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कोरोना कर्फ्यू बनी किसानों के लिए मुसीबत, नहीं मिल रहे उचित दाम

जिले में कोरोना को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने कोरोना कर्फ्यू लगाया है. लोगों को इसका पालन करने का निर्देश दिया गया है. इस दौरान किसानों के खेतों में लगी हरी-भरी सब्जियां अपने उचित दाम के तलाश में सूखती जा रही है. किसान इससे परेशान हैं.

Farmers upset due to not getting the right price for vegetables
सब्जियों के उचित दाम नहीं मिल पाने से किसान परेशान
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Published : May 11, 2021, 4:03 PM IST

छिंदवाड़ा। कोरोना महामारी के चलते अर्थव्यवस्था ठप होती जा रही है, वहीं दूसरे तरफ इसने किसानों की कमर तोड़कर रख दी है. वे अपने फसल का लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. जिले के पांढुर्णा और पिपलानारायणवार के किसानों के खेतों में सब्जियां लहलहा रही है. खेतों में लगी ये सब्जियां उचित दाम की तलाश में हैं. इस महामारी के समय में किसानों को ना उचित दाम मिल पा रहा है और ना ही वो इन तैयार सब्जियों को बाजार तक पहुंचा पा रहा है. नतीजा यह देखने को मिल रहा है कि खेतों में लगी हरी सब्जियां वहीं पर सूख जा रही हैं. इससे किसान बेहाल और हताश है. उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि वे इन सब्जियों का करें तो क्या करें ?.

सब्जियों के उचित दाम नहीं मिल पाने से किसान परेशान

व्यापारी फसलों को खरीदने के लिए तैयार नहीं

जिले के पांढुर्णा और पिपलानारायणवार के किसान सब्जियों को लेकर चिंतित हैं. सब्जियों की खरीदी नहीं होने के चलते फसलें खेतों में ही सूख रही हैं. इससे किसान कर्ज के बोझ तले फंसता जा रहा हैं.

जहां एक ओर कोरोना महामारी में से हर कोई परेशान है. अब अपनी जिंदगी बचाने अस्पताल की दौड़ लगा रहे हैं. वहीं देश का अन्नदाता कोरोना कर्फ्यू के नियम में उलझा हुआ है. इसका सबसे ज्यादा असर किसानों की मेहनत पर पड़ने लगा है. आलम यह है कि इनकी फसलें कोई भी व्यापारी खरीदने को तैयार नही है, जिसके कारण खेत मे फसले केवल दिखावा बनकर रह गई हैं.

ऑनलाइन तकनीक के सहारे चल रही घरों में कैद 'जिंदगी'

फसलों की बिक्री नहीं होने से किसान परेशान

किसानों के मुताबिक जिले में जब से कोरोना कर्फ्यू की लगा है, तब से ही सब्जियों के परिवहन पर ब्रेक सा लग गया हैं. उनके खेतों मे लगी पालक, भटे, सम्भार, गोबी, मिर्ची और टमाटर को कोई भी व्यापारी खरीदने को तैयार नही हैं, जिससे उनकी फसलें खेत में ही सुख जा रही हैं. वे बताते हैं कि कोरोना कर्फ्यू में फसल की लागत का मूल्य तक भी नहीं निकल पा रही हैं. व्यापारी सब्जी खरीदने को तैयार नहीं हैं, ऐसे में किसान कर्ज के बोझ तले फंसता जा रहा है. सब्जी उत्पादक किसान परेशान हैं. ऐसे में फसल की लागत के अनुसार दाम नहीं मिलने से उनकी परेशानी और भी बढ़ती ही जा रही है.

छिंदवाड़ा। कोरोना महामारी के चलते अर्थव्यवस्था ठप होती जा रही है, वहीं दूसरे तरफ इसने किसानों की कमर तोड़कर रख दी है. वे अपने फसल का लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. जिले के पांढुर्णा और पिपलानारायणवार के किसानों के खेतों में सब्जियां लहलहा रही है. खेतों में लगी ये सब्जियां उचित दाम की तलाश में हैं. इस महामारी के समय में किसानों को ना उचित दाम मिल पा रहा है और ना ही वो इन तैयार सब्जियों को बाजार तक पहुंचा पा रहा है. नतीजा यह देखने को मिल रहा है कि खेतों में लगी हरी सब्जियां वहीं पर सूख जा रही हैं. इससे किसान बेहाल और हताश है. उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि वे इन सब्जियों का करें तो क्या करें ?.

सब्जियों के उचित दाम नहीं मिल पाने से किसान परेशान

व्यापारी फसलों को खरीदने के लिए तैयार नहीं

जिले के पांढुर्णा और पिपलानारायणवार के किसान सब्जियों को लेकर चिंतित हैं. सब्जियों की खरीदी नहीं होने के चलते फसलें खेतों में ही सूख रही हैं. इससे किसान कर्ज के बोझ तले फंसता जा रहा हैं.

जहां एक ओर कोरोना महामारी में से हर कोई परेशान है. अब अपनी जिंदगी बचाने अस्पताल की दौड़ लगा रहे हैं. वहीं देश का अन्नदाता कोरोना कर्फ्यू के नियम में उलझा हुआ है. इसका सबसे ज्यादा असर किसानों की मेहनत पर पड़ने लगा है. आलम यह है कि इनकी फसलें कोई भी व्यापारी खरीदने को तैयार नही है, जिसके कारण खेत मे फसले केवल दिखावा बनकर रह गई हैं.

ऑनलाइन तकनीक के सहारे चल रही घरों में कैद 'जिंदगी'

फसलों की बिक्री नहीं होने से किसान परेशान

किसानों के मुताबिक जिले में जब से कोरोना कर्फ्यू की लगा है, तब से ही सब्जियों के परिवहन पर ब्रेक सा लग गया हैं. उनके खेतों मे लगी पालक, भटे, सम्भार, गोबी, मिर्ची और टमाटर को कोई भी व्यापारी खरीदने को तैयार नही हैं, जिससे उनकी फसलें खेत में ही सुख जा रही हैं. वे बताते हैं कि कोरोना कर्फ्यू में फसल की लागत का मूल्य तक भी नहीं निकल पा रही हैं. व्यापारी सब्जी खरीदने को तैयार नहीं हैं, ऐसे में किसान कर्ज के बोझ तले फंसता जा रहा है. सब्जी उत्पादक किसान परेशान हैं. ऐसे में फसल की लागत के अनुसार दाम नहीं मिलने से उनकी परेशानी और भी बढ़ती ही जा रही है.

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