छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा में कमल नाथ का वर्चस्व खत्म करने और कमल फूल को खिलाने के लिए बीजेपी भरसक प्रयास कर रही है, 2-2 केंद्रीय मंत्रियों को प्रभारी बनाने के बाद 25 मार्च को अमित शाह यहां से चुनाव का आगाज करेंगे. इसके साथ ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने छिंदवाड़ा आएंगे. बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने छिंदवाड़ा में काफी मशक्कत की थी और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने छिंदवाड़ा में चुनावी सभाएं की थी, इसके बाद भी भाजपा छिंदवाड़ा जिले में एक भी विधानसभा सीट नहीं जीत पाई थी. आखिर क्यों अंगद की तरह अडिग है यहां कमल नाथ.
छिंदवाड़ा सीट को लेकर तू-तू-मैं-मैं: अमित शाह के दौरे की तैयारियों का जायजा लेने छिंदवाड़ा पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक में कहा कि "अमित शाह छिंदवाड़ा से चुनाव का आगाज कर रहे हैं, यहां पर बड़ा तूफान आने वाला है और अब छिंदवाड़ा से ही कमल नाथ का राजनीतिक अस्तित्व खत्म कर कांग्रेस और उन्हें गड्ढे में गाड़ देंगे." इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व सीएम कमल नाथ ने कहा कि "छिंदवाड़ा से कमल नाथ चुनाव नहीं लड़ते हैं, छिंदवाड़ा से चुनाव जनता और बीजेपी के बीच होता है. छिंदवाड़ा की जनता का प्यार और विश्वास मुझे हमेशा मिला है, इसलिए बीजेपी को अगर लड़ना है तो छिंदवाड़ा की जनता से लड़ेगी. कमल नाथ से बीजेपी चुनाव नहीं लड़ती है."
मोदी और शाह की सभा के बाद भी नहीं मिली थी एक भी सीट: 2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भी छिंदवाड़ा से कमल नाथ और कांग्रेस को हराने के लिए बीजेपी ने काफी प्रयास किया था. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छिंदवाड़ा के SAF मैदान में सभा को संबोधित किया था, जिसमें लाखों की संख्या में लोग प्रधानमंत्री को सुनने पहुंचे थे. वहीं दूसरी सभा तत्कालीन बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और फिलहाल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पांढुर्णा के एमपीएल मैदान में किया था, दोनों की सभाओं के बाद भी छिंदवाड़ा की सातों विधानसभा सीटों में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी और भाजपा को 1 सीट भी नहीं मिल पाई थी.
कमल नाथ के खिलाफ बयानबाजी का पड़ा था नकारात्मक प्रभाव: 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की सभाओं में भीड़ होने के बाद भी भाजपा के पक्ष में जनता ने वोट नहीं किया था. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि "छिंदवाड़ा में आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने अपने भाषणों में कमल नाथ के खिलाफ जो बयानबाजी की थी, वह छिंदवाड़ा की जनता को पसंद नहीं आई और उसका बुरा प्रभाव पड़ा जिसकी वजह से सातों की सातों सीटों पर चुनाव हारना पड़ा था."
छिंदवाड़ा में सीएम के नाम पर डाले जाते हैं वोट: दरअसल 2018 चुनावों में छिंदवाड़ा जिले की जनता ने कमल नाथ को मुख्यमंत्री बनाने के नाम पर वोट किया था, इसलिए सातों विधानसभा में जीत दर्ज की गई थी क्योंकि भाजपा ने 2013 से 2018 के बीच छिंदवाड़ा जिले में एक मंत्री भी नहीं दिया था. छिंदवाड़ा जिले के विकास को देखते हुए कमल नाथ के नाम पर वोट दिए गए थे और एक बार फिर कमल नाथ की सरकार गिरने के बाद छिंदवाड़ा जिले के विकास कामों पर कैंची चला दी गई.
सरकारी योजनाओं का दम आदिवासी वोट बैंक पर फोकस: 2023 और 2024 के चुनाव के लिए एक बार फिर बीजेपी छिंदवाड़ा में कांग्रेस को मात देने के लिए मैदान में उतरी है. इस बार भाजपा केंद्र सरकार और प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार की योजनाओं के साथ-साथ ही छिंदवाड़ा के आदिवासी वोट बैंक पर फोकस कर जनता के दिल में उतरने की कोशिश कर रही है. इसका एक उदाहरण ये भी है कि आयुष्मान कार्ड योजना से लेकर लाडली बहना योजना के जरिए बीजेपी सरकार हर घर तक पहुंच बनाने की कोशिश की है.