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ये है छिंदवाड़ा की पहचान छींद, खाइये देसी खजूर, बीमारी से रहो कोसों दूर

छिंदवाड़ा में छींद नाम का फल होता है. जिसकी लोगों में काफी डिमांड है. इसको खाने के कई फायदे हैं. आइए जानते हैं छींद के फायदे क्या हैं.

Chhind fruit in Chhindwara
छींद
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Published : Jun 15, 2023, 10:54 PM IST

छिंदवाड़ा। चिलचिलाती धूप और इस बेहद गर्मी भरे वातावरण में जब आप पसीने से तर बतर हो जायें तो ये जंगली फल- छींद आपको राहत दे सकता है. छींद फल ही नहीं, भोजन का साधन भी है. इन दिनों छींद की काफी आवक है. जानिए क्या है इसके फायदे. बता दें इसके पेड़ पर गुच्छो में लदे नारंगी फल लगते हैं, जो खजूर के जैसे स्वाद होते हैं. इसके बीज भी खजूर के बीजों की तरह दिखते हैं.

कैसे पड़ा छिंदवाड़ा नाम: छींद वह पौधा है, जिसकी बाहुल्यता के आधार पर ही छिंदवाड़ा का यह नाम (छींद + वाड़ा) पड़ा. इसके पेड़ अत्यंत सूखे मौसम में भी ताजे, मीठे और स्वादिष्ट फल उपलब्ध कराते हैं. वनस्पति विशेषज्ञ डॉ विकास शर्मा ने बताया कि छींद के फल प्राकृतिक शर्करा के साथ साथ सूक्ष्म और वृहद पोषक तत्वों का भंडार होते हैं. यह सम्पूर्ण पेड़ ही परस्थितिक तंत्र और मानव समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसकी पत्तियों से झाड़ू, टट्टे, चटाई, कई प्रकार के सुंदर आभूषण, टोकरी आदि बनाई जाती है. जो किसानो के लिए अभूतपूर्व महत्वपूर्ण है. साथ ही इसके तने किसानों के मकान में म्यार (छत का मुख्य सहारा) बनाने के काम आती है. बहुत कम लोग ही जानते होंगे, इसके पेड़ के भीतर मौजूद कोमल जायलम मिठाई/ पेठे की तरह खाई जाती है. जिसे गाबो कहते है. यह बहुत ही पोष्टिक व प्राकृतिक शर्करा, विटामिन, प्रोटीन तथा मिनरल्स से भरपूर होती है.

Chhind fruit in Chhindwara
छींद

देशी खजूर बढ़ाता है जंगलों की शान: इसके फलों का अपना अलग ही स्वाद है. जो कुछ-कुछ खजूर की तरह ही होते हैं, लेकिन इनमें गूदा कम होता है. इस समय चारों और छींद के फलों की बहार आयी हुई है. इसके फलों की एक बात बहुत अच्छी है कि, गुच्छे को तोड़कर घर पर लाकर टांग दो, ये धीरे-धीरे पकते जाते हैं. मतलब एक बार लाओ और कई दिनों तक खाते रहो. सायकस की तरह तनो के ऊपर मौजूद कोरोलॉइड जड़ें, सहजीवी संबंध के अध्ययन का एक अच्छा नमूना है, जो स्कूल व कॉलेज के बच्चों को पढ़ाया जाता है.

कला के साथ ही रोजगार का भी है साधन: इसकी पत्तियों से अंगूठी बनाते थे, भारतीय और जनजातीय संस्कृति में विवाह के दौरान मुकुट के रूप में छींद की उपस्थिति अनिवार्य है. सबसे महत्वपूर्ण बच्चों के लिये इसके पत्तियों के डंठल/ फर/ फर्रा जो नीचे की ओर चोड़े होते है, गाड़ी की तरह गांव में प्रचलित खेल सामग्री है. छिंदवाड़ा की पहचान कहे जाने वाले छींद पेड़ की पत्तियों से सुंदर साज व घरेलू उपयोग की सामग्री बनाई जाती है. क्षेत्र में भी इसके उत्तम दर्जे के कलाकार रहते हैं. अपने घरों में विशेष अवसरों पर प्लास्टिक की सजावटी सामग्री लोग अपने घरों में रखते हैं.

