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Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि पर विषैली वस्तुओं के अर्पण से प्रसन्न होंगे शिव! शिवपुराण में रात्रि पूजन का ये है विधान

महाशिवरात्रि 2023 पर्व 18 फरवरी को मनाया जा रहा है. इस दिन भगवान शंकर की रात्रि बेला में माता पार्वती के साथ विवाह होगा. इसके लिए शिवपुराण में विधि विधान है कि कैसे बाबा भोलेनाथ को प्रसन्न किया जाए जिससे उनका आशिर्वाद मिले. (Maha Shivaratri Pooja Vidhanam) जानें किस विधि से करें पूजा, और क्या उपाय इंसानों को लाभ पहुंचाएगा. इन सब के बारे में पंडित श्रवण कृष्ण शास्त्री से जानिए.

Mahashivratri 2023 worship method
महाशिवरात्रि 2023 पूजनविधि
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Published : Feb 16, 2023, 10:46 PM IST

Updated : Feb 17, 2023, 4:49 PM IST

महाशिवरात्रि पर शिव की पूजा विधि जानें

छिंदवाड़ा। महाशिवरात्रि का पर्व इस साल 18 फरवरी को मनाया जा रहा है. महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है. यह पर्व भगवान शंकर और माता पार्वती के विवाह के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भक्तों का जनसैलाब शिव मंदिर में रहता है. लोग रतजगा करते हैं और शिव को प्रसन्न करने के लिए तमाम विधि से उनकी आराधना करते हैं. फिर ऐसे में एक सवाल उठता है कि आखिर शिवपुराण में किस तरीके से भगवान शंकर की पूजा का जिक्र है, उन्हें प्रसन्न कैसे किया जा सकता है और पूजा को सफल कैसे बनाया जा सकता है. भगवान शंकर को अर्पित होने वाली वस्तुओं का क्या महत्व इन सारे सवालों के बारे में पंडित श्रवण कृष्ण शास्त्री से जानिए.

रात्रि में पूजा करने का विशेष महत्व: पंडित श्रवण कृष्ण शास्त्री ने बताया कि, शिवरात्रि हर महीने आती है, लेकिन महाशिवरात्रि साल में एक बार ही आती है. इसमें रात में पूजा करने का विशेष महत्व है, इसलिए रात के 12:00 बजे से ही लोग भगवान शंकर की पूजा करने लगते हैं. शिवरात्रि के मौके पर रात में जागरण के साथ ही शिव भजन करना चाहिए, ताकि पूजा का पुण्य मिल सके. 5 प्रहर की पूजा का भी विधान है. (Maha Shivaratri Pooja Vidhanam)

महाशिवरात्रि पर भगवान शंकर-पार्वती का होता है विवाह: पंडित श्रवण कृष्ण शास्त्री ने बताया कि, शिवरात्रि के दिन ही भगवान का प्रतीक चिन्ह शिवलिंग का प्राकट्य हुआ. इसी दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसीलिए भक्त इसे उत्सव के रूप में मनाते हैं.

Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि कब, शिव-पार्वती विवाह के दिन क्यों मनाया जाता ये पर्व?

भगवान को अर्पित वस्तुओं का महत्व: भगवान भोलेनाथ को भक्त एक लोटा जल से लेकर बड़े-बड़े अभिषेक भी कर सकते हैं. अभिषेक करने के लिए उपयोग किए जाने वाले दूध से पुत्र की प्राप्ति होती है, दही से शांति की प्राप्ति होती है, घी से बल प्राप्त होता है, शहद से जीवन में मधुरता आती है और भगवान शंकर को शक्कर यानी कि ईख के रस से बनी शक्कर अर्पित करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है.

विषैले पदार्थ अर्पित करने से जानें इसके फायदे: भगवान शंकर को विषैले पदार्थ अत्यंत प्रिय हैं. भांग जो नशीली और विषैली होती है, वो भी बेहद पसंद है. इसके साथ ही बेलपत्र में कांटे होते हैं. भगवान शंकर को 3 दलों वाली बेलपत्र अगर कोई चढ़ाता है तो उस भक्त के 3 जन्मों के पाप कट जाते हैं. इसी प्रकार धतूरा और अकौआ का दूध भी विषैला होता है. शिव भक्तों पर किसी भी प्रकार की परेशानी न आए उनकी जिंदगी में किसी भी प्रकार का विष न घुले, इसलिए सारे विष को वह खुद ग्रहण कर जाते हैं.

MP Guard Over Shiva: महाशिवरात्रि पर खुलेंगे सोमेश्वर शिव के कपाट, भक्त सिर्फ 12 घंटे कर सकेंगे अभिषेक

शिव मंदिर में कम से कम 3 बेलपत्र चढ़ाएं: पंडित श्रवण कृष्ण शास्त्री ने बताया कि, महाशिवरात्रि के मौके पर अगर कोई भक्त बड़ी पूजा नहीं कर सकते हैं तो किसी भी प्राण प्रतिष्ठित शिव मंदिर में जाकर भी 3 बेलपत्र अवश्य चढ़ाएं. इसके अलावा घर में मिट्टी से बनाए हुए 11 पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर उनकी भी पूजा और अभिषेक करें, जिससे दांपत्य जीवन खुशहाल होता है.

