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सतपुड़ा की पहाड़ियों से बहते घोघरा वॉटरफॉल की पचमढ़ी बी फॉल से होती है तुलना, विभाग कर रहा विकसित करने की तैयारी

नैसर्गिक सुंदरता से भरपूर छिंडवाड़ा में पहाड़ों और जंगलों के बीच कई मनोरम स्थान हैं, जहां जानें पर बरबस ही प्रकृति आने वाले का मन मोह लेती है. ऐसा ही एक सुंदर झरना सतपुड़ा की वादियों में बसे एक गांव में हैं, जिसे संवारने वन विभाग भी कोशिश कर रहा है. जानें घोघरा वॉटरफॉल के बारे में जिसकी तुलना पचमढ़ी के बी फॉल से की जाती है.

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Published : Oct 7, 2020, 6:19 PM IST

Updated : Aug 9, 2022, 12:57 PM IST

ghoghra waterfall
घोघरा वॉटरफॉल

छिंदवाड़ा। पश्चिम छिंदवाड़ा के वनमंडल में होशंगाबाद की बॉर्डर के पास जिला के अंतिम गांव आल्मोद की जंबूद्वीप नदी से एक ऐसा झरना बहता है जिसकी सुंदरता की तुलना पचमढ़ी के बी फॉल से की जाती है. करीब 150 फीट की उंचाई से गिरने वाला ये झरना घोघरा वॉटरफाल के नाम से प्रसिद्ध है.

ऊंचे पहाड़ों के बीच से नीचे गिरने वाले इस जलप्रपात के सौंदर्य का शब्दों में बयां करना बहुत ही मुश्किल है. यहां की नैसिर्गक सुंदरता बरबस ही यहां से गुजरने वाले लोगों का मन मोह लेती हैं. यहां की प्राकृतिक सुंदरता को देखकर ही वन विभाग अब इसे विकसित करने जा रहा है.

स्थानीय लोगों को रोजगार की आस

स्थानिय लोगों का कहना है कि उनके इलाके में पर्यटन के कई स्थान हैं लेकिन प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है, जिसके चलते लोगों को ऐसी मनोरम जगहों की जानकारी नहीं है. अगर प्रशासन इसे विकसित करता है तो जिले में न सिर्फ पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी बल्कि गांव में रोजगार की संभावना भी बढ़ेगी.

वन विभाग भी कर रहा तैयारी

आदिवासी इलाके में पर्यटन के जरिए रोजगार को बढ़ावा मिल सके इसलिए वन विभाग भी इस झरने को विकसित करने की योजना बना रहा है. सड़क से महज 500 मीटर की दूरी पर बने इस झरने के साथ ही प्रकृतिक सौन्दर्यता के साथ वन विभाग पिकनिक स्पॉट और टूरिस्ट प्वाइंट बनाने की योजना भी कर रहा है.

ये भी पढ़ें- आखिर क्या है 'लखबरिया केव्स' का इतिहास...जहां एक लाख गुफाओं में पांडवों ने काटा था अज्ञातवास

DFO आलोक पाठक ने बताया कि इसके लिए उन्होंने स्थानीय लोगों को पचमढ़ी में गाइड की ट्रेनिंग भी दी है ताकि स्थानीय लोग प्रशिक्षित होकर आने वाले टूरिस्ट को अपने इलाके की विशेषता बता सकें और उन्हें रोजगार भी मिले.

चौरागढ़ और पचमढ़ी से है महज 30 किलोमीटर दूर

सतपुड़ा की वादियों के बीच बसे इस गांव की दूरी पचमढ़ी और चौरागढ़ पहाड़ी से महज 30 किलोमीटर है इसलिए विभाग की मंशा है कि जो पर्यटक पचमढ़ी आते हैं वे आसानी से यहां पहुंचे. इसके अलावा छिंदवाड़ा की तरफ से जाने वाले पर्यटक सांगाखेड़ा, भूरा भगत और चौरागढ़ के भी दर्शन कर सकते हैं.

