छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा में पैदा होकर विदेशों में अपनी सुंदरता बिखेरने वाला जरबेरा का फूल अब सड़कों पर पड़ा नजर आ रहा है. कोरोना काल के चलते बुके या फिर गुलदस्ता की सुंदरता बढ़ाने वाला विदेशों तक के बाजार में सुंदरता बिखेरने वाला जरबेरा का फूल छिंदवाड़ा में खेत के किनारे पड़ा दिखाई दे रहा है. छिंदवाड़ा में कई स्थानों पर किसान जरबेरा फूल की खेती कर लाखों रुपए कमा रहे थे.
खेतों में पाली हाउस बनाकर फूल की खेती की जा रही है. इस फूल की विदेशों में पहले जमकर मांग थी, फूल को खरीदने दलाल, किसानों से संपर्क में रहते थे, जिसे बड़े शहरों के माध्यम से विदेशों में भेजा जाता था, लेकिन कोरोना काल में सब कुछ ठप पड़ गया है.
विदेशों में होती थी सप्लाई, अब नहीं मिल रहे खरीददार
छिंदवाड़ा के गुरैया, उमरानाला पांढुर्ना में जरबेरा की खेती की जा रही है. फूलों के बंडल बनाकर नागपुर वा हैदराबाद पहुंचाए जाते हैं, जहां से दुबई के अलावा ऑस्ट्रेलिया वा कई देशों में इनको भेजा जाता था, लेकिन कोरोना महामारी के चलते अब इसके खरीददार नहीं मिल रहे हैं.
पॉली हाउस बनाकर खेती करने पर मिलती है सब्सिडी
उद्यानिकी विभाग से जरबेरा की खेती करने के लिए सब्सिडी मिलती है, जिससे 4 से 5 साल में किसान एक से डेढ़ करोड़ रुपए तक कमा लेता है. उद्यानिकी विभाग की देखरेख में पॉली हाउस तैयार किया जाता है, फिर किसान उसमें फूल तैयार करता है.
फूल तोड़कर फेंक रहे किसान, लाखों का नुकसान
बाजारों में फूलों की मांग कम और परिवहन नहीं होने के चलते किसान को मजबूरी में फूल तोड़ कर फेंकना पड़ रहा है, क्योंकि फूल अगर पौधों में गल जाता है तो फसल बर्बाद हो जाती है. इसलिए पहले फूल को तोड़ना पड़ता है, हालात ये हैं कि किसान अपने खर्चे से फूल तोड़ कर फेंक रहे हैं.