औघड़दानी की श्मशान की राख से करें पूजा: भगवान शंकर को औघड़दानी श्मशान वासी भी कहा जाता है. श्मशान में सिर्फ मुर्दे ही होते हैं. भगवान के शरीर पर मुर्दे की राख चढ़ाई जाए तो भगवान बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं, इसलिए अधिकतर लोग श्मशान से राख लाकर भगवान की भस्म आरती भी करते हैं.

महाशिवरात्रि पर शिव की पूजा विधि जानें

छिंदवाड़ा। महाशिवरात्रि का पर्व इस साल 18 फरवरी को मनाया जा रहा है. महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है. यह पर्व भगवान शंकर और माता पार्वती के विवाह के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भक्तों का जनसैलाब शिव मंदिर में रहता है. लोग रतजगा करते हैं और शिव को प्रसन्न करने के लिए तमाम विधि से उनकी आराधना करते हैं. फिर ऐसे में एक सवाल उठता है कि आखिर शिवपुराण में किस तरीके से भगवान शंकर की पूजा का जिक्र है, उन्हें प्रसन्न कैसे किया जा सकता है और पूजा को सफल कैसे बनाया जा सकता है. भगवान शंकर को अर्पित होने वाली वस्तुओं का क्या महत्व इन सारे सवालों के बारे में पंडित श्रवण कृष्ण शास्त्री से जानिए.

रात्रि में पूजा करने का विशेष महत्व: पंडित श्रवण कृष्ण शास्त्री ने बताया कि, शिवरात्रि हर महीने आती है, लेकिन महाशिवरात्रि साल में एक बार ही आती है. इसमें रात में पूजा करने का विशेष महत्व है, इसलिए रात के 12:00 बजे से ही लोग भगवान शंकर की पूजा करने लगते हैं. शिवरात्रि के मौके पर रात में जागरण के साथ ही शिव भजन करना चाहिए, ताकि पूजा का पुण्य मिल सके. 5 प्रहर की पूजा का भी विधान है. (Maha Shivaratri Pooja Vidhanam)

महाशिवरात्रि पर भगवान शंकर-पार्वती का होता है विवाह: पंडित श्रवण कृष्ण शास्त्री ने बताया कि, शिवरात्रि के दिन ही भगवान का प्रतीक चिन्ह शिवलिंग का प्राकट्य हुआ. इसी दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसीलिए भक्त इसे उत्सव के रूप में मनाते हैं.

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भगवान को अर्पित वस्तुओं का महत्व: भगवान भोलेनाथ को भक्त एक लोटा जल से लेकर बड़े-बड़े अभिषेक भी कर सकते हैं. अभिषेक करने के लिए उपयोग किए जाने वाले दूध से पुत्र की प्राप्ति होती है, दही से शांति की प्राप्ति होती है, घी से बल प्राप्त होता है, शहद से जीवन में मधुरता आती है और भगवान शंकर को शक्कर यानी कि ईख के रस से बनी शक्कर अर्पित करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है.

विषैले पदार्थ अर्पित करने से जानें इसके फायदे: भगवान शंकर को विषैले पदार्थ अत्यंत प्रिय हैं. भांग जो नशीली और विषैली होती है, वो भी बेहद पसंद है. इसके साथ ही बेलपत्र में कांटे होते हैं. भगवान शंकर को 3 दलों वाली बेलपत्र अगर कोई चढ़ाता है तो उस भक्त के 3 जन्मों के पाप कट जाते हैं. इसी प्रकार धतूरा और अकौआ का दूध भी विषैला होता है. शिव भक्तों पर किसी भी प्रकार की परेशानी न आए उनकी जिंदगी में किसी भी प्रकार का विष न घुले, इसलिए सारे विष को वह खुद ग्रहण कर जाते हैं.

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शिव मंदिर में कम से कम 3 बेलपत्र चढ़ाएं: पंडित श्रवण कृष्ण शास्त्री ने बताया कि, महाशिवरात्रि के मौके पर अगर कोई भक्त बड़ी पूजा नहीं कर सकते हैं तो किसी भी प्राण प्रतिष्ठित शिव मंदिर में जाकर भी 3 बेलपत्र अवश्य चढ़ाएं. इसके अलावा घर में मिट्टी से बनाए हुए 11 पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर उनकी भी पूजा और अभिषेक करें, जिससे दांपत्य जीवन खुशहाल होता है.

औघड़दानी की श्मशान की राख से करें पूजा: भगवान शंकर को औघड़दानी श्मशान वासी भी कहा जाता है. श्मशान में सिर्फ मुर्दे ही होते हैं. भगवान के शरीर पर मुर्दे की राख चढ़ाई जाए तो भगवान बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं, इसलिए अधिकतर लोग श्मशान से राख लाकर भगवान की भस्म आरती भी करते हैं.

Last Updated : Feb 17, 2023, 4:49 PM IST
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