Chhind leaf made many things
छींद से बनी झाड़ू

खजूर की प्रजाति का होता है छींद: छींद के पेड़ पर चार-पांच वर्ष की उम्र से ही स्वादिष्ट फल लगने लगते हैं. जो देखने में खजूर की तरह ही होते हैं, किंतु इनका आकार थोड़ा छोटा होता है. ये अपेक्षाकृत कम मांसल होते हैं, लेकिन स्वाद में यह जरा भी कमतर नहीं है. जहां एक और इसके फल मीठे और स्वादिष्ट होते हैं. वहीं इसके सेवन से बुखार, कमजोरी, चक्कर आना, गला सूखना, उल्टी आना, जी मचलाना आदि समस्याओं से लाभ मिलता है. इसमें बहुत अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, फिनोल, एमिनो एसिड, फ्लेवोनॉयड, टेनिन, अल्कलॉइड्स, टरपिनोइडस, फाइबर, विटामिन तथा कई तरह के मिनरल्स पाए जाते हैं. इन सबके अलावा इसका बीज ग्रामीण क्षेत्रों में जायफल, बादाम, हरड़ एवं हल्दी के साथ मिलाकर जन्म घुट्टी में दिया जाता है. जिससे बच्चों का पाचन तंत्र दुरुस्त होता है.

गन्ने की शक्कर से सेहतमंद होती है छींद की चीनी: कुछ स्थानों पर इसके तनों में छेद करके इससे एक स्वादिष्ट पेय प्राप्त किया जाता है. जो काफी कुछ ताड़ी से मिलता-जुलता होता है, जिसे छींदी कहते हैं. अन्य स्थानों पर इस मीठे रस से गुड़ भी तैयार किया जाता है. जिसे पाम जगरी के नाम से जाना जाता है. जो सामान्य गन्ने से प्राप्त शक्कर से कहीं अधिक सेहतमंद होता है. ग्रामीण क्षेत्रों में जब कोई छींद का पेड़ आंधी और तूफान से टूट कर गिर जाता है, तब ग्रामीण चरवाहे इसके शीर्ष भाग को काटकर तने का कोमल हिस्सा निकालते हैं. जो देखने में व स्वाद में पेठे से मिलता-जुलता होता है, इसे खाने का एक अलग ही मजा होता है. एक अन्य नजरिए से देखें तो, इसके कोमल जाइलम में स्टार्च का भंडार होता है.

Chhind fruit in Chhindwara
छींद का पेड़

देशी खजूर (छींद) के फायदे:

दिल की करें देखभाल: खजूर में मौजूद पोटेशियम और फाइबर हमारे दिल को स्वस्थ रखते हैं, जिससे हार्टअटैक का खतरा काफी हद तक टल जाता है.

रक्तचाप नियंत्रित: खजूर में कोटेशन मैग्नीशियम होता है, जिसके चलते ये ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है. साथ ही ब्लड प्रेशर के मरीजों को डॉक्टर खजूर या छींद खाने की सलाह देते हैं.

कब्ज भगाएं: खजूर में भरपूर मात्रा में फाइबर मौजूद होता है, जिससे शरीर का पाचन तंत्र सुचारु रुप से कार्य करने में समर्थ होता है. खजूर पाचन तंत्र की सफाई करता है, वहीं डाइजेशन में भी काफी सहायक हैं.

एनीमिया: मानव शरीर में होने वाली खून की कमी को काफी हद तक खजूर से दूर किया जा सकता है. इसका लगातार सेवन शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है.

