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अपनी जिद से लक्ष्मी ने खींची बदलाव की नई लकीर, 'पोषण वाटिका' से समाज को कर रहीं रोग मुक्त - organic farming in chhindwara

छिंदवाड़ा की लक्ष्मी घागरे न सिर्फ खुद आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हुईं, बल्कि गांव की सैकड़ों महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाया. वे जैविक खेती कर एक मिसाल पेश कर रही हैं. महिलाओं की मदद से वे घरों में जैविक पोषण वाटिका लगा रही हैं, ताकि लोग बिना केमिकल वाला आहार ले सकें.

लक्ष्मी घागरे की पोषण वाटिका
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Published : Aug 6, 2019, 3:25 PM IST

Updated : Aug 8, 2019, 4:12 PM IST

छिंदवाड़ा। कहते हैं कि अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो, तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं है. इसी को चरितार्थ किया है छिंदवाड़ा जिले के झामटा गांव की रहने वाली लक्ष्मी घागरे ने. लक्ष्मी ने अपने मजबूत इरादों से जैविक खेती कर महिलाओं के लिए एक मिसाल पेश की है.

लक्ष्मी घागरे की पोषण वाटिका

लक्ष्मी घागरे भी आम महिलाओं की तरह शादी करके अपने ससुराल में आई थी, लेकिन वो बस आम महिलाओं की तरह जिंदगी नहीं गुजारना चाहती थी, बल्कि एक मकसद के साथ समाज को बदलने का भी जज्बा उसमें था.

हर घर में है पोषण वाटिका
लक्ष्मी घागरे ने अपने मजबूत हौसलों की बदौलत पहले खुद से जैविक खेती का काम शुरू किया. उसके बाद में स्व सहायता समूह के जरिए गांव की करीब 80 महिलाओं को जोड़ा, जो अपने घरों में जैविक पोषण वाटिका लगाती हैं और उससे लोगों को केमिकल से मुक्त सब्जियां उपलब्ध कराती हैं.

दूध से लेकर अनाज तक जैविक
लक्ष्मी घागरे के समूह से जुड़ी महिलाओं के स्व सहायता समूह में जैविक दूध से लेकर दैनिक जीवनचर्या कि हर वह चीज मिलती है, जिसकी आपको रसोई में जरूरत होती है फिर चाहे वह पापड़ हो या अनाज. फिलहाल इनकी पोषण वाटिका में पपीता, करेले, लौकी से लेकर सभी सब्जियां हैं.

जैविक खाद और कीटनाशक का भी हुनर
अपनी खेती और पोषण वाटिका के लिए इन्हें कहीं और से जैविक खाद और जैविक कीटनाशक खरीदने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसे स्व सहायता समूह खुद बनाता है. तकरीबन पांच से छह तरह के जैविक कीटनाशक और जैविक खाद यह अपने ही घरों में तैयार करती हैं.

लक्ष्मी घागरे का कहना है कि जिले में कुपोषण बहुत ज्यादा है, जिसका कारण लोगों को सही आहार ना मिलना है, साथ ही केमिकल युक्त अनाज के कारण भी लोगों का स्वास्थ्य खराब है, लेकिन जैविक खाद और कीटनाशकों के कारण अब फसलें बिना नुकसान के पैदा हो रही हैं.

छिंदवाड़ा। कहते हैं कि अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो, तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं है. इसी को चरितार्थ किया है छिंदवाड़ा जिले के झामटा गांव की रहने वाली लक्ष्मी घागरे ने. लक्ष्मी ने अपने मजबूत इरादों से जैविक खेती कर महिलाओं के लिए एक मिसाल पेश की है.

लक्ष्मी घागरे की पोषण वाटिका

लक्ष्मी घागरे भी आम महिलाओं की तरह शादी करके अपने ससुराल में आई थी, लेकिन वो बस आम महिलाओं की तरह जिंदगी नहीं गुजारना चाहती थी, बल्कि एक मकसद के साथ समाज को बदलने का भी जज्बा उसमें था.

हर घर में है पोषण वाटिका
लक्ष्मी घागरे ने अपने मजबूत हौसलों की बदौलत पहले खुद से जैविक खेती का काम शुरू किया. उसके बाद में स्व सहायता समूह के जरिए गांव की करीब 80 महिलाओं को जोड़ा, जो अपने घरों में जैविक पोषण वाटिका लगाती हैं और उससे लोगों को केमिकल से मुक्त सब्जियां उपलब्ध कराती हैं.

