छिंदवाड़ा। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में किसानों का 2 लाख रुपए तक का कर्ज माफ करने के जिस वायदे पर कांग्रेस को जीत मिली थी. कर्जमाफी के जिस वादे की बदौलत कमलनाथ मुख्यमंत्री बने थे. उस वादे के पूरा होने की आस में कमलनाथ के अपने जिले छिंदवाड़ा में 45 हजार किसान डिफाल्टर हो गए हैं. पंद्रह महीने की कमलनाथ सरकार सिंधिया समर्थक विधायकों के दल बदलने की वजह से 15 महीने में ही गिर गई थी.
किसानों की सूची राजस्व विभाग को सौंपी : जिला सहकारी बैंक ने किसानों की सूची राजस्व विभाग को सौंपी है, ताकि इनसे कर्ज की वसूली की जा सके. हालात यह है कि कर्जदार किसानों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. जानकारी के अनुसार जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की 26 शाखाओं व 146 समितियों से 1 लाख 3 हजार 113 किसानों को 816 करोड़ रुपए का कर्ज दिया गया है. इनमें से करीब 45 हजार 446 किसान ऐसे हैं, जोकि कर्जमाफी की आस में डिफॉल्टर की श्रेणी में आ गए हैं.
डेढ़ सौ किसानों के खिलाफ केस : तीन साल से अधिक समय से कर्ज जमा नहीं करने वाले करीब 45 हजार किसानों से वसूली के लिए बैंक प्रबंधन ने राजस्व विभाग को प्रकरण सौंपे हैं. इन किसानों ने कर्जमाफी की उम्मीद में कर्ज नहीं चुकाया. इसके अलावा करीब 150 किसानों के खिलाफ धारा 84 के तहत प्रकरण भी दर्ज कराया गया है. कमलनाथ की घोषणा के बाद डिफॉल्टर हुए किसानों को खाद-बीज और कर्ज नहीं मिल पा रहा है. अब शिवराज सरकार ने डिफॉल्टर किसानों के कर्ज का ब्याज माफ़ करने की घोषणा की है. ताकि वे फिर से लेनदेन कर सकें.
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57 हजार किसानों का हुआ था कर्ज माफ : साल 2019-20 में कांग्रेस की सरकार में जिले के 57,541 किसानों के कर्ज माफ हुए थे. चिह्नित किए गए सवा लाख किसानों में से करीब 71 हजार किसान कर्ज माफी की राह ताक रहे थे कि अचानक सरकार गिर गई. कर्जमाफी की आस में कर्जदार किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है. कर्ज की राशि लगातार बढ़ने के कारण 45 हजार किसानों पर 363 करोड़ रुपए का कर्ज हो चुका है. जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के महाप्रबंधक केके सोनी ने बताया कि कर्ज वसूली के लिए हम अभियान चला रहे हैं. रबी और खरीफ सीजन की ड्यू डेट के पूर्व 230 करोड़ रुपए की वसूली हो चुकी है. 3 साल से ज्यादा समय से कर्ज की राशि जमा नहीं करने वाले किसानों के लिए क्रिस योजना के तहत राजस्व विभाग को वसूली के प्रकरण सौंपे गए हैं.