छिंदवाड़ा। कहते हैं कि अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो, तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं है. इसी को चरितार्थ किया है छिंदवाड़ा जिले के झामटा गांव की रहने वाली लक्ष्मी घागरे ने. लक्ष्मी ने अपने मजबूत इरादों से जैविक खेती कर महिलाओं के लिए एक मिसाल पेश की है.
लक्ष्मी घागरे भी आम महिलाओं की तरह शादी करके अपने ससुराल में आई थी, लेकिन वो बस आम महिलाओं की तरह जिंदगी नहीं गुजारना चाहती थी, बल्कि एक मकसद के साथ समाज को बदलने का भी जज्बा उसमें था.
हर घर में है पोषण वाटिका
लक्ष्मी घागरे ने अपने मजबूत हौसलों की बदौलत पहले खुद से जैविक खेती का काम शुरू किया. उसके बाद में स्व सहायता समूह के जरिए गांव की करीब 80 महिलाओं को जोड़ा, जो अपने घरों में जैविक पोषण वाटिका लगाती हैं और उससे लोगों को केमिकल से मुक्त सब्जियां उपलब्ध कराती हैं.
दूध से लेकर अनाज तक जैविक
लक्ष्मी घागरे के समूह से जुड़ी महिलाओं के स्व सहायता समूह में जैविक दूध से लेकर दैनिक जीवनचर्या कि हर वह चीज मिलती है, जिसकी आपको रसोई में जरूरत होती है फिर चाहे वह पापड़ हो या अनाज. फिलहाल इनकी पोषण वाटिका में पपीता, करेले, लौकी से लेकर सभी सब्जियां हैं.
जैविक खाद और कीटनाशक का भी हुनर
अपनी खेती और पोषण वाटिका के लिए इन्हें कहीं और से जैविक खाद और जैविक कीटनाशक खरीदने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसे स्व सहायता समूह खुद बनाता है. तकरीबन पांच से छह तरह के जैविक कीटनाशक और जैविक खाद यह अपने ही घरों में तैयार करती हैं.
लक्ष्मी घागरे का कहना है कि जिले में कुपोषण बहुत ज्यादा है, जिसका कारण लोगों को सही आहार ना मिलना है, साथ ही केमिकल युक्त अनाज के कारण भी लोगों का स्वास्थ्य खराब है, लेकिन जैविक खाद और कीटनाशकों के कारण अब फसलें बिना नुकसान के पैदा हो रही हैं.