हड्डियां होती हैं मजबूत: बढ़ती उम्र में हड्डियां कमजोर पड़ने लगती हैं, इसलिए बुजुर्गों को खजूर जरूर खाने चाहिए. वहीं हर उम्र के लोगों के लिए खजूर में मौजूद विटामिन, मिनरल्स रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है, इसलिए हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए खजूर बेहद जरूरी है. इसके सेवन से बीमारियां पास भी नहीं आ सकती.

मां और बच्चे दोनों की देखभाल: गर्भवती महिला को अपने साथ ही पेट में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य को देखते हुए खजूर का सेवन जरूर करना चाहिए. इससे एक तरफ तो जहां खून की कमी पूरी होती हैं, वहीं हड्डियां मजबूत होती हैं. साथ ही ये गर्भाशय को भी शक्ति प्रदान करता है. खजूर के सेवन से डिलीवरी के बाद होने वाली खून की कमी और बच्चे का विकास बहुत अच्छी तरह से हो पाता है.

खजूर में पाए जाने वालें तत्व: विटामिन A से शरीर के अंग अच्छी तरह से विकसित होते हैं. विटामिन B दिल के लिये लाभदायी होता है. इससे दिल की मांसपेशियां मजबूत होती है, साथ ही भूख बढ़ती है. विटामिन C से शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है. अस्थमा के रोगी की कमजोरी दूर कर उसे बल प्रदान करता है. ये कफनाशक है.

सावधानी: डायबिटीज के पेशेंट खजूर का सेवन ना करें, खजूर पचने में भारी होता है, इसका अधिक सेवन करने से दस्त हो सकते हैं.

Chhind fruit in Chhindwara
छींद से बने आभूषण

यहां पढ़ें...

गर्मियों के अंतिम पखवाड़े और हल्की बारिश होते ही छींद के पेड़ फलों से लद जाते हैं, जहां एक तरफ ये फल अपने मीठे स्वाद के चलते सूखे मेवे, अचार, मुरब्बा बनाने के काम आते हैं. वहीं दूसरी तरफ इन्हें पकने के बाद सीधे ही खाया जा सकता है. जो हर किसी के लिए स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक है. प्राकृतिक गुणों से भरपूर खजूर फल प्रकृति का बेमिसाल उपहार है, जो मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.

छिंदवाड़ा। चिलचिलाती धूप और इस बेहद गर्मी भरे वातावरण में जब आप पसीने से तर बतर हो जायें तो ये जंगली फल- छींद आपको राहत दे सकता है. छींद फल ही नहीं, भोजन का साधन भी है. इन दिनों छींद की काफी आवक है. जानिए क्या है इसके फायदे. बता दें इसके पेड़ पर गुच्छो में लदे नारंगी फल लगते हैं, जो खजूर के जैसे स्वाद होते हैं. इसके बीज भी खजूर के बीजों की तरह दिखते हैं.

कैसे पड़ा छिंदवाड़ा नाम: छींद वह पौधा है, जिसकी बाहुल्यता के आधार पर ही छिंदवाड़ा का यह नाम (छींद + वाड़ा) पड़ा. इसके पेड़ अत्यंत सूखे मौसम में भी ताजे, मीठे और स्वादिष्ट फल उपलब्ध कराते हैं. वनस्पति विशेषज्ञ डॉ विकास शर्मा ने बताया कि छींद के फल प्राकृतिक शर्करा के साथ साथ सूक्ष्म और वृहद पोषक तत्वों का भंडार होते हैं. यह सम्पूर्ण पेड़ ही परस्थितिक तंत्र और मानव समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसकी पत्तियों से झाड़ू, टट्टे, चटाई, कई प्रकार के सुंदर आभूषण, टोकरी आदि बनाई जाती है. जो किसानो के लिए अभूतपूर्व महत्वपूर्ण है. साथ ही इसके तने किसानों के मकान में म्यार (छत का मुख्य सहारा) बनाने के काम आती है. बहुत कम लोग ही जानते होंगे, इसके पेड़ के भीतर मौजूद कोमल जायलम मिठाई/ पेठे की तरह खाई जाती है. जिसे गाबो कहते है. यह बहुत ही पोष्टिक व प्राकृतिक शर्करा, विटामिन, प्रोटीन तथा मिनरल्स से भरपूर होती है.