दूध से लेकर अनाज तक जैविक
लक्ष्मी घागरे के समूह से जुड़ी महिलाओं के स्व सहायता समूह में जैविक दूध से लेकर दैनिक जीवनचर्या कि हर वह चीज मिलती है, जिसकी आपको रसोई में जरूरत होती है फिर चाहे वह पापड़ हो या अनाज. फिलहाल इनकी पोषण वाटिका में पपीता, करेले, लौकी से लेकर सभी सब्जियां हैं.

जैविक खाद और कीटनाशक का भी हुनर
अपनी खेती और पोषण वाटिका के लिए इन्हें कहीं और से जैविक खाद और जैविक कीटनाशक खरीदने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसे स्व सहायता समूह खुद बनाता है. तकरीबन पांच से छह तरह के जैविक कीटनाशक और जैविक खाद यह अपने ही घरों में तैयार करती हैं.

लक्ष्मी घागरे का कहना है कि जिले में कुपोषण बहुत ज्यादा है, जिसका कारण लोगों को सही आहार ना मिलना है, साथ ही केमिकल युक्त अनाज के कारण भी लोगों का स्वास्थ्य खराब है, लेकिन जैविक खाद और कीटनाशकों के कारण अब फसलें बिना नुकसान के पैदा हो रही हैं.

Intro:छिन्दवाड़ा। अगर इरादा पक्का हो तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं होती। छिंदवाड़ा के झामटा गांव की रहने वाली लक्ष्मी घागरे ने अपने इरादों से भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया है।


Body:लक्ष्मी घागरे भी आम महिलाओं की तरह शादी करके अपने परिवार में आए थी लेकिन कुछ करने की जिद के आगे वह आम महिलाओं की तरह घरेलू महिला बनकर नहीं रहना चाहती थी, पैसों की कमी के चलते पहले कर्ज लेने में कई अड़चनें आती थी किसी ने बताया कि जैविक खेती अच्छा जरिया है जिसमें लोन आसानी से मिल सकता है। आखिर लक्ष्मी घागरे को वहीं से मिल गई है कि नहीं राह।

हर घर में है पोषण वाटिका

लक्ष्मी घागरे में पहले खुद से जैविक खेती का काम शुरू किया उसके बाद में स्व सहायता समूह के जरिए अब गांव की करीब 80 महिलाओं को जोड़ा है जो सभी अपने घरों में जैविक पोषण वाटिका लगाती हैं और उससे लोगों को कैमिकल से मुक्त सब्जियां उपलब्ध कराती हैं।

दूध से लेकर अनाज तक जैविक

लक्ष्मी घागरे के समूह से जुड़ी महिलाओं के स्व सहायता समूह में जैविक दूध से लेकर दैनिक जीवनचर्या कि हर वह चीज मिलती है जो आपके रसोई में जरूरत होती है फिर चाहे वह पापड़ हो या अनाज फिलहाल इनकी पोषण वाटिका में पपीता करेले लोकी से लेकर सभी सब्जियाँ हैं।

जैविक खाद और कीटनाशक का भी हुनर

अपनी खेती और पोषण वाटिका के लिए इन्हें कहीं और से जैविक खाद और जैविक कीटनाशक खरीदने की जरूरत नहीं है क्योंकि उन्हें भी यह स्व सहायता खुद बनाता है करीब पांच से छह प्रकार की जैविक कीटनाशक और जैविक खाद यह अपने ही घरों में तैयार करती हैं।


Conclusion: लक्ष्मी घागरे का कहना है कि लगातार खबरों में देखा और सुना जाता था कि जिले में कुपोषण बहुत ज्यादा है जिसका कारण लोगों को सही आहार ना मिलना और केमिकल युक्त अनाज प्रमुख कारण होते थे उनकी सोच का कारण यही है कि एक तो खुद के घर में पोषण युक्त सब्जियां और अनाज मिलता है साथ ही महिलाओं को आर्थिक फायदा भी पहुंचता है।
Last Updated : Aug 8, 2019, 4:12 PM IST
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