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फुटबॉल खिलाड़ी ने राष्ट्रीय स्तर बढ़ाया MP का मान, फिर भी रोजी रोटी के लिए चाय बेचने को मजबूर

छिंदवाड़ा के रहने वाले फुटबॉल खिलाड़ी आकाश थापा ने राष्ट्रीय टीम में जगह बनाई और फुटबॉल खेलकर मध्यप्रदेश का नाम रोशन किया, लेकिन हालत ये है कि, परिवार चलाने के लिए अब भी उन्हें चाय बेचना पड़ रहा है, इतनी परेशानियों के बाद भी आकाश का खेल के प्रति जुनून कम नहीं हुआ है.

Football players forced to sell tea
चाय बेचने को मजबूर फुटबॉल खिलाड़ी
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Published : Aug 26, 2020, 5:40 PM IST

Updated : Aug 26, 2020, 5:55 PM IST

छिंदवाड़ा। फुटबॉल में मध्यप्रदेश का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन करने वाला खिलाड़ी आज भी चाय बेचने को मजबूर है. 29 अगस्त को देश में राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाएगा. इस दिन सरकार कई खिलाड़ियों को सम्मानित करती है, लेकिन आज भी कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जो राष्ट्रीय स्तर खेलते है, लेकिन उन्हें खुद की रोजी रोटी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है.

चाय बेचने को मजबूर फुटबॉल खिलाड़ी

39 साल बाद छिंदवाड़ा से नेशनल टीम में बनाई जगह

आकाश थापा बताते हैं कि, छिंदवाड़ा में फुटबॉल के खिलाड़ी बहुत हैं, लेकिन 39 साल बाद कोई खिलाड़ी नेशनल में खेला है. लेकिन इसके बाद भी, उनके परिवार का हाल देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे किस तरह अपना जीवन चला रहे हैं.

मुसीबतों के बीच 2019 में खेला संतोष ट्राफी

भारत में फुटबॉल के लिए सबसे अहम माने जाने वाले संतोष ट्रॉफी के लिए आकाश थापा ने 2019 में अपनी जगह बनाई थी. आकाश छिंदवाड़ा से 39 साल बाद राष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल खेलने वाले खिलाड़ी हैं. इसके पहले छिंदवाड़ा से जावेद खान ने संतोष ट्रॉफी में अपनी जगह बनाई थी.

चाय बेचकर करते हैं परिवार का पालन पोषण

आकाश खेल के साथ ही परिवार की मदद के लिए सैनिक कल्याण कॉम्प्लेक्स में चाय की दुकान चलाते हैं, ताकि अपने खेल के साथ- साथ परिवार का पेट भी पाल सकें. आकाश के पिता आर्मी से रिटायर हैं, पिता ने आर्मी में रहते हुए देश की सेवा की है, लेकिन नौकरी के बाद ही उन्हें बीमारी ने घेर लिया, जिसके बाद वो दिव्यांग हो गए. आकाश के बड़े भाई भी दिव्यांग हैं. ऐसे में परिवार चलाना मुश्किल हो रहा था. आकाश किसी तरह चाय बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. आकाश के पास किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं है, लेकिन खेल के प्रति उनका जुनून आज भी बरकारा है.

खिलाड़ी के पिता ने सरकार से की मांग

छिंदवाड़ा में फुटबॉल खिलाड़ियों के लिए सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है, लेकिन जुनून ऐसा है कि, खुद के खर्चे पर किराए पर मैदान लेकर यहां पर अपना शौक पूरा करते हैं. आकाश थापा भी एक निजी कोच के पास फुटबॉल सीखते हैं. चाय बेचकर परिवार का गुजारा करने वाले आकाश के पिताजी का कहना है कि, खेल तो उनका जुनून है, लेकिन अगर सरकार उनकी मदद करें और आकाश की छोटी-मोटी नौकरी भी लग जाए, तो उनके परिवार के लिए किसी एहसान से कम नहीं होगा.

छिंदवाड़ा। फुटबॉल में मध्यप्रदेश का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन करने वाला खिलाड़ी आज भी चाय बेचने को मजबूर है. 29 अगस्त को देश में राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाएगा. इस दिन सरकार कई खिलाड़ियों को सम्मानित करती है, लेकिन आज भी कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जो राष्ट्रीय स्तर खेलते है, लेकिन उन्हें खुद की रोजी रोटी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है.

चाय बेचने को मजबूर फुटबॉल खिलाड़ी

39 साल बाद छिंदवाड़ा से नेशनल टीम में बनाई जगह

आकाश थापा बताते हैं कि, छिंदवाड़ा में फुटबॉल के खिलाड़ी बहुत हैं, लेकिन 39 साल बाद कोई खिलाड़ी नेशनल में खेला है. लेकिन इसके बाद भी, उनके परिवार का हाल देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे किस तरह अपना जीवन चला रहे हैं.

मुसीबतों के बीच 2019 में खेला संतोष ट्राफी

भारत में फुटबॉल के लिए सबसे अहम माने जाने वाले संतोष ट्रॉफी के लिए आकाश थापा ने 2019 में अपनी जगह बनाई थी. आकाश छिंदवाड़ा से 39 साल बाद राष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल खेलने वाले खिलाड़ी हैं. इसके पहले छिंदवाड़ा से जावेद खान ने संतोष ट्रॉफी में अपनी जगह बनाई थी.

चाय बेचकर करते हैं परिवार का पालन पोषण

आकाश खेल के साथ ही परिवार की मदद के लिए सैनिक कल्याण कॉम्प्लेक्स में चाय की दुकान चलाते हैं, ताकि अपने खेल के साथ- साथ परिवार का पेट भी पाल सकें. आकाश के पिता आर्मी से रिटायर हैं, पिता ने आर्मी में रहते हुए देश की सेवा की है, लेकिन नौकरी के बाद ही उन्हें बीमारी ने घेर लिया, जिसके बाद वो दिव्यांग हो गए. आकाश के बड़े भाई भी दिव्यांग हैं. ऐसे में परिवार चलाना मुश्किल हो रहा था. आकाश किसी तरह चाय बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. आकाश के पास किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं है, लेकिन खेल के प्रति उनका जुनून आज भी बरकारा है.

खिलाड़ी के पिता ने सरकार से की मांग

छिंदवाड़ा में फुटबॉल खिलाड़ियों के लिए सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है, लेकिन जुनून ऐसा है कि, खुद के खर्चे पर किराए पर मैदान लेकर यहां पर अपना शौक पूरा करते हैं. आकाश थापा भी एक निजी कोच के पास फुटबॉल सीखते हैं. चाय बेचकर परिवार का गुजारा करने वाले आकाश के पिताजी का कहना है कि, खेल तो उनका जुनून है, लेकिन अगर सरकार उनकी मदद करें और आकाश की छोटी-मोटी नौकरी भी लग जाए, तो उनके परिवार के लिए किसी एहसान से कम नहीं होगा.

Last Updated : Aug 26, 2020, 5:55 PM IST
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