छिंदवाड़ा। गांवों में कुपोषण और अन्य समस्यायों की सबसे बड़ी वजह है, ग्रामीण का परंपरागत भोजन से दूर होना, पारंपरिक व्यंजनों के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए पातालकोट के घटलिंगा और चिमटीपुर गांव में व्यंजन मेले का आयोजन किया गया, जिसमें कई तरह के स्थानीय व्यंजन परोसे गए. ग्रामीण महिलाओं ने व्यंजन मेला में भाग लिया.
परार्थ समिति की प्रमुख मंजिरी चांदे ने बताया कि, महिला दिवस के अवसर पर 1 से 8 मार्च तक विविध आयोजन किए गए, साथ ही परंपरागत मेले का आयोजन भी हुआ. इस मेले में स्व सहायता समूह की महिला सदस्यों ने पुरानी परंपरा के व्यंजनों में बेबरी की खीर (कोदो कुटकी की तरह का अनाज) महुआ के लड्डू, कुटकी का भात, सोकरा रोटी (कुटकी), आम गुठली की रोटी, रातेड कांदा (कंद), महुआ बलहर की खीर, कचरियां की सब्जी, बलहर, दाल मक्का की भजिया, पोपट की सब्जी (सेमी), गिटला कांदा, मक्का ज्वार की रोटी, महुआ के ठेठरा, महुआ की खीर, कुटकी का कोया, बेबर कुटकी घुंघरी, चना भाजी, महुआ की पुड़ी, टमाटर की चटनी, कुटकी और समा का भात, ननमाटी (कांदा) सहित अन्य कम प्रचलित व्यंजन परोसे गए.