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छिंदवाड़ा: इस गांव में लगता है भूतों का मेला ! तांत्रिक करते हैं इलाज

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Published : Nov 11, 2019, 7:37 PM IST

छिंदवाड़ा के तालखमरा गांव में भूतों का मेला लगता है. इस मेले में प्रेत बाधा से परेशान और मानसिक रुप से विक्षिप्त रोगियों का उपचार किया जाता है.

भूतों का मेला

छिंदवाड़ा। जिले के तालमखरा गांव में भूतों का मेला लगता है. इस मेले में दूर- दूर से लोग पहुंचते हैं, जहां प्रेत बाधा से परेशान लोगों का इलाज किया जाता है. कालरात्रि मेले में तरह- तरह के अनुष्ठान करके लोग प्रेत बाधा का इलाज करते नजर आते हैं, हालांकि विज्ञान में भूत प्रेत जैसी किसी भी शक्ति के लिए कोई जगह नहीं है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यहां पहुंचने पर कोई भी भूतों के अस्तित्व को आसानी से नहीं नकार सकता है.

भूतों का मेला


छिंदवाड़ा के जुन्नारदेव विधानसभा के तालखमरा गांव में भूतों का प्रसिद्ध मेला लगता है. इस मेले की खासियत ये है कि प्रेत बाधा से परेशान और मानसिक रुप से विक्षिप्त रोगियों का उपचार इस मेले में किया जाता है. प्रेत बाधा से ग्रसित व्यक्ति का उपचार पड़िहार, पंडे मंत्रों की शक्ति से करते हैं.

तालखमरा मेले मे तांत्रिकों के द्वारा प्रेत बाधा से परेशान लोगों की तालाब मे डुबकी लगवाई जाती है. इसके बाद वटवृक्ष दईयत बाबा के समीप उसे ले जाकर व्यक्ति को कच्चा धागा से बांधकर तांत्रिक पूजा की जाती है. इसके बाद मालनमाई के मंदिर मे जाकर पूजा अर्चना की जाती है और व्यक्ति सामान्य हो जाता है. यह मेला सदियों पुराना है. इस मेले मे दूर-दूर से आदिवासी ग्रामीणों के साथ अन्य समाज के लोग यहां आकर अपना और अपने परिवार का उपचार करवाते हैं.

नोट- ETV भारत किसी भी तरह के अंधविश्वास का समर्थन नहीं करता है.

छिंदवाड़ा। जिले के तालमखरा गांव में भूतों का मेला लगता है. इस मेले में दूर- दूर से लोग पहुंचते हैं, जहां प्रेत बाधा से परेशान लोगों का इलाज किया जाता है. कालरात्रि मेले में तरह- तरह के अनुष्ठान करके लोग प्रेत बाधा का इलाज करते नजर आते हैं, हालांकि विज्ञान में भूत प्रेत जैसी किसी भी शक्ति के लिए कोई जगह नहीं है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यहां पहुंचने पर कोई भी भूतों के अस्तित्व को आसानी से नहीं नकार सकता है.

भूतों का मेला


छिंदवाड़ा के जुन्नारदेव विधानसभा के तालखमरा गांव में भूतों का प्रसिद्ध मेला लगता है. इस मेले की खासियत ये है कि प्रेत बाधा से परेशान और मानसिक रुप से विक्षिप्त रोगियों का उपचार इस मेले में किया जाता है. प्रेत बाधा से ग्रसित व्यक्ति का उपचार पड़िहार, पंडे मंत्रों की शक्ति से करते हैं.

तालखमरा मेले मे तांत्रिकों के द्वारा प्रेत बाधा से परेशान लोगों की तालाब मे डुबकी लगवाई जाती है. इसके बाद वटवृक्ष दईयत बाबा के समीप उसे ले जाकर व्यक्ति को कच्चा धागा से बांधकर तांत्रिक पूजा की जाती है. इसके बाद मालनमाई के मंदिर मे जाकर पूजा अर्चना की जाती है और व्यक्ति सामान्य हो जाता है. यह मेला सदियों पुराना है. इस मेले मे दूर-दूर से आदिवासी ग्रामीणों के साथ अन्य समाज के लोग यहां आकर अपना और अपने परिवार का उपचार करवाते हैं.

नोट- ETV भारत किसी भी तरह के अंधविश्वास का समर्थन नहीं करता है.

Intro:छिंदवाड़ा । भूत प्रेत हमेशा से ही जिज्ञासा का विषय रहे है मानव की क्रियाकलाप अचानक कैसे विचित्र हो जाते है इस विषय में विज्ञान भी कुछ कहने से बचता रहा है सच जो भी हो लेकिन छिंदवाड़ा के तालखमरा में लगने वाले कालरात्रि मेले में पहूंचकर न केवल भूत प्रेत की कल्पनाओ पर भरोसा किया जा सकता है। बल्कि प्रेत बाघा से ग्रसित व्यक्ति के असीमित शक्तियों और बलप्रदर्शन को देखकर इसे नकारा भी नही जा सकता।Body:छिन्दवाडा के जुन्नारदेव विधानसभा के गांव नवेगांव के तालखमरा गांव के मेले में भूतो का प्रसिद्ध मेला लगता है इस मेले की खासियत यह है कि प्रेत बाधा से परेशान और मानसिक रुप से विक्षिप्त रोगियो का उपचार इस मेले में किया जाता है प्रेत बाधा से ग्रसित व्यक्ति का उपचार पड़िहार,पंडे मंत्रो की शक्ति से प्रहार करते है उसके बाद प्रेत बाघा से ग्रसित व्यक्ति के हाव भाव देखकर देखने वाले घबरा जाते है रात का समय में रोंगटे खडे कर देने वाला दृश्य तालखमरा मेले मे दिखायी देता है दुर्गम स्थानों में रहने वाले तांत्रिक पडिहार और ओझा इस मेले मे शिरकत कर प्रेतबाघा का नाश करते नजर आते है ।

तालखमरा मेले मे तांत्रिको के द्धारा परेषान व्यक्ति को तालाब मे डुबकी लगवायी जाती है इसके बाद वटव्रक्ष ‘ दईयत बाबा ’ के समीप उसे ले जाकर वहां उस व्यक्ति को कच्चे धागा से बंधकर कि जाती हे तांत्रिक पूजा इसके बाद पास में बना मालनमाई के मंदिर मे जाकर पूजा अर्चना की जाती है और व्यक्ति सामन्य हो जाता है यह मेला सादियो पूराना है इस मेले मे दूर दूर से आदिवासीय ग्रामीणो के साथ अन्य समाज के लोग यहां आकर अपना और अपने परिवार का उपचार करवाते है यहां पर जिले के अलावा अन्य जिले व प्रदेष से परेशान परिवार आते है।Conclusion:ही विज्ञान ने तरक्की की पुल खड़े कर दिए हो लेकिन आज भी कुछ एसे अनसुलझे पहलु हैं जिन्हें लोग सदियों ने मानते चले आ रहे हैं उसी का एक उदाहरण इस भूतिया मेले में देखने को मिलता है जिसे हम आस्था या अंधविश्वास कहते हैं।

बाईट- मदन ऊईके,अध्यक्ष मेला समिती( सिर में टोपी)
बाईट- गंगा प्रसाद सिंगोतिया,शिक्षक(गुलाबी शर्ट)
बाइट- तांत्रिक


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