चौरागढ़ के दर्शन करने देशभर से आते हैं लोग

चौरागढ़ की पहाड़ियों में शिवरात्रि के पावन पर्व पर बड़ा मेला लगता है. पहाड़ियों के ऊपर बसे भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं लेकिन लोगों को साल भर रोजगार मिले और इलाका पर्यटन के रूप में अपनी अलग पहचान बनाए इसलिए अब वन विभाग घोघरा वॉटरफॉल को विकसित करने की कवायदों में जुटा हुआ है.

छिंदवाड़ा। पश्चिम छिंदवाड़ा के वनमंडल में होशंगाबाद की बॉर्डर के पास जिला के अंतिम गांव आल्मोद की जंबूद्वीप नदी से एक ऐसा झरना बहता है जिसकी सुंदरता की तुलना पचमढ़ी के बी फॉल से की जाती है. करीब 150 फीट की उंचाई से गिरने वाला ये झरना घोघरा वॉटरफाल के नाम से प्रसिद्ध है.

ऊंचे पहाड़ों के बीच से नीचे गिरने वाले इस जलप्रपात के सौंदर्य का शब्दों में बयां करना बहुत ही मुश्किल है. यहां की नैसिर्गक सुंदरता बरबस ही यहां से गुजरने वाले लोगों का मन मोह लेती हैं. यहां की प्राकृतिक सुंदरता को देखकर ही वन विभाग अब इसे विकसित करने जा रहा है.

स्थानीय लोगों को रोजगार की आस

स्थानिय लोगों का कहना है कि उनके इलाके में पर्यटन के कई स्थान हैं लेकिन प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है, जिसके चलते लोगों को ऐसी मनोरम जगहों की जानकारी नहीं है. अगर प्रशासन इसे विकसित करता है तो जिले में न सिर्फ पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी बल्कि गांव में रोजगार की संभावना भी बढ़ेगी.

वन विभाग भी कर रहा तैयारी

आदिवासी इलाके में पर्यटन के जरिए रोजगार को बढ़ावा मिल सके इसलिए वन विभाग भी इस झरने को विकसित करने की योजना बना रहा है. सड़क से महज 500 मीटर की दूरी पर बने इस झरने के साथ ही प्रकृतिक सौन्दर्यता के साथ वन विभाग पिकनिक स्पॉट और टूरिस्ट प्वाइंट बनाने की योजना भी कर रहा है.

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DFO आलोक पाठक ने बताया कि इसके लिए उन्होंने स्थानीय लोगों को पचमढ़ी में गाइड की ट्रेनिंग भी दी है ताकि स्थानीय लोग प्रशिक्षित होकर आने वाले टूरिस्ट को अपने इलाके की विशेषता बता सकें और उन्हें रोजगार भी मिले.

चौरागढ़ और पचमढ़ी से है महज 30 किलोमीटर दूर

सतपुड़ा की वादियों के बीच बसे इस गांव की दूरी पचमढ़ी और चौरागढ़ पहाड़ी से महज 30 किलोमीटर है इसलिए विभाग की मंशा है कि जो पर्यटक पचमढ़ी आते हैं वे आसानी से यहां पहुंचे. इसके अलावा छिंदवाड़ा की तरफ से जाने वाले पर्यटक सांगाखेड़ा, भूरा भगत और चौरागढ़ के भी दर्शन कर सकते हैं.

चौरागढ़ के दर्शन करने देशभर से आते हैं लोग

चौरागढ़ की पहाड़ियों में शिवरात्रि के पावन पर्व पर बड़ा मेला लगता है. पहाड़ियों के ऊपर बसे भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं लेकिन लोगों को साल भर रोजगार मिले और इलाका पर्यटन के रूप में अपनी अलग पहचान बनाए इसलिए अब वन विभाग घोघरा वॉटरफॉल को विकसित करने की कवायदों में जुटा हुआ है.

Last Updated : Aug 9, 2022, 12:57 PM IST
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