Chhind fruit in Chhindwara
छींद

देशी खजूर बढ़ाता है जंगलों की शान: इसके फलों का अपना अलग ही स्वाद है. जो कुछ-कुछ खजूर की तरह ही होते हैं, लेकिन इनमें गूदा कम होता है. इस समय चारों और छींद के फलों की बहार आयी हुई है. इसके फलों की एक बात बहुत अच्छी है कि, गुच्छे को तोड़कर घर पर लाकर टांग दो, ये धीरे-धीरे पकते जाते हैं. मतलब एक बार लाओ और कई दिनों तक खाते रहो. सायकस की तरह तनो के ऊपर मौजूद कोरोलॉइड जड़ें, सहजीवी संबंध के अध्ययन का एक अच्छा नमूना है, जो स्कूल व कॉलेज के बच्चों को पढ़ाया जाता है.

कला के साथ ही रोजगार का भी है साधन: इसकी पत्तियों से अंगूठी बनाते थे, भारतीय और जनजातीय संस्कृति में विवाह के दौरान मुकुट के रूप में छींद की उपस्थिति अनिवार्य है. सबसे महत्वपूर्ण बच्चों के लिये इसके पत्तियों के डंठल/ फर/ फर्रा जो नीचे की ओर चोड़े होते है, गाड़ी की तरह गांव में प्रचलित खेल सामग्री है. छिंदवाड़ा की पहचान कहे जाने वाले छींद पेड़ की पत्तियों से सुंदर साज व घरेलू उपयोग की सामग्री बनाई जाती है. क्षेत्र में भी इसके उत्तम दर्जे के कलाकार रहते हैं. अपने घरों में विशेष अवसरों पर प्लास्टिक की सजावटी सामग्री लोग अपने घरों में रखते हैं.

Chhind leaf made many things
छींद से बनी झाड़ू

खजूर की प्रजाति का होता है छींद: छींद के पेड़ पर चार-पांच वर्ष की उम्र से ही स्वादिष्ट फल लगने लगते हैं. जो देखने में खजूर की तरह ही होते हैं, किंतु इनका आकार थोड़ा छोटा होता है. ये अपेक्षाकृत कम मांसल होते हैं, लेकिन स्वाद में यह जरा भी कमतर नहीं है. जहां एक और इसके फल मीठे और स्वादिष्ट होते हैं. वहीं इसके सेवन से बुखार, कमजोरी, चक्कर आना, गला सूखना, उल्टी आना, जी मचलाना आदि समस्याओं से लाभ मिलता है. इसमें बहुत अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, फिनोल, एमिनो एसिड, फ्लेवोनॉयड, टेनिन, अल्कलॉइड्स, टरपिनोइडस, फाइबर, विटामिन तथा कई तरह के मिनरल्स पाए जाते हैं. इन सबके अलावा इसका बीज ग्रामीण क्षेत्रों में जायफल, बादाम, हरड़ एवं हल्दी के साथ मिलाकर जन्म घुट्टी में दिया जाता है. जिससे बच्चों का पाचन तंत्र दुरुस्त होता है.

गन्ने की शक्कर से सेहतमंद होती है छींद की चीनी: कुछ स्थानों पर इसके तनों में छेद करके इससे एक स्वादिष्ट पेय प्राप्त किया जाता है. जो काफी कुछ ताड़ी से मिलता-जुलता होता है, जिसे छींदी कहते हैं. अन्य स्थानों पर इस मीठे रस से गुड़ भी तैयार किया जाता है. जिसे पाम जगरी के नाम से जाना जाता है. जो सामान्य गन्ने से प्राप्त शक्कर से कहीं अधिक सेहतमंद होता है. ग्रामीण क्षेत्रों में जब कोई छींद का पेड़ आंधी और तूफान से टूट कर गिर जाता है, तब ग्रामीण चरवाहे इसके शीर्ष भाग को काटकर तने का कोमल हिस्सा निकालते हैं. जो देखने में व स्वाद में पेठे से मिलता-जुलता होता है, इसे खाने का एक अलग ही मजा होता है. एक अन्य नजरिए से देखें तो, इसके कोमल जाइलम में स्टार्च का भंडार होता है.

