छिंदवाड़ा। खूनी खेल के नाम से प्रसिद्ध 'गोटमार मेला' पोला त्योहार के दूसरे दिन आयोजित होता है, जो इस साल छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्णा में नहीं खेला जाएगा. छिंदवाड़ा कलेक्टर सौरभ सुमन, पुलिस अधिक्षक विवेक अग्रवाल ने अंतिम बैठक में लोगों की राय के बाद ये निर्णय लिया है. पुलिस अधीक्षक ने साफ कहा कि गोटमार में कोई उपद्रवी तत्व शहर का माहौल खराब करते पाया जाता है तो उस पर FIR दर्ज की जाएगी.
पांढुर्णा की जाम नदी पर इस साल गोटमार मेले का आयोजन नहीं किया जाएगा और न ही एक दूसरे पर पत्थर बरसाए जाएंगे. कोरोना महामारी के कारण गोटमार मेले का शांतिपूर्ण आयोजन होगा. सुबह 10 सावर गांव के कवाले परिवार के निवास से परंपरागत झंडे को जाम नदी पर लाकर उसकी पूजा अर्चना कर पांढुर्णा पक्ष के लोगों को झंडे को सौंपा जाएगा. इस झंडे को मां चंडिका मंदिर ले जाकर रखा जाएगा. इसको लेकर 5-5 सदस्यों की समिति बनाई जाएगी, जो इस कार्यक्रम को संपन्न कराएंगे.
शहर में रहेगा कर्फ्यू जैसा माहौल, सीमाएं रहेंगी सील
कलेक्टर ने मंच से कहा कि किसी भी बाहरी लोगों का पांढुर्णा में प्रवेश पर पूर्णरूप से प्रतिबंध रहेगा. जिसको लेकर पांढुर्णा में लगभग 2 दिन तक कर्फ्यू जैसा माहौल भी रह सकता है. इसके लिए बड़ी तादात में पुलिस बल मौजूद रहेगा. इसी तरह शहर की सीमा से महाराष्ट्र से जुड़ने वाले रास्ते को भी सील कर दिया जाएगा, जिससे किसी का प्रवेश न हो सके.
साल 2009 जैसे न बन जाएं पांढुर्णा के हालात
पांढुर्णा के इतिहास में आम जनता का ये दूसरा बड़ा फैलसा है, जब गोटमार के इतिहास पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है. कुछ ऐसे ही हालात पांढुर्णा में वर्ष 2009 में बने थे, जब छिंदवाड़ा कलेक्टर एम श्रीवास्तव, पुलिस अधिक्षक मनमीत सिंह नारंग ने इस मेले पर मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर सख्ती बरती थी. जिससे माहौल गरमा गया था, फिर भी गोटमार को रोका नहीं जा सका था.
किसान घर में कर सकेंगे बैलों की पूजा
एसपी ने मौजूद किसानों की समस्या को देखते हुए निर्णय लिया कि पोला त्योहार के दिन किसान केवल अपने घर पर पूजा कर सकेंगे, लेकिन बैलों को लेकर पूर्णतः प्रतिबन्ध रहेगा.