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MP Election 2023: कमलनाथ के जिले में कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक आदिवासी खफा, हो सकता है बड़ा नुकसान - छिंदवाड़ा न्यूज

Gond Community Chhindwara: पूर्व सीएम कमलनाथ से उनके ही गृह नगर के आदिवासी खफा नजर आ रहे हैं. गोंड समाज के लोगों ने चेतावनी दी है कि आने वाले समय में कमलनाथ को बताया जाएगा कि छिंदवाड़ा में हमारे समाज की क्या अहमियत है. उनके समाज के दम पर ही छिंदवाड़ा में राजनीति करने वाले कमलनाथ यहां से वापस जाएंगे.

Kamal nath trible dispuite
कमलनाथ आदिवासी विवाद
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Published : Jul 11, 2023, 9:10 AM IST

कमलनाथ से आदिवासी खफा

छिंदवाड़ा। गोंड को लेकर पूर्व सीएम कमलनाथ के द्वारा दिए गए बयान के बाद कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक कहा जाने वाला आदिवासी समाज पूर्व सीएम कमलनाथ और कांग्रेस से उनके ही जिले में खफा नजर आ रहा है. जिसके चलते अब आदिवासी समाज के लोग अलग-अलग तरीके से कांग्रेस का विरोध कर रहे हैं. कमलनाथ ने कहा था गोंड नहीं कांग्रेस ही छिंदवाड़ा में है सब कुछ. आदिवासी समाज के युवा नेता देवरावेन भलावी ने बताया कि 15 जून को भोपाल में पत्रकारों के द्वारा पूर्व सीएम कमलनाथ से एक सवाल पूछा गया था कि आप की पार्टी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ गठबंधन कर रही है. इस पर आपका क्या कहना है तो पूर्व सीएम कमलनाथ ने इसका सीधा जवाब ना देते हुए गोंडवाना के लोगों को अपमानित करते हुए कहा था कि छिंदवाड़ा में भी गौंड है 3-3 गौंड विधायक कांग्रेस पार्टी से हैं और गोंड और गोंडवाना का कोई अस्तित्व नहीं है. इसके विरोध में गोंडवाना के संगठनों ने मिलकर फव्वारा चौक में पूर्व सीएम कमलनाथ का पुतला भी जलाया था.

कमलनाथ की चेतावनी: आदिवासी नेता और आम आदमी पार्टी के पदाधिकारी प्रह्लाद सिंह कुसरे ने बताया कि पूर्व सीएम कमलनाथ 1980 से छिंदवाड़ा जिले में आदिवासी और गोंड के दम पर ही अपनी राजनीति करते आ रहे हैं. छिंदवाड़ा जिले में करीब 38 फ़ीसदी आदिवासी मतदाता है जिसमें सबसे ज्यादा गौंड समाज से है उन्होंने कहा कि पड़ोसी जिला बैतूल में 34 फ़ीसदी आदिवासी मतदाता है लेकिन फिर भी वहां की लोकसभा सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है छिंदवाड़ा सीट भी आदिवासी वर्ग के आरक्षित होना था लेकिन कमलनाथ ने अपनी राजनीति करने के लिए यहां पर परिसीमन भी करवा दिया और इस सीट को आरक्षित भी करवा लिया लेकिन आने वाले चुनावों में गोंड और आदिवासी बता देंगे कि छिंदवाड़ा में उनका क्या अस्तित्व है.

तंगी में छिंदवाड़ा के आदिवासी: आदिवासी वर्ग के नेताओं का कहना है कि छिंदवाड़ा जिले में सबसे ज्यादा रोजगार की कमी है जिसके चलते आदिवासी वर्ग के अधिकतर लोग छिंदवाड़ा से रोजगार की तलाश में पलायन करते हैं. शिक्षा की अगर बात करें तो ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की भी संपूर्ण व्यवस्था नहीं होने की वजह से उनकी समाज के लोग पढ़ नहीं पाते हैं. छिंदवाड़ा को भले ही कमलनाथ विकास का मॉडल बताते हैं लेकिन आज भी ग्रामीण इलाकों में आदिवासियों की हालत सुधरी नहीं है.

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आदिवासियों का कमलनाथ ने छीना हक: आम आदमी पार्टी के नेता राजू पांडे ने कहा कि छिंदवाड़ा जिला आदिवासी बाहुल्य है अनुपात के हिसाब से छिंदवाड़ा लोकसभा को आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित होना था लेकिन कमलनाथ ने परिवारवाद के चलते भाजपा से सांठगांठ करके सीट को अनारक्षित करवा लिया जिसका नतीजा है कि वह खुद यहां से सांसद रहे फिर उनकी पत्नी सांसद रही अब उनका बेटा सांसद नकुल नाथ है और आगामी चुनाव में उनकी बहू प्रियानाथ भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है शिक्षा पर सवाल उठाते हुए कहा कि पड़ोसी जिले नागपुर सहित उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में बड़े-बड़े कॉलेज कमलनाथ के द्वारा संचालित किए जाते हैं लेकिन छिंदवाड़ा के आदिवासी पढ़ लिखकर समझदार ना हो जाएं इसलिए यहां पर उन्होंने एक भी कॉलेज नहीं खुलवाया।

कमलनाथ से आदिवासी खफा

छिंदवाड़ा। गोंड को लेकर पूर्व सीएम कमलनाथ के द्वारा दिए गए बयान के बाद कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक कहा जाने वाला आदिवासी समाज पूर्व सीएम कमलनाथ और कांग्रेस से उनके ही जिले में खफा नजर आ रहा है. जिसके चलते अब आदिवासी समाज के लोग अलग-अलग तरीके से कांग्रेस का विरोध कर रहे हैं. कमलनाथ ने कहा था गोंड नहीं कांग्रेस ही छिंदवाड़ा में है सब कुछ. आदिवासी समाज के युवा नेता देवरावेन भलावी ने बताया कि 15 जून को भोपाल में पत्रकारों के द्वारा पूर्व सीएम कमलनाथ से एक सवाल पूछा गया था कि आप की पार्टी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ गठबंधन कर रही है. इस पर आपका क्या कहना है तो पूर्व सीएम कमलनाथ ने इसका सीधा जवाब ना देते हुए गोंडवाना के लोगों को अपमानित करते हुए कहा था कि छिंदवाड़ा में भी गौंड है 3-3 गौंड विधायक कांग्रेस पार्टी से हैं और गोंड और गोंडवाना का कोई अस्तित्व नहीं है. इसके विरोध में गोंडवाना के संगठनों ने मिलकर फव्वारा चौक में पूर्व सीएम कमलनाथ का पुतला भी जलाया था.

कमलनाथ की चेतावनी: आदिवासी नेता और आम आदमी पार्टी के पदाधिकारी प्रह्लाद सिंह कुसरे ने बताया कि पूर्व सीएम कमलनाथ 1980 से छिंदवाड़ा जिले में आदिवासी और गोंड के दम पर ही अपनी राजनीति करते आ रहे हैं. छिंदवाड़ा जिले में करीब 38 फ़ीसदी आदिवासी मतदाता है जिसमें सबसे ज्यादा गौंड समाज से है उन्होंने कहा कि पड़ोसी जिला बैतूल में 34 फ़ीसदी आदिवासी मतदाता है लेकिन फिर भी वहां की लोकसभा सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है छिंदवाड़ा सीट भी आदिवासी वर्ग के आरक्षित होना था लेकिन कमलनाथ ने अपनी राजनीति करने के लिए यहां पर परिसीमन भी करवा दिया और इस सीट को आरक्षित भी करवा लिया लेकिन आने वाले चुनावों में गोंड और आदिवासी बता देंगे कि छिंदवाड़ा में उनका क्या अस्तित्व है.

तंगी में छिंदवाड़ा के आदिवासी: आदिवासी वर्ग के नेताओं का कहना है कि छिंदवाड़ा जिले में सबसे ज्यादा रोजगार की कमी है जिसके चलते आदिवासी वर्ग के अधिकतर लोग छिंदवाड़ा से रोजगार की तलाश में पलायन करते हैं. शिक्षा की अगर बात करें तो ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की भी संपूर्ण व्यवस्था नहीं होने की वजह से उनकी समाज के लोग पढ़ नहीं पाते हैं. छिंदवाड़ा को भले ही कमलनाथ विकास का मॉडल बताते हैं लेकिन आज भी ग्रामीण इलाकों में आदिवासियों की हालत सुधरी नहीं है.

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