Chhind fruit in Chhindwara
छींद का पेड़

देशी खजूर (छींद) के फायदे:

दिल की करें देखभाल: खजूर में मौजूद पोटेशियम और फाइबर हमारे दिल को स्वस्थ रखते हैं, जिससे हार्टअटैक का खतरा काफी हद तक टल जाता है.

रक्तचाप नियंत्रित: खजूर में कोटेशन मैग्नीशियम होता है, जिसके चलते ये ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है. साथ ही ब्लड प्रेशर के मरीजों को डॉक्टर खजूर या छींद खाने की सलाह देते हैं.

कब्ज भगाएं: खजूर में भरपूर मात्रा में फाइबर मौजूद होता है, जिससे शरीर का पाचन तंत्र सुचारु रुप से कार्य करने में समर्थ होता है. खजूर पाचन तंत्र की सफाई करता है, वहीं डाइजेशन में भी काफी सहायक हैं.

एनीमिया: मानव शरीर में होने वाली खून की कमी को काफी हद तक खजूर से दूर किया जा सकता है. इसका लगातार सेवन शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है.

हड्डियां होती हैं मजबूत: बढ़ती उम्र में हड्डियां कमजोर पड़ने लगती हैं, इसलिए बुजुर्गों को खजूर जरूर खाने चाहिए. वहीं हर उम्र के लोगों के लिए खजूर में मौजूद विटामिन, मिनरल्स रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है, इसलिए हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए खजूर बेहद जरूरी है. इसके सेवन से बीमारियां पास भी नहीं आ सकती.

मां और बच्चे दोनों की देखभाल: गर्भवती महिला को अपने साथ ही पेट में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य को देखते हुए खजूर का सेवन जरूर करना चाहिए. इससे एक तरफ तो जहां खून की कमी पूरी होती हैं, वहीं हड्डियां मजबूत होती हैं. साथ ही ये गर्भाशय को भी शक्ति प्रदान करता है. खजूर के सेवन से डिलीवरी के बाद होने वाली खून की कमी और बच्चे का विकास बहुत अच्छी तरह से हो पाता है.

खजूर में पाए जाने वालें तत्व: विटामिन A से शरीर के अंग अच्छी तरह से विकसित होते हैं. विटामिन B दिल के लिये लाभदायी होता है. इससे दिल की मांसपेशियां मजबूत होती है, साथ ही भूख बढ़ती है. विटामिन C से शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है. अस्थमा के रोगी की कमजोरी दूर कर उसे बल प्रदान करता है. ये कफनाशक है.

सावधानी: डायबिटीज के पेशेंट खजूर का सेवन ना करें, खजूर पचने में भारी होता है, इसका अधिक सेवन करने से दस्त हो सकते हैं.

Chhind fruit in Chhindwara
छींद से बने आभूषण

यहां पढ़ें...

गर्मियों के अंतिम पखवाड़े और हल्की बारिश होते ही छींद के पेड़ फलों से लद जाते हैं, जहां एक तरफ ये फल अपने मीठे स्वाद के चलते सूखे मेवे, अचार, मुरब्बा बनाने के काम आते हैं. वहीं दूसरी तरफ इन्हें पकने के बाद सीधे ही खाया जा सकता है. जो हर किसी के लिए स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक है. प्राकृतिक गुणों से भरपूर खजूर फल प्रकृति का बेमिसाल उपहार है, जो मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.

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