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2 साल से सब्सिडी के इंतजार में मछली पालक, सरकार ने फेरी निगाहें

कोरोना काल में सरकार के पास बजट की कमी होने के चलते मछली पालकों को अनुदान राशि नहीं मिल पा रही है. ऐसे में मछली पालक आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं.

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मछली पालन
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Published : May 24, 2021, 6:28 AM IST

छिंदवाड़ा। सरकार मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं का संचालन कर रही है, लेकिन बजट की कमी के चलते योजना धरातल पर नहीं उतर पा रही. नतीजतन कई किसानों ने आवेदन दिए हैं, लेकिन अनुदान राशि नहीं मिलने से काम शुरू नहीं हो पा रहा है.

मछली पालन

दो साल से नहीं मिली अनुदान राशि
जिले में मछली पालन को बढ़ावा देने के मत्स्य विभाग बीते 2 सालों से बिना फंड की योजनाओं का संचालन कर रहा है. 200 से ज्यादा हितग्राही योजनाओं की अनुदान राशि का इंतजार कर रहे हैं. पिछले साल भी योजनाओं की प्रस्तावित मामलों में से महज 15 फीसदी प्रकरणों की राशि स्वीकृत हुई थी. इस साल सवा सौ हितग्राहियों को इंतजार में रखा गया है. मत्स्य विभाग के सहायक संचालक रवि कुमार गजभिए ने बताया कि साल 2020 में 100 से ज्यादा प्रकरण जिला समिति से प्रस्तावित होकर प्रदेश समिति को भेजे गए थे.

25 फीसदी राशि ही जारी
लगभग डेढ़ करोड़ रुपए के बजट के इन प्रस्तावों को स्वीकृति मिल गई थी, लेकिन शासन ने पिछले साल के मंजूर किए गए प्रस्तावों में से महज 25 फीसदी राशि ही जारी की है. वहीं साल 2021 में भी 125 प्रकरण मंजूर हुए हैं. इनका बजट 1 करोड़ 40 लाख रुपए है. शासन ने मत्स्य विभाग को इस साल भी अब तक बजट का आवंटन नहीं किया है.


प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना
मत्स्यउद्योग के सहायक संचालक रवि कुमार गजभिए ने बताया कि पीएम संपदा योजना के तहत तालाब निर्माण योजना, बायो फ्लॉप योजना,आरए एस योजना योजना संचालित की जा रही है. इसके अलावा प्रदेश सरकार द्वारा संचालित योजनाएं भी हैं. तालाब योजना में 7 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर, बायो फ्लॉक योजना की साढ़े सात लाख रुपए प्रति यूनिट जो 7 टंकियों में बनाया जाता है. वहीं आरएएस मछली पालन योजना के लिए 50 लाख रुपए तक का प्रोजेक्ट होता है. जिसमें सामान्य वर्ग को 40 फीसदी अनुदान राशि तो एससी-एसटी और किसी भी वर्ग की महिलाओं को 60 फीसदी प्रोजेक्ट कॉस्ट के आधार पर अनुदान राशि दी जाती है.

जून-जुलाई में मछली पालकों को दिए जाते हैं बीज
मछली पालन शुरू करने का सही समय जून और जुलाई का महीना होता है. इस समय में तालाब या खेतों में बने पोंड में मछली के बीज डाले जाते हैं, क्योंकि यह समय मछलियों के अंडे का होता है. इसके लिए विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी है और बारिश शुरू होते ही तालाब में मछली के बीज डाले जाएंगे. इसके बाद मछली पालक किसानों को ये दिए जाएंगे.


अनुदान राशि नहीं मिलने पर रुझान हो रहा कम
सरकार मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए योजनाओं में सब्सिडी भी देती है, जिसके चलते मछली पालक आगे आ रहे हैं, लेकिन पिछले 2 सालों से मछली पालकों की सब्सिडी बजट के अभाव में नहीं आ पाई है. इस चलते अब मछली पालकों में इस व्यवसाय को लेकर रुझान कम हो रहा है. वहीं अधिकारी का कहना है कि बजट की कमी का प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है. जल्द ही सरकार इस पर निर्णय लेगी.

छिंदवाड़ा। सरकार मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं का संचालन कर रही है, लेकिन बजट की कमी के चलते योजना धरातल पर नहीं उतर पा रही. नतीजतन कई किसानों ने आवेदन दिए हैं, लेकिन अनुदान राशि नहीं मिलने से काम शुरू नहीं हो पा रहा है.

मछली पालन

दो साल से नहीं मिली अनुदान राशि
जिले में मछली पालन को बढ़ावा देने के मत्स्य विभाग बीते 2 सालों से बिना फंड की योजनाओं का संचालन कर रहा है. 200 से ज्यादा हितग्राही योजनाओं की अनुदान राशि का इंतजार कर रहे हैं. पिछले साल भी योजनाओं की प्रस्तावित मामलों में से महज 15 फीसदी प्रकरणों की राशि स्वीकृत हुई थी. इस साल सवा सौ हितग्राहियों को इंतजार में रखा गया है. मत्स्य विभाग के सहायक संचालक रवि कुमार गजभिए ने बताया कि साल 2020 में 100 से ज्यादा प्रकरण जिला समिति से प्रस्तावित होकर प्रदेश समिति को भेजे गए थे.

25 फीसदी राशि ही जारी
लगभग डेढ़ करोड़ रुपए के बजट के इन प्रस्तावों को स्वीकृति मिल गई थी, लेकिन शासन ने पिछले साल के मंजूर किए गए प्रस्तावों में से महज 25 फीसदी राशि ही जारी की है. वहीं साल 2021 में भी 125 प्रकरण मंजूर हुए हैं. इनका बजट 1 करोड़ 40 लाख रुपए है. शासन ने मत्स्य विभाग को इस साल भी अब तक बजट का आवंटन नहीं किया है.


प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना
मत्स्यउद्योग के सहायक संचालक रवि कुमार गजभिए ने बताया कि पीएम संपदा योजना के तहत तालाब निर्माण योजना, बायो फ्लॉप योजना,आरए एस योजना योजना संचालित की जा रही है. इसके अलावा प्रदेश सरकार द्वारा संचालित योजनाएं भी हैं. तालाब योजना में 7 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर, बायो फ्लॉक योजना की साढ़े सात लाख रुपए प्रति यूनिट जो 7 टंकियों में बनाया जाता है. वहीं आरएएस मछली पालन योजना के लिए 50 लाख रुपए तक का प्रोजेक्ट होता है. जिसमें सामान्य वर्ग को 40 फीसदी अनुदान राशि तो एससी-एसटी और किसी भी वर्ग की महिलाओं को 60 फीसदी प्रोजेक्ट कॉस्ट के आधार पर अनुदान राशि दी जाती है.

जून-जुलाई में मछली पालकों को दिए जाते हैं बीज
मछली पालन शुरू करने का सही समय जून और जुलाई का महीना होता है. इस समय में तालाब या खेतों में बने पोंड में मछली के बीज डाले जाते हैं, क्योंकि यह समय मछलियों के अंडे का होता है. इसके लिए विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी है और बारिश शुरू होते ही तालाब में मछली के बीज डाले जाएंगे. इसके बाद मछली पालक किसानों को ये दिए जाएंगे.


अनुदान राशि नहीं मिलने पर रुझान हो रहा कम
सरकार मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए योजनाओं में सब्सिडी भी देती है, जिसके चलते मछली पालक आगे आ रहे हैं, लेकिन पिछले 2 सालों से मछली पालकों की सब्सिडी बजट के अभाव में नहीं आ पाई है. इस चलते अब मछली पालकों में इस व्यवसाय को लेकर रुझान कम हो रहा है. वहीं अधिकारी का कहना है कि बजट की कमी का प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है. जल्द ही सरकार इस पर निर्णय लेगी.

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