फ़ीसदी वोट हासिल करने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को नसीहत देंगे.
भाजपा का 51 फीसदी वोट हासिल करने का लक्ष्य: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह छिंदवाड़ा में पन्ना प्रभारियों की बैठक लेंगे, इस दौरान वे वोटर लिस्ट के प्रत्येक पन्ना प्रभारियों को अपने पन्ना के मतदाताओं के बीच से 51 फ़ीसदी वोट हासिल करने के लिए सीख देंगे. वे बताएंगे कि केंद्र की मोदी सरकार और मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के कामों को किस तरीके से पन्ना प्रभारी अपने मतदाताओं को बताएं, जिससे वे फिर से भाजपा के पक्ष में वोट देने के लिए तैयार हो सकें.
आदिवासी वोट बैंक पर फोकस करेंगे शाह: छिंदवाड़ा जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है, जिले में 7 विधानसभाओं में 3 विधानसभा में अनुसूचित, जनजाति के लिए आरक्षित है. जिले में करीब 16 लाख मतदाताओं में 6 लाख से ज्यादा मतदाता आदिवासी हैं, इसलिए छिंदवाड़ा के राजनीतिक भविष्य का फैसला भी आदिवासी मतदाता ही करते हैं इसलिए छिंदवाड़ा में भारतीय जनता पार्टी इस बार आदिवासी वोटरों को साधने की की जुगत में हैं. बता दें कि अमित शाह सबसे पहले अमरवाड़ा विधानसभा के आंचल कुंड में जाएंगे, आंचल कुंड आदिवासियों का छिंदवाड़ा में सबसे धार्मिक और पवित्र स्थल माना जाता है, यहां अमित शाह पहुंचकर पूजा-अर्चना करेंगे और उसके बाद छिंदवाड़ा एक सभा को भी संबोधित करेंगे.
बादल भोई जनजातीय संग्रहालय का भी करेंगे लोकार्पण: छिंदवाड़ा के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बादल भोई के नाम पर पहले से ही जनजाति संग्रहालय संचालित है, इसी संग्रहालय को और विस्तृत रूप देने के लिए नया भवन तैयार किया गया है. भाजपा के नेताओं ने बताया कि "अमित शाह इस संग्रहालय का भी लोकार्पण करेंगे, इस संग्रहालय में जनजाति समाज से जुड़ी सभी वस्तुओं को संग्रहित किया गया है."
2019 में भाजपा ने किया था प्रयोग आदिवासी को दी थी टिकट: दरअसल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने आदिवासी चेहरे को छिंदवाड़ा से कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ के मुकाबले चुनाव में उतारा था, इस चुनाव में भाजपा के नत्थनशाह कवरेती ने कमल नाथ के बेटे नकुल नाथ को कड़ी टक्कर देते हुए महज 35000 वोटों से हार का सामना किया था. अगर सातों विधानसभा का कुल आकलन किया जाए तो उस चुनाव के दौरान सात विधानसभा में से चार विधानसभाओं में नकुल नाथ को हार का सामना करना पड़ा था, हालांकि 3 विधानसभाओं में ज्यादा वोट लेकर नकुलनाथ सांसद बन गए थे.