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किसानों को नहीं मिल रही कपास की सही कीमत - कपास

छिंदवाड़ा के सौसर में बारिश और ओलावृष्टि के कारण कपास की फसल पूरी तरह से बरबाद हो गई है, और दोबारा बोने पर लेट फसल आ रही है, जिसके चलते किसान परेशान हैं.

farmers are unable to get the right price for cotton
बारिश के चलते किसानों को सहनी पड़ रही दुगनी मार
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Published : Dec 25, 2019, 8:59 AM IST

छिंदवाड़ा। इस साल हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि का खामियाजा किसानों को फसल गवाकर भुगतना पड़ रहा है. बारिश के चलते कपास की फसल पूरी तरह से चौपट हो गई है. वहीं बारिश में कपास की फसल बह गई थी. जिसके बाद दोबारा फसल बौने के बाद फसल लेट निकल रही है साथ ही गेहूं की फसल को भी नुकसान हुआ है, जिसके चलते किसानों को दोगुनी मार सहनी पड़ रही है. मध्यप्रदेश में मंडी टैक्स 1. 70 पैसे हैं जबकि महाराष्ट्र में यही टैक्स 50 पैसे हैं. पहले महाराष्ट्र के किसान बड़े पैमाने पर सौसर में कपास लाकर बैचते थे पर अब उल्टा हो रहा है मंडी टैक्स अधिक होने के कारण यहां की फसल महाराष्ट्र के जिंनिग में जाकर किसानों के द्वारा बेची जा रही है.

बारिश के चलते किसानों को सहनी पड़ रही दुगनी मार
कपास फसल का नहीं मिल रहा उचित मूल्यसौसर के किसान खून पसीना बहाकर कपास की फसल का निर्माण करते है, उसके बाद भी उन्हें मेहनत का उचित फल नहीं मिल पा रहा है. किसानों का कहना है कि कपास 6 हजार प्रति क्विंटल के भाव से मिलना चाहिए पर अभी जो भाव मिल रहा है उससे लागत मूल्य नहीं निकल पा रही है.

छिंदवाड़ा। इस साल हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि का खामियाजा किसानों को फसल गवाकर भुगतना पड़ रहा है. बारिश के चलते कपास की फसल पूरी तरह से चौपट हो गई है. वहीं बारिश में कपास की फसल बह गई थी. जिसके बाद दोबारा फसल बौने के बाद फसल लेट निकल रही है साथ ही गेहूं की फसल को भी नुकसान हुआ है, जिसके चलते किसानों को दोगुनी मार सहनी पड़ रही है. मध्यप्रदेश में मंडी टैक्स 1. 70 पैसे हैं जबकि महाराष्ट्र में यही टैक्स 50 पैसे हैं. पहले महाराष्ट्र के किसान बड़े पैमाने पर सौसर में कपास लाकर बैचते थे पर अब उल्टा हो रहा है मंडी टैक्स अधिक होने के कारण यहां की फसल महाराष्ट्र के जिंनिग में जाकर किसानों के द्वारा बेची जा रही है.

बारिश के चलते किसानों को सहनी पड़ रही दुगनी मार
कपास फसल का नहीं मिल रहा उचित मूल्यसौसर के किसान खून पसीना बहाकर कपास की फसल का निर्माण करते है, उसके बाद भी उन्हें मेहनत का उचित फल नहीं मिल पा रहा है. किसानों का कहना है कि कपास 6 हजार प्रति क्विंटल के भाव से मिलना चाहिए पर अभी जो भाव मिल रहा है उससे लागत मूल्य नहीं निकल पा रही है.
Intro:ओलावृष्टि और बारिश से चौपट हो गई कपास की फसल.....

किसानों को नहीं मिल रहा उनकी मेहनत का मूल्य....
सौसर-- इस साल हुई बेमौसम बारिशऔर ओलावृष्टि का भुगतान क्षेत्र के किसानों को अपनी फसल गवाकर करना पड़ रहा है,
बीते महीनों हुई ओलावृष्टि और बारिश के कारण कपास की फसल बुरी तरीके से सौसर क्षेत्र से चौपट हो गई है,
साथ ही ओलावृष्टि में बह गई कपास की फसल को किसानों के द्वारा दूसरी बार बोनी करने के बाद अब कपास की फसल लेट निकल रही है,जिसके कारण भी किसानों को दुगनी मार झेलनी पड़ रही है,
चर्चा के दौरान किसानों ने बताया कि ओलावृष्टि और बारिश के कारण कपास की फसल 2 महीने लेट मार्केट में आ रही है, जिसके कारण गेहूं की फसल का भी नुकसान हो रहा है,
वही कपास की फसल पूरी तरह से बन नहीं पाई है, कपास के पौधों को लगे हुए फूल भी पूरी तरह बंन नहीं पाए है,



Body:कपास की जिंनिग हो रही लगातार बंद---
मध्य प्रदेश में मंडी टैक्स ₹1. 70 पैसे है जबकि महाराष्ट्र में यही टेक्स् 50 पैसे हैं,
पहले बड़े पैमाने पर महाराष्ट्र के किसान सौसर में कपास की फसल लाकर बेचते थे, पर अब उल्टा हो रहा है,मंडी टैक्स अधिक होने के कारण यहां की फसल महाराष्ट्र के जिनिग में जाकर किसानों के द्वारा बेची जा रही है,Conclusion:
ओलावृष्टि और बारिश के कारण 2 महीने लेट हो रही कपास की फसल.....

कपास फसल का नहीं मिल रहा उचित मूल्य....

सौसर-धरती का सीना चीर कर अपना पसीना और खून बहाकर किसान के द्वारा कपास की फसल का निर्माण किया जाता है, बावजूद इसके सौसर के किसानों को उनकी मेहनत की गाढ़ी कमाई का फल नहीं मिल पा रहा है, किसानों का कहना है कि कपास ₹6000 प्रति क्विंटल कम से कम का भाव मिलना चाहिए, वर्तमान में जो भाव दिया जा रहा है,उससे लागत मूल्य भी नहीं निकल पा रही है,

बाईट है,
1किसान वासुदेव माकड़े बेरडी सौसर
2 आर जी जीवतोड़े
वरिष्ट कृषि विस्तार अधिकारी सौसर







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