छिंदवाड़ा। कोरोना वायरस की चैन को तोड़ने के लिए लागू लॉकडाउन में सब्जी किसानों पर दोहरी मार पड़ी है. एक तरफ लॉकडाउन होने के कारण ना तो किसान को खेत पर काम करने वाले मजदूर मिल पा रहे हैं और ना ही किसानों की सब्जी का उचित दाम मिल पा रहा है. वहीं दूसरी तरफ भीषण गर्मी पड़ने की वजह पानी की कमी होने लगी है, जिससे किसानों की परेशानियां और भी बढ़ गई हैं. हालात ये है कि किसान सब्जी मंडियों में ले जाने के बजाय खेतों में ही छोड़ रहे हैं.
किसान माणिकराव चौधरी का कहना है कि आम दिनों के मुकाबले गर्मी के दिनों में खेत में लगी सब्जियों की ज्यादा देखभाल करना पड़ता है. गर्मी की फसलों में ज्यादा पानी लगाता है. वहीं इन दिनों में सब्जियों में कीड़े लगने का भी डर ज्यादा होता है. ऐस में किसान पानी बचाने के लिए ड्रिप एरिगेशन का सहारा लेते हैं. दरअसल सब्जियों की फसल में पानी अधिक मात्रा में लगता है. इसलिए किसान आधुनिक पद्धति ड्रिप इरिगेशन की सहायता लेते हैं. इसके चलते किसान पौधों की जड़ों में बूंद बूंद पानी पहुंचाते हैं, ताकि पानी भी बर्बाद ना हो और सब्जी की फसल को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल सके, लेकिन इस सब के बावजूद किसानों लॉकडाउन होने के कारण काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है.
औने-पौने दामों में सब्जी बेचने को मजबूर
वहीं मिर्च उगाने वाले किसान संतकुमार साहू का कहना है कि आम दिनों में करीब 30 से 40 रुपए प्रति किलो मिर्च बिकती थी जिसके किसान को करीब 3 से 4 लाख प्रति एकड़ फायदा होता था. लेकिन लॉकडाउन होने की वजह से उनको लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है. किसानों का कहना है कि लॉकडाउन होने के कारण वे मंडी नहीं जा पा रहे हैं, इसलिए वे अपने आस पास के इलाके में ही मिर्च बेच रहे हैं, जो 10 से 15 रुपए प्रति किलो मिर्च बिक रही है.
वहीं किसान अनिल पवार का कहना है कि उन्होंने 18 एकड़ में गोभी लगाई थी, लेकिन लॉकडाउन होने के कारण उन्हें औने पौने दाम पर गोभी बेचनी पड़ रही है. जिससे उनको करीब 11 लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है. बता दें कि छिंदवाड़ा में उगाई जाने वाली सब्जी अधिकतर पड़ोसी राज्यों छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र के अलावा उत्तर प्रदेश, तेलंगाना भी जाती थी, लेकिन लॉकडाउन के चलते सब्जियां बिक ही नहीं पा रही है. जिससे किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है.