Shukr Guru Uuti: जिन जातकों की कुंडली में बृहस्पति शुक्र का संबंध होता है. ऐसे व्यक्तियों के अंदर गजब की चुम्बकीय शक्ति होती है. विपरीत लिंग के व्यक्ति इन जातको की और बहुत जल्द आकर्षित हो जाते हैं. लोग इन जातको के पीछे खुद ही खींचे चले आते हैं. आपकी कुंडली क्या कहती है जानिए पंडित श्रवण कृष्ण शास्त्री से. बृहस्पति शुक्र की बलवान युति या दृष्टि संबंध होने से बृहस्पति शुक्र का मूल्य बहुत अधिक बड़ा देता है. शुक्र सांसारिक सुख सुविधा, भोग विलास, संसार का कारक है तो बृहस्पति पारलौकिक और सांसारिक दोनों के सुख देने में सक्षम है.
बृहस्पति शुक्र के संबंध: बृहस्पति शुक्र के संबंध से जातक भोगी और आध्यात्मिक दोनों बन जाता है. ऐसे जातक में भौतिक इच्छाओ की कामना भी अधिक होती है तो आध्यात्मिक भी बहुत होते है. बृहस्पति शुक्र के संबंध में शुक्र से अधिक बृहस्पति अधिक बढ़ा होने से जातक संसार के भौतिक सुख भी प्राप्त करता है. आध्यात्मिकता की और भी अधिक अपना झुकाव रखता है इससे कभी कभी ऐसे जातक परेशान भी हो जाते है कि इन्हें संसार भोगो की अधिक और मुड़ना चाहिए या पारलौकिक सुख प्राप्त करने के प्रयास करने चाहिए.
बृहस्पति शुक्र दोनों विवाह कारक हैं: पंडित श्रवण कृष्ण शास्त्री ने बताया कि, इनमें से कुछ भी यदि बृहस्पति शुक्र दोनों बली हो बारहवां और नवम भाव भी शुभ प्रभाव में हो तब लोकपरलोक दोनों सुख इन जातको को मिल जाते हैं. बृहस्पति और नवम भाव के शुभ प्रभाव में होने से या नवम भाव का संबंध बृहस्पति से होने से जातक देवताओ की उपासना अधिक करता है. ऐसे जातकों की किसी एक देव में विशेष आस्था होती है. बृहस्पति शुक्र दोनों विवाह कारक भी है. यदि इनकी स्थिति बहुत ख़राब हो तो जातक के वैवाहिक जीवन में समस्या रह सकती है या वैवाहिक जीवन का सुख कम मिलता है. बृहस्पति स्त्रियों के लिए पति है तो शुक्र पुरुषों के लिए पत्नी.
स्त्रियों की कुंडली: जिन जातकों का शुक्र बहुत कमजोर होता है या कमजोर होकर शुक्र शनि राहु आदि जैसे ग्रहो के साथ हो या इनसे द्रष्ट हो तब पत्नी को तब पत्नी सुख में कमी रहती है. स्त्रियों की कुंडली में यह नियम गुरु पर लागू होगा. बृहस्पति शुक्र का केंद्रत्रिकोण पर स्वामित्व अधिकार होकर संबंध बनने से जातक की जीवन रेखा से जो हथेली में शुक्र क्षेत्र के पास ही होती है. कुछ रेखाएं ऊपर बृहस्पति पर्वत की ओर जाती है. जो जातकों को जीवन में आगे बढ़ने और उन्नति का अवसर प्राप्त करता है.
जीवन रेखा से उन्नति के अवसर: जितनी बार जीवन रेखा जीवन रेखा की जिस जिस आयु में यह रेखाएं निकलती है. जीवन की उसी आयु में जातक को उन्नति के अवसर प्राप्त होते. ऐसी स्थिति में यह बात ध्यान में रखनी चाहिए बृहस्पति शुक्र दोनों बली होने चाहिए विशेष रूप से शुक्र से अधिक बृहस्पति बली होना चाहिए. यदि बृहस्पति शुक्र दोनों में से कोई भी कमजोर, अशुभ, पाप ग्रहो से पीड़ित, राशि अंशो में कमजोर या अन्य प्रकार से दूषित होने से ऐसी स्थिति हाथ में होना असंभव है. कभी कभी लग्न या लग्नेश का संबंध बृहस्पति से होने पर भी ऐसी रेखाएं जीवन रेखा से ऊपर को निकलने लगती है. जिनका फल शुभ उन्नति कारक